वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्यों ज़रूरी है?

0

रायपुर 4 नवंबर 2022/

वैज्ञानिक दृष्टिकोण मूलतः एक ऐसी मनोवृत्ति या सोच है जिसका मूल आधार किसी भी घटना की पृष्ठभूमि में उपस्थित कार्य-करण को जानने की प्रवृत्ति है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमारे अंदर अन्वेषण की प्रवृत्ति विकसित करती है तथा विवेकपूर्ण निर्णय लेने में सहायता करती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण की शर्त है बिना किसी प्रमाण के किसी भी बात पर विश्वास न करना या उपस्थित प्रमाण के अनुसार ही किसी बात पर विश्वास करना।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तात्पर्य है कि हम तार्किक रूप से सोचे।

जनसामान्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना हमारे *संविधान के अनुच्छेद 51, ए के अंतर्गत मौलिक कर्तव्यों में से एक है।इसलिए प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के लिए प्रयास करे।*

दुनिया भर में वैज्ञानिक चेतना की बदौलत हो रहे समाज विकास व भारत में अंधविश्वासों, रूढ़ियों, पाखण्डों द्वारा समाज के विकास के रास्ते में डाले जा रहे अवरोधों को दूर करने, एक विवेकशील समाज बनाने के उद्देश्य से ही हमारे संविधान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मौलिक कर्तव्यों की सूची में शामिल किया गया। इसका मक़सद भविष्य में वैज्ञानिक सूचना एवं ज्ञान में वृद्धि से वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त चेतनासम्पन्न समाज का निर्माण करना था, परंतु वर्तमान सत्य इससे परे है।

जब अपने कार्यक्षेत्र में विज्ञान की आराधना करने वाले वैज्ञानिकों का प्रत्यक्ष सामाजिक व्यवहार ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विपरीत हो, तो बाकी बुद्धिजीवियों तथा आम शिक्षित-अशिक्षित लोगों के बारे में क्या अपेक्षा कर सकते हैं!
आज भी हमारा समाज कई तरह के अंधविश्वासों, पाखण्डों की जकड़ में गिरफ़्त है। जातिवादी भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, ढोंगी बाबाओं का प्रभाव, डायन-चुड़ैल के नाम पर महिलाओं की हत्याएँ, हर काम करने से पहले मुहूर्त देखना, कर्म के बजाय राशि व पूर्व निर्धारित भाग्य पर भरोसा करना, आधुनिक विज्ञान के नियमों को आधार बनाकर वैज्ञानिक चेतना फैलाने के बजाय धार्मिक ग्रंथों में विज्ञान ढूँढना, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बजाय तांत्रिकों, ओझाओं, पीर-फ़क़ीरों से इलाज/समाधान की उम्मीद करना आदि आदि।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संबंध तर्कशीलता से है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार वही बात ग्रहण के योग्य है जो प्रयोग और परिणाम से सिद्ध की जा सके, जिसमें कार्य-कारण संबंध स्थापित किये जा सकें। चर्चा, तर्क और विश्लेषण वैज्ञानिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण अंग है। गौरतलब है कि निष्पक्षता, मानवता, लोकतंत्र, समानता और स्वतंत्रता आदि के निर्माण में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण कारगर सिद्ध होता है।

आओ तर्कवादी, विवेकशील, वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त समाज निर्माण करने की ओर आगे बढ़ें। किसी भी देश व समाज का विकास विज्ञान व तकनीकी के विकास व उसका मानवता के हित में उपयोग करने। समाज के तर्कशील व अंधविश्वास मुक्त होने से ही हो सकता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *