माँ बाप से पैसा वसूलने बेटी ने दोस्तों संग रची अपने ही फर्जी अपहरण की साजिश

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मध्यप्रदेश
शिवपुरी।  माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करने के साथ अपनी तरफ से हर वह संभव कोशिश करते हैं, जो सोनी (बदला हुआ नाम) के माता-पिता ने भी की, लेकिन 21 साल की शिवपुरी की रहने वाली इस छात्रा ने अपने माता-पिता के विश्वास का गला घोट दिया।

बेटी ने घोंट दिया मां-बाप के विश्वास का गला

एक-दो दिन नहीं, बल्कि एक साल से ज्यादा वक्त से इस तरह करते हुए गुजर गया और मां-बाप अंधेरे में अपनी बेटी पर विश्वास करके उसकी हर बात सच समझने की भूल कर बैठे।दरअसल, माता-पिता ने अपनी बेटी पर भरोसा करके उसे कोटा में पढ़ने की इजाजत दी. मां साथ गई, रूम देखा और एक कोचिंग क्लास में भी जाकर बात की. काव्या ने अपनी मां को भरोसे में लिया और कहा कि आप घर लौट जाएं, मैं सारा काम पूरा करके यहां रहते हुए पढ़ाई शुरू कर दूंगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

बेटी ने  ना तो कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया ना ही रूम लेकर रहना शुरू किया

न तो बेटी ने कोटा के कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया, न ही उसने रूम लेकर वहां रहना शुरू किया, बल्कि वह वहां से इंदौर चली गई और हर रोज अपने मां-बाप को गुमराह करती रही कि वह कोटा में रहकर पढ़ाई कर रही है. इसके लिए बाकायदा एक मोबाइल फोन से घर पर क्लास को अटेंड करने के मैसेज भी भेजे जाते रहे. एक अनजान सिम से आने वाले कॉलेज में अटेंडेंस के मैसेज परिवार को संतुष्ट करते रहे और मां-बाप सोचते रहे कि उनकी बेटी कोचिंग क्लासेस अटेंड कर रही है और पढ़ाई करके अपना भविष्य बना रही है।

अपहरण से डेढ़ महीने पहले लिखी जा चुकी थी पूरी स्क्रिप्ट

शिवपुरी की रहने वाली छात्रा पहले कोटा पहुंची और कोटा से फिर अचानक एक-दो दिन बाद ही इंदौर चली गई. जहां उसके दोस्त हर्षित और ब्रिजेंद्र उसका इंतजार कर रहे थे. युवती के यहां पहुंचने के बाद तीनों शातिर दिमाग इंदौर में एक साथ हो गए. इसके बाद तीनों प्लान करने लगे कि कैसे युवती के पिता से पैसे वसूले जाएं. तीनों ने यूट्यूब पर वीडियो देख कि अपहरण कैसे किया जाता है और किस तरह मां-बाप डरकर पैसा देते हैं।सब कुछ स्क्रिप्ट किया और जब सब कुछ समझ लिया कि कैसे-कैसे क्या-क्या करना है. फिर इंदौर में ही पट्टी रस्सी और टमाटर सॉस का इंतजाम भी किया गया. इंदौर में रहते ही युवती को रस्सी से बांधा गया और मुंह पर पट्टी बांधी गई और खून की जगह टमाटर का सॉस लगाकर फोटो खींची गई. इसके बाद इन फोटोज को मोबाइल में सेव कर लिया गया, लेकिन अब बात लोकेशन की थी, क्योंकि पिता और मां को यह पता था कि बेटी कोटा में है. इसलिए कोटा के आसपास की लोकेशन अपहरण की वारदात के लिए जरूरी थी।

17 मार्च को ट्रेन से तीनों पहुंचे थे जयपुर

अपनी कहानी को असलियत का नकली पहनावा पहनाने के लिए यह तीनों इंदौर में पूरी स्क्रिप्ट और तैयारी करने के बाद जयपुर गए. जयपुर में बाकायदा एक नया सिम कार्ड लिया. उस सिम कार्ड को मोबाइल में इंसर्ट किया गया और इसके बाद इस मोबाइल से व्हाट्सएप अकाउंट बनाया गया, फिर वही नंबर से युवती के पिता को न केवल फोन किए गए, बल्कि उन्हें व्हाट्सएप के जरिए यह कहा गया कि उनकी बेटी का अपहरण कर लिया गया है और अगर सलामती चाहते हैं, तो 30 लाख रुपए की फिरौती जल्द से जल्द अदा कर दें।इतना ही नहीं, जो इन तीनों ने इंदौर में फोटो बनाए थे, जिसमें युवती के अपहरण को दिखाया गया था. उसी फोटो को पिता के मोबाइल पर भेज दिए गए. 18 मार्च 2024 को जैसे ही इस अपहरण की खबर सामने आई, तो कोटा से लेकर इंदौर और शिवपुरी के साथ पूरे देश में हल्ला मच गया।

