Category: दुर्ग-भिलाई

  • फिर आसमां छूने को तैयार पाटन के पर्वतारोही चमन

    फिर आसमां छूने को तैयार पाटन के पर्वतारोही चमन

    रायपुर, 27 अगस्त 2023/ पाटन के चमन लाल कोसे ने पर्वतारोहण क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम करने जा रहे है। तंजानिया देश मे स्थित अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलीमंजारो फतह करेंगे। पर्वतारोही चमन का अपने कैरियर में अंतर्राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत है। छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने दिया आर्थिक सहयोग।

    अगले अभियान के लिए है तैयार

    अगले महीने 15 सितंबर को रायपुर से इस अभियान के लिए निकलेंगे। चमन अफ्रीका महाद्वीप के सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (19,341 फिट / 5,895 मीटर) की ऊंची चोटी पर चढ़ाई करेंगे। जो कि महाद्वीपो के पहाड़ो की ऊँचाई की रैंकिंग में चौथा सबसे ऊंची चोटी है।

    अभियान की संक्षिप्त विवरण

    चमन लाल कोसे माउंट किलिमंजरो पीक को 8-10 दिनों में फतह करेंगे। इस दौरान लगभग माइनस (-15 डिग्री) तापमान तक मे ट्रेकिंग के द्वारा लगभग 53 किलोमीटर दूरी तय करके पूरा करेंगे।

    ये रही अभियान की विशेषता

    चमन लाल कोसे अल्पाइन टेक्निक क्लाइम्बिंग (Alpine Technique Climbing) के साथ साथ विंटर एक्सपीडिशन (Winter Expedition) में एक्सपर्ट है। अल्पाइन टेक्निक से क्लाइम्बिंग यानी इस चढ़ाई में अमूमन 1-2 लोग ही होते हैं और अभियान को पूरा करते हैं। यह पर्वतारोहण के क्षेत्र में सबसे उच्चतम श्रेणी की विधा है। राष्ट्रीय स्तर पर विंटर एक्सपीडिशन करने वाले भी छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति चमन लाल कोसे हैं। सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पहाड़ों पर छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम पर्वतारोही राहुल गुप्ता ‘माउंटेन मेन’ ने वर्ष 2015 से एक्सपीडिशन करना शुरू किया था।

    पहले भी शिखर पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का झंडा फहरा कर संदेश दिया था।

    छत्तीसगढ़िया ओलंपिक को एडवेंचर स्पोर्ट्स के जरिये बढ़ावा देने लिए चमन ने 17,353 फीट पर हिमाचल प्रदेश के माउंट फ्रेंडशिप पीक “छत्तीसगढ़िया ओलंपिक” का झंडा फहराया था। इस अभियान के लिए चमन लाल कोसे ने अपने विधायक और प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल का आभार व्यक्त अपने तरीके से किया है। चमन ने सीएम भूपेश बघेल को समर्पित करते हुए #पाटनवालेकका का पोस्टर शिखर पर फहराया था। उन्होंने कहा कका के सहयोग के बिना पर्वतारोही बन पाना संभव नहीं था।

    कौन हैं पाटन के चमन

    26 वर्षीय चमन लाल कोसे दुर्ग जिले के पाटन के निवासी हैं। चमन एक मध्यम वर्गीय परिवार के है। उनके पिता एक किसान हैं। साथ ही चमन वर्तमान समय में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर में समाजकार्य विभाग (MSW) के तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी हैं।

    यहां मिली ट्रेनिंग

    पर्वतारोही चमन लाल कोसे ने सिक्किम के पर्वतारोहण संस्थान से माउंटेनियरिंग (पर्वतारोहण) और माउंट आबू, राजस्थान में स्थित स्वामी विवेकानंद इंस्टिट्यूट से रॉक क्लाइम्बिंग का कोर्स किया है। पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेलों के क्षेत्र में पिछले 5 सालों का अनुभव रहा है। उन्होंने उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ के एडवेंचर स्पोर्ट्स बेस्ड कंपनी व संस्थान में भी काम सीखा है।

  • ईको-फ्रेंडली कैंपस के रूप में विकसित हो रहा खैरागढ़ विश्वविद्यालय, प्रत्येक शनिवार को पेट्रोल-डीजल चलित वाहन प्रतिबंधित

    ईको-फ्रेंडली कैंपस के रूप में विकसित हो रहा खैरागढ़ विश्वविद्यालय, प्रत्येक शनिवार को पेट्रोल-डीजल चलित वाहन प्रतिबंधित

