चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार की मौत हुई तो क्या करता है आयोग? क्या है नियम

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नई दिल्ली।

लोकसभा चुनाव का दो चरण संपन्न हो चुका है और 5 चरण का मतदान बाकी है. चुनाव के दौरान कुछ लोकसभा सीटों से प्रत्याशियों के निधन की दुखद खबरें भी आईं. जैसे मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट, जहां 26 अप्रैल को चुनाव होना था लेकिन यहां से बसपा के उम्मीदवार अशोक भलावी का हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया. उधर, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में मतदान के ठीक बाद बीजेपी प्रत्याशी की मौत हो गई. अगर चुनाव के दौरान किसी प्रत्याशी की मौत हो जाती है तो चुनाव आयोग क्या करता है? क्या चुनाव रद्द हो जाता है?

मौत के केस में EC क्या करता है?
लोक प्रतिनिधित्व कानून (Representation of Peoples Act 1951) में कहा गया है कि अगर चुनाव के दौरान किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो धारा 52 के तहत संबंधित सीट पर मतदान स्थगित किया जा सकता है. इस धारा में कहा गया है कि उपरोक्त प्रावधान तभी लागू होगा जब उम्मीदवार की नामांकन की आखिरी तारीख को सुबह 11.00 बजे के बाद और मतदान शुरू होने तक किसी भी समय मृत्यु हो जाती है. इसके बाद संबंधित आरओ, चुनाव आयोग को तथ्यों से अवगत कराता है. इसके बाद चुनाव आयोग संबंधित राजनीतिक दल को मृत उम्मीदवार के स्थान पर किसी अन्य उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए कहता है.

संबंधित राजनीतिक दल को सात दिनों के भीतर नामांकन करना होता है. यदि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची मतदान स्थगित होने से पहले ही प्रकाशित हो चुकी है, तो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की एक नई सूची तैयार की जाती है और प्रकाशित की जाती है, जिसमें मृत उम्मीदवार के स्थान पर नामांकित उम्मीदवार का नाम भी शामिल होता है. बैतूल की बात करें तो यहां बसपा उम्मीदवार की मौत, नाम वापसी के आखिरी दिन के ठीक एक दिन बाद हुई, इसलिए चुनाव स्थगित कर दिया गया और 7 मई को मतदान होगा.

हालांकि, मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार कुंवर सर्वेश कुमार सिंह की मतदान के बाद मृत्यु हुई, ऐसे में यदि वह मतगणना के बाद सीट विजेता के रूप में उभरते हैं, तो उस सीट पर उपचुनाव होगा.

EVM डैमैज हो गई तो?
अगर किसी मतदान केंद्र पर चुनाव के दौरान किसी कारणवश बाधा आती आती है और ईवीएम को नुकसान पहुंचता है तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ पीपल एक्ट के सेक्शन 58 के तहत चुनाव आयोग मतदान को निरस्त कर सकता है. इस धारा में कहा गया है कि यदि कोई अनाधिकृत व्यक्ति ईवीएम छीन लेता है या गलती से अथवा जानबूझकर ईवीएम नष्ट कर दी जाती है, खो जाती है या डैमेज हो जाती है, ढंग से काम नहीं करती है तो संबंधित मतदान केंद्र का रिटर्निंग ऑफिसर तत्काल चुनाव आयोग को इसकी सूचना देगा. साथ ही संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भी तथ्यों से अवगत कराएगा. इसके बाद चुनाव आयोग, वहां चुनाव रद्द कर नए सिरे से मतदान कराने की घोषणा कर सकता है.

लोक प्रतिनिधित्व कानून में साफ-साफ कहा गया है कि अगर किसी सीट पर मतदान निरस्त होता है तो वहां चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों और उनके एजेंट को चुनाव आयोग लिखित सूचना देगा. साथ ही संबंधित क्षेत्र में सार्वजनिक सूचना और मुनादी के जरिए आम जनता को भी इसकी सूचना दी जाएगी. नियम के मुताबिक अगर मतदाता ने पहले वोट दिया है और मतदान निरस्त हो जाता है तो दूसरी बार मतदान के दौरान उसकी मिडिल यानी बीच वाली उंगली पर स्याही लगाई जाएगी.

बूथ कैप्चरिंग पर क्या होता है?
बूथ कैप्चरिंग जैसी स्थिति से निपटने के लिए सेक्शन 135 ए में प्रावधान किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि यदि किसी पोलिंग स्टेशन पर जबरन कब्जा कर लिया जाता है, चुनाव में बाधा डाली जाती है, चुनिंदा मतदाताओं को ही मत डालने की इजाजत दी जाती है, चुनाव अधिकारियों को जबरन डराया-धमकाया जाता है अथवा मतगणना स्थल पर कब्जा कर लिया जाता है तो इस स्थिति में कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान है. यह 3 साल तक बढ़ सकता है. अगर सरकारी अफसर इसमें लिप्त पाया जाता है तो उसे 5 साल तक की सजा हो सकती है.

सेक्शन 58 ए में कहा गया है कि अगर किसी पोलिंग बूथ पर बूथ कैप्चरिंग होती है तो वहां प्रिसाइडिंग अफसर फौरन ईवीएम का कंट्रोल यूनिट बंद कर देगा और बैलट यूनिट से अलग कर देगा. इसके बाद वह आरओ को इसकी सूचना देगा, जो चुनाव आयोग को सारे तथ्यों से अवगत कराएंगे. इसके आधार पर चुनाव आयोग निम्न फैसला ले सकता है…

बाढ़-भूकंप आ गया तो?
अब बात करते हैं प्राकृतिक आपदा की. अगर चुनाव के दौरान बाढ़, भूकंप जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आ जाती है तो संबंधित मतदान केंद्र का प्रिसाइडिंग अफसर सेक्शन 57(1) के तहत मतदान स्थगित कर सकता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट 1951 में कहा गया है की बाढ़, तूफान जैसी स्थिति में मतदान निरस्त किया जा सकता है. अगर प्राकृतिक आपदा के चलते किसी मतदान केंद्र पर ईवीएम जैसी जरूरी चीजें नहीं पहुंच पाई हैं तो भी मतदान निरस्त किया जा सकता है. इसके अलावा दंगा, हिंसा जैसे केस में भी मतदान निरस्त किया जा सकता है.


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