भागते रहे इधर-उधर, पहले पहुंचे चंडीगढ़

इन तीनों को उम्मीद थी कि युवती के पिता 30 लाख रुपए की रकम बतौर फिरौती आसानी से अदा कर देंगे और इसके बाद तीनों अपनी मर्जी की जिंदगी जिएंगे, लेकिन पिता सीधे थाने पहुंचे रिपोर्ट लिखाई. इसके बाद कोटा पुलिस हरकत में आई।बात बड़ी होने की वजह से जब पूरे देश में हल्ला मचा तो तीनों ने तत्काल जयपुर छोड़कर चंडीगढ़ के लिए सुबह की पहली गाड़ी से रवाना हो गए. चंडीगढ़ पहुंच कर ये तीनों अमृतसर पहुंचे. अमृतसर में रहने पर इन्हें लंगर में खाना बिल्कुल मुफ्त मिल रहा था. इस दौरान तीनों 17 मार्च से लेकर 28 मार्च को तीनों अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शरण लेकर लंगर का खाना खाकर जीवित थे।

सोचा अब बात ठंडी पड़ गई है और वापस इंदौर आ गए

28 मार्च को जब इन्होंने सोचा कि कहीं न कहीं बात अब ठंडी हो चुकी है. इसके साथ ही शायद अपनी गलती का एहसास भी इन तीनों को होने लगा, तो यह तीनों एक साथ अमृतसर से इंदौर आ गए. जहां इंडेक्स नर्सिंग कॉलेज की एक छात्र जो युवती की सहेली बताई जा रही है. उसकी मदद से इस इलाके में इंडेक्स नर्सिंग कॉलेज के पास एक कमरा किराए पर लिया और तीनों वहां रहने लगे, लेकिन पुलिस लगातार कोटा से इंदौर पहुंच कर इंदौर पुलिस के संपर्क में इन तीनों की पड़ताल कर रही थी।

मुखबिर की सूचना पर इंदौर पुलिस ने मारा छापा, फिर तीनों हुए गिरफ्तार

कहते हैं कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और मुजरिम चाहे कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून से बच नहीं सकता. शायद इन तीनों ने यूट्यूब पर अपहरण की वारदात करते समय यह वीडियो नहीं देखा कि कानून किस तरह से अपराधी का पीछा करता है. और तब तक करता है, जब तक वह उसे गिरफ्तार नहीं कर लेता।

पुलिस ने ऐसे ऑपरेशन को दिया अंजाम

18 मार्च को जैसे ही पिता के मोबाइल पर अपहरण की सूचना मिली और फोटो सामने आए, तो फोटो लेकर सीधे वह कोटा पहुंच गए और कोटा पुलिस को रिपोर्ट की. पुलिस हरकत में आई और जांच शुरू की. कोचिंग इंस्टिट्यूट से पता किया, तो वहां युवती के दाखिले की कोई जानकारी नहीं मिली. फिर पता किया कि वह रहती कहां थी, तो वहां से जानकारी मिली कि इस नाम की कभी कोई लड़की यहां रही ही नहीं. कोटा पुलिस हैरान थी. इसके साथ ही उसे भी अंदेशा हो गया था कि कहीं न कहीं लड़की इस अपहरण की साजिश में शामिल है. फिर फोटो कहां से आए कहां खींचे गए इसकी तलाश आज के आधुनिक युग और विज्ञान का सहारा लेकर पुलिस ने सारा माजरा समझ लिया. इसके दो दिन बाद खुलासा कर दिया कि लड़की का अपहरण नहीं हुआ है, बल्कि लड़की खुद अपने ही अपहरण की साजिश की मास्टरमाइंड है।

युवती रूस में करना चाहती थी मेडिकल की पढ़ाई

गिरफ्तारी के बाद युवती ने बताया कि वह रूस जाकर पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन उसने रास्ता गलत इख्तियार किया. अपने माता-पिता को धोखा दिया और अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने ही अपहरण की कहानी रच डाली. भले ही अब वह सच भी कह रही हो, लेकिन उसके माता-पिता सहित पुलिस और इस खबर से जुड़ने वाले किसी भी शख्स को उनकी बातों पर यकीन नहीं रह गया है।

हर माता-पिता को सीख दे गई ये कहानी

हर उस मां-बाप को यह खबर न केवल पढ़ने की जरूरत है, बल्कि इस खबर की हर वास्तविकता को समझ कर सावधान और सतर्क रहने की भी जरूरत है. दरअसल, माता-पिता अपने बच्चों पर पूरा विश्वास करते हैं और बच्चों पर विश्वास करना भी चाहिए, लेकिन आंखें बंद करके नहीं, क्योंकि कम से कम यह अपहरण कांड जो एक झूठी साजिश थी. वह इस तरह की चेतावनी माता-पिता को जरूर देता है कि उनके बच्चे अगर उनसे दूर रहकर किसी अलग शहर में पढ़ते हैं, तो पूरी पड़ताल करें और अपने बच्चों की हर गतिविधि से जुड़े रहें, ताकि इस तरह की घटना दोबारा सामने ना सके. और न ही कोई मां-बाप इस तरह से परेशान हो, जिस तरह से इस युवती के माता-पिता पिछले 1 महीने से अपनी बच्ची की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए लोगों के ताने सुनते रहे।


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