    खैरागढ़, 2 जून 2023। इंदिरा कला संगीत विशविद्यालय खैरागढ़ में ग्रीष्मकालीन अवकाश की अवधि का पूरा सदुपयोग किया जा रहा है। विश्वविद्यालय परिसर की साफ-सफाई के लिए वैसे तो नियमित व्यवस्था सक्रिय है, लेकिन जैसे ही ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रारंम्भ हुआ, वैसे ही परिसर की स्वच्छता, सौन्दर्यीकरण और पर्यावरण की दृष्टि से ज़रूरी विभिन्न गतिविधियां तेज कर दी गई हैं। ताकि शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के बाद इन कार्यों के कारण शैक्षणिक गतिविधियां बाधित न हों और विद्यार्थियों को असुविधा का सामना न करना पड़े। इसी कड़ी में, विश्वविद्यालय परिसर के लगभग 10 भवनों का नामकरण करते हुए उन भवनों के द्वार पर आकर्षक एलईडी बोर्ड लगाए गए हैं।

    उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डॉ. ममता (मोक्षदा) चंद्राकर की मंशानुसार कैम्पस में इको-फ्रेंडली वातावरण बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के उपक्रम नियमित रूप से जारी हैं। इसके अंतर्गत स्वच्छता और पेड़-पौधों की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विशविद्यालय के भवन निर्माण प्रभाग के द्वारा पर्यावरण के अनुुकुल सौन्दर्यीकरण के कार्य कराये जा रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के 10 भवनों के द्वार पर आकर्षक एलईडी बोर्ड लगाए गए हैं। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी विनोद डोंगरे ने बताया कि कला, संस्कृति और साहित्य की महान विभुतियों को समर्पित करते हुए विश्वविद्यालय के इन भवनों का नामकरण किया गया है।

    विदित हो कि 06 मार्च 2023 को कुलपति डॉ. चन्द्राकर की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें कुलसचिव, सभी अधिष्ठाता और विभागाध्यक्ष मौजूद थे। उक्त बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों में यह भी शामिल था कि विश्वविद्यालय परिसर को पर्यावरण के अनुकुल बनाने की दिशा में और भी जरूरी कदम उठाए जाएँ तथा नियमित रूप से उनकी समीक्षा की जाए। उक्त निर्णय के परिपेक्ष्य में कुलसचिव प्रो. डॉ. आईडी तिवारी ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक अब प्रत्येक शनिवार को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय-1 में पेट्रोल/डीजल से चलित वाहनों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा, किन्तु साइकिल की अनुमति होगी। यह आदेश समस्त/शिक्षक/अधिकारी/संगतकार/कर्मचारी एवं विद्यार्थियों के लिए लागू होगा। कार्बन उत्सर्जी उपकरणों के इस्तेमाल पर नियंत्रण रखते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है।

    कला के विविध रूपों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पूरे एशिया में विख्यात इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति भी सजगता और तत्परता का एक अनुकरणीय उदाहरण है। जनसंपर्क अधिकारी विनोद डोंगरे ने बताया कि यहाँ क्लाइमेट चेंज और उसके प्रभावों पर केंद्रित दो-दो राष्ट्रीय संगोष्ठियां आयोजित की गयीं। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘जी-20 भारत 2023’ की परिकल्पना के अनुरूप विश्वविद्यालय के हिन्दी, अंग्रेजी और आजीवन शिक्षा विभाग द्वारा दो नेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित कराए गए। कई पर्यावरण विशेषज्ञ, एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट, टीचर्स, स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स इन आयोजनों के साक्षी बने। इसके अलावा विश्वविद्यालय परिवार समय-समय पर सामाजिक संस्थाओं के साथ सहभागी होकर ऐसे अभियानों में अपनी अग्रणी भूमिका दर्ज कराता रहा है।

  • 5 साहीवाल नस्लों की गायों से प्रतिदिन 30 लीटर दूध का होता है उत्पादन

    5 साहीवाल नस्लों की गायों से प्रतिदिन 30 लीटर दूध का होता है उत्पादन

     

     

    दुर्ग, 01 जून 2023/

     

