राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

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रायपुर 17 नवंबर 2022। शिशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के प्रति जन-जागरूकता के लिए नवजात शिशु सप्ताह का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मिथिलेश चौधरी द्वारा जिला मातृ एवं शिशु अस्पताल कालीबाड़ी में किया गया। इस सप्ताह का उद्देश्य लोगों को नवजात शिशुओं की देखभाल और उनके बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के शुभारंभ अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मिथिलेश चौधरी ने कहा: ‘’ इस बार राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह को ‘सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल-हर नवजात शिशु का जन्म अधिकार’ की थीम पर मनाया जा रहा है। नवजात स्वास्थ्य के महत्व को सुदृढ़ करना और नवजात अवधि में शिशुओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति में सुधार कर शिशु मृत्यु दर को कम करना है। बच्चे की नवजात काल की अवधि (जीवन के पहले अठाईस दिन) महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि नवजात की इस अवधि में किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात को जोखिम अधिक होता है। इसलिए इस सप्ताह के तहत ग्रामों में मितानिन, ए.एन.एम. द्वारा गृह भेंट के दौरान शिशुओं के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बच्चों के परिजनों को शिशु की उचित देखभाल, कंगारू मदर केयर विधि, माँ का दूध पिलाने के संबंध में समझाइश दी जाएगी। एसएनसीयू यूनिट में सभी स्टाफ द्वारा नवजात शिशुओं के परिजनों को भी जागरूक किया जाएगा। नवजात शिशु सप्ताह के दौरान बच्चों का वजन लेना,निमोनिया से बचाव और लक्षण के प्रति जागरूकता, तापमान लेने संबंधी कार्य किये जायेंगे।“
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ.पीके गुप्ता ने कहा: “इस सप्ताह के दौरान नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण समस्त जिला अस्पताल की ओ.पी.डी. में किया जायेगा, जिले में संचालित समस्त SNCU/NBSU/ NBCC के गुणवत्तापूर्ण संचालन पर भी जोर दिया जाएगा। SNCU से डिस्चार्ज हुए बच्चों का समुदाय स्तर पर फॉलो-अप किया जाएगा। संस्थागत जन्मे सभी बच्चों की विकृति के संबंध में परीक्षण कर समय पर उपचार किया जाएगा।बच्चों में निमोनिया की रोकथाम के लिए प्रारंभ हुए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम न्यूमोकोकल कॉन्ज्युगेट वैक्सीन अभियान के 03 डोज जन्म के एक वर्ष के भीतर बच्चों को दिया जा रहा है। एमएमआर (मातृ मृत्यु दर) को भी कम करना है। नवजात शिशु की समुचित देखभाल के लिए जरूरी है कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जाए। प्रसव के बाद 48 घंटे तक माँ एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुकें। नवजात को तुरंत न नहलायें केवल शरीर पोंछकर नर्म साफ़ कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध अवश्य पिलाना शुरू करें, छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराया जाए। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें। नियमित रूप से सम्पूर्ण टीकाकरण कराए। नवजात की नाभि सूखी एवं साफ़ रखें, ताकि संक्रमण से बचाएं और माँ और शिशु की भी व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें। कम वजन और समय से पहले जन्में बच्चों पर विशेष ध्यान दें। शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) की विधि अपनाएँ। शिशु जितनी बार चाहे दिन या रात में बार-बार स्तनपान कराए।“
ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जाए
समान्य रूप से कम शारीरिक गतिविधि, दूध पीने में कमी,असामान्य रूप से शरीर में ठंडक, बुखार, सांस लेने में तेजी या कठिनाई, पूरे शरीर में पीलापन या दौरे पड़ना या झटके आना की स्थिति में तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाएँ।


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