    जिले के ग्राम पंचायत चंदखुरी के राजश्री महिला स्व सहायता समूह 5 साहीवाल नस्ल के द्वारा दुग्ध व्यवसाय का संचालन किया जा रहा है। जिससे उत्पादित दुध को पोटिया के साईं मिल्क पार्लर में विक्रय कर समूह की दीदियां एक बेहतर आमदनी आय के रूप में प्राप्त कर रही है। इन उच्च नस्ल की गायों के द्वारा प्रतिदिन 30 लीटर दूध की प्राप्ति हो रही है। जिसे मिल्क पार्लर में 42 रूपए प्रतिलिटर की दर से समूह के द्वारा बेचा जा रहा है। अर्थात् दिए गए आंकड़ों के आधार पर समूह की दीदियों को प्रतिमाह लगभग 38 हजार रूपए की आमदनी केवल दूध से प्राप्त हो रही है।
    समूह की अध्यक्ष श्रीमती टोमिन चंद्राकर ने बताया कि समूह के द्वारा न केवल डेयरी का संचालन किया जा रहा है बल्कि गोधन की सेवा भी की जा रही है। जिसके अंतर्गत साहीवाल नस्ल की गायों को नेपियर घास और यूरिया उपचारित पैरा आहार के रूप में प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही भीषण गर्मी के मद्देनजर गायों को नहलाने से लेकर पीने की  पानी की पर्याप्त व्यस्था भी गोठान में की गई है।
    गौठान में विभिन्न आर्थिक गतिविधियां संचालित कर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है। शासन की नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के अंतर्गत जिले के ग्राम चंदखुरी के गौठान में विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं, जिसमें गाय पालन की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि गाय से न केवल दूध बल्कि खेती के लिए गोबर से खाद प्राप्त होता है। यह एक बहुत अच्छा व्यवसाय है। गाय पालन का व्यवसाय एक आय का स्त्रोत ही नहीं बल्कि लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है।
    समूह की अन्य सदस्य श्रीमती श्रद्धा ठाकुर ने बताया कि गौठानों में संचालित विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों के माध्यम से सभी समूह आर्थिक दृष्टिकोण से फल फूल रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि डेयरी से होने वाली आमदनी उनके परिवारिक आर्थिक भार को कम करने में उपयोगी सिद्ध हो रही है। इसके साथ ही गाय के अन्य उत्पादों के माध्यम से भी समूह की महिलाओं को अतिरक्त आय प्राप्त हो रही है।

  • अपर कलेक्टर  पदमिनी भोई साहू ने जनदर्शन में सुनी आमलोगों की समस्याएं

    अपर कलेक्टर पदमिनी भोई साहू ने जनदर्शन में सुनी आमलोगों की समस्याएं

    दुर्ग 9मई 2023/

    अपर कलेक्टर श्रीमती पदमिनी भोई साहू ने आज जनदर्शन में कई आवेदनों का मौके पर ही त्वरित निराकृत करते हुए अन्य आवेदनों का शीघ्र निराकरण करने के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। कलेक्टर जनदर्शन में आज 142 आवेदन प्राप्त हुए।
    खम्हरिया निवासी ने अपने बच्चे के इलाज के दौरान पल्स अस्पताल भिलाई द्वारा की जा रही राशि की मांग के संबंध में अपर कलेक्टर से शिकायत की। उन्होंने अवगत कराया कि बेटी का सम्पूर्ण इलाज आयुष्मान कार्ड के द्वारा किया जा रहा है, फिर भी पल्स अस्पताल भिलाई द्वारा इलाज के लिए नगद जमा करने एवं दवाईयां मंगवाई जा रही है। इस पर अपर कलेक्टर ने मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

    बोरसी भांठा के समस्त वार्डवासी ने सड़क चौड़ीकरण में प्रभावित मकान एवं दुकान का मुआवजा राशि की मांग की। वार्डवासीयों ने बताया कि वार्ड 50 बोरसी भांठा में सड़क चौड़ीकरण होने के कारण 28 परिवारों का मकान एवं दुकान प्रभावित हुआ है, जिनकी मुआवजा राशि अभी तक प्रदान नही की गई है। इस पर अपर कलेक्टर ने तहसीलदार दुर्ग को कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

    ग्राम पंचायत डुमरडीह में मनरेगा के तहत भाठा तालाब में अवैध मुरूम खनन की शिकायत की। बताया गया कि तालाब में जेसीबी लगाकर अवैध मुरूम खनन कर सरपंच द्वारा बेचा जा रहा है। इस पर संबंधित अधिकारी को जांच करने के निर्देश दिए।

    ग्राम चिंगरी निवासी ने श्रम विभाग द्वारा संचालित असंगठित कर्मकार प्रसुति सहायता योजना के तहत प्राप्त होने वाली राशि के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। उनके द्वारा प्रसुति सहायता योजना के तहत संबंधित विभाग में आवेदन प्रस्तुत किया था। छह माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी उनको राशि प्राप्त नही हुई है। इस संबंध में उन्होंने विभाग से भी संपर्क किया, लेकिन फंड न होनेे की जानकारी दी। इस पर अपर कलेक्टर ने श्रम विभाग के अधिकारी को आवश्यक कार्यवाही करने को कहा।

    वार्ड क्रमांक 19 कैलाश नगर तितुरडीह में नाली सफाई का कार्य नियमित नही होने की शिकायत की। उन्होंने बताया कि वार्डवासियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नाली का बहाव सही नही होने के कारण नाली का गंदा पानी सभी के घरों में घुस जा रहा है। जिसके कारण गंदे पानी से स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही कीड़े मकौडे का भी डर बना रहता है। इस पर अपर कलेक्टर ने आयुक्त नगर निगम दुर्ग को कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
    रूआबांधा वार्डवासियों ने बस्ती का रजिस्टीकरण किए जाने के लिए आवेदन किया।  उनका कहना है कि रूआबांधा बस्ती बहुत पुरानी बस्ती है, जहां लगभग 50 वर्षो से मजदूर बस्ती में निवासरत है। यहां अधिकांश लोग रोजी मजदूरी कर अपना घर चलाते हैं। वह एक स्थाई व्यवस्थित चाहते हैं। इस पर अपर कलेक्टर ने संबंधित विभाग को कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

    भाटापारा कोहका भिलाई द्वारा भेलवा तालाब का सीमांकन कराने एवं अवैध कब्जा हटाने, ग्राम अंडा तालाब से द्ववारिका डीह पहंुच मार्ग में भ्रष्टाचार की शिकायत, राजस्व अभिलेख में रिकार्ड दुरूस्ती आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कराने, गयाबाई पूर्व माध्यमिक शाला गया नगर में स्थित पुराने वृक्ष को कटवाने, झुग्गी झोपड़ी पट्टा दिलाने, अवैध कब्जा, भूमिआबंटन से संबंधित आवेदन प्राप्त हुए।

  • शासकीय उचित मूल्य दुकान को लेकर  4 घंटे के भीतर कलेक्टर ने जनहित में जारी किया आदेश

    शासकीय उचित मूल्य दुकान को लेकर 4 घंटे के भीतर कलेक्टर ने जनहित में जारी किया आदेश

    दुर्ग, 18 अप्रैल 2023/

    आज कलेक्टर जनदर्शन में कलेक्टर श्री पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के समक्ष् शहर के जनप्रतिनिधि द्वारा भीषण गर्मी को मद्दे नजर रखते हुए जनहित में शासकीय उचित मूल्य दुकान खाद्य एवं खाद्यान्न वितरण के समय परिवर्तन को लेकर आवेदन प्रस्तुत किया गया। आवेदन के अनुसार भीषण गर्मी को देखते हुए मुख्य रूप से वृद्ध जन जो कि शासकीय उचित मूल्य दूकान से राशन प्राप्त करते हैं। उनको सहूलियत देने के लिए समय में परिर्वतन की मांग की गई थी। जिसमें सुबह 7ः00 से 12ः00 बजे तक व शाम को 4 बजे से 7ः00 बजे तक के नवीन समय के लिए मांग रखी गई थी। जनहित को ध्यान में रखकर कलेक्टर ने संबंधित  विभाग के लिए मात्र 4 घंटे के भीतर ही आदेश जारी किया।  ताकि आमजन का हित प्रभावित न हो और सुलभता के साथ उन्हें राशन प्राप्त हो सके।
    गांधी मेमोरियल स्कूल अहिवारा से संबंधित शिकायत लेकर एक पालक कलेक्टर जनदर्शन पहुंचा था। जहां उसने स्कूल प्रबंधन के ऊपर सावालिया निशान खड़े किए थे। आवेदक का कहना था कि स्कूल में हर वर्ष प्रत्येक कक्षा की पुस्तकों में परिर्वतन किया जाता है। इसके साथ ही साथ ये पुस्तकें स्कूल को कमीशन देने वाले संबंधित दुकानों में ही उपलब्ध रहती हैं। नर्सरी से प्राथमिक कक्षा तक की पुस्तकों के लिए 3 हजार से 4 हजार रूपए की राशि खर्च करनी पड़ती है। जिसका भुगतान कर पाना सामान्य वर्ग के परिवार के लिए संभव नहीं है। परंतु बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए यह पालक की मजबूरी बन जाती है, कि वो ऊंची दरों पर इन पुस्तकों को खरीदे। गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार कमीशन के इस खेल का शिकार लगातार हो रहा है। इसलिए आवेदक का कलेक्टर से निवेदन था कि स्कूल प्रबंधन द्वारा की जा रही मनमानी पर लगाम कसी जाए। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को इस संदर्भ में त्वरित कार्रवाई व कोई भी स्कूल प्रबंधन मनमानी न कर सके इसके लिए शिक्षा निति के तहत् तय गाईड लाईन के अनुसार स्कूल अपना संचालन करे, इसके लिए निर्देशित किया।

  • मातृभाषा में लिखना-पढ़ना औपनिवेशिक सोच का अंत है-कुलपति प्रो.शाही

    मातृभाषा में लिखना-पढ़ना औपनिवेशिक सोच का अंत है-कुलपति प्रो.शाही

    भिलाई,22 फ़रवरी 2023\ श्री शंकरचार्य प्रोफ़ेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई द्वारा 21 फरवरी अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान आयोजित किया गया। आयोजन के मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.(डॉ.) सदानंद शाही, कुलपति श्री शंकराचार्य प्रोफ़ेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई रहें। इस अवसर पर कुलपति डॉ. शाही ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ का आयोजन करता है। दुनिया में 7,000 से अधिक भाषाएँ हैं, जबकि अकेले भारत में लगभग 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ, 1635 मातृभाषाएँ और 234 पहचान योग्य मातृभाषाएँ हैं। यूनेस्को द्वारा इसकी घोषणा 17 नवंबर, 1999 को की गई थी और वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में इस दिवस का आयोजन किया जा रहा है।यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित करता है। 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा सुझाया गया था।उन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुई हत्याओं को याद करने के लिये उक्त तिथि प्रस्तावित की थी।इस पहल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, प्रत्येक दो हफ्ते में एक भाषा लुप्त हो जाती है और मानव सभ्यता अपनी संपूर्ण सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत खो रही है।वैश्वीकरण के कारण बेहतर रोज़गार के अवसरों के लिये विदेशी भाषा सीखने की होड़ मातृभाषाओं के लुप्त होने का एक प्रमुख कारण है। प्रो. शाही ने कहा कि प्रत्येक भाषा एक सांस्कृतिक इकाई की उपज होती है, किंतु कालांतर में प्रत्येक भाषा अपनी एक अलग संस्कृति का निर्माण करती हुई चलती है। कार्यक्रम में डॉ. ललित कुमार ने पत्रकरिता और मातृभाषा पर अपनी बात रखी वहीं प्रो.(डॉ.) शिल्पी देवांगन ने छत्तीसगढ़ में, डॉ. रविंद्र कुमार यादव ने अवधी में डॉ. सारिका तिवारी ने अपनी मातृभाषा ब्रज में एवं छात्रा रागिनी नायक ने अपनी मातृभाषा उड़िया में अपनी परिचय दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविंद्र कुमार यादव, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग ने किया। इस अवसर पर छात्रों एवं प्राध्यापकों की गरिमामई उपस्थित रहीं।

  • मां का दूध नहीं पी पा रहा था 3 दिन का नवजात शिशु

    मां का दूध नहीं पी पा रहा था 3 दिन का नवजात शिशु

    दुर्ग 03 जनवरी 2023

    जिला अस्पताल में 3 दिन के मासूम बच्चे को मां का दूध पीने में समस्या आ रही थी। इसका कारण यह था कि बच्चा जन्म से कटे फटे होंठ वाला था। इतने छोटे बच्चे का बच्चे की सर्जरी अभी संभव नहीं थी लेकिन फीडिंग नहीं होने की वजह से उसके लिए काफी दिक्कतें थी। माता मूकबधिर है तथा पिता मानसिक रूप से विकलांग है ऐसे में बच्चे के सरवाइवल के लिए तुरंत निर्णय लिया गया की इसकी फीडिंग के लिए होंठों के पास फीडिंग प्लेस तैयार किया जाए। अब इस फीडिंग प्लेस के माध्यम से बच्चा 6 महीने तक दूध पी सकेगा। इसके बाद कटे फटे होंठ की सर्जरी कर दी जाएगी।
    इस संबंध में जानकारी देते हुए बच्चे का ट्रीटमेंट कर रही डॉक्टर रेणु जायसवाल ने बताया कि इतने छोटे बच्चे में फीडिंग प्लेस लगाना काफी बारीक काम होता है लेकिन यह सफलतापूर्वक हो पाया। अब बच्चा आसानी से फीड कर सकेगा। जिला चिकित्सालय में सुविधाएं बढ़ने से मरीजों को बड़ी राहत मिली है। इस कार्य के लिए डॉ जायसवाल और टीम को सिविल सर्जन डॉ शर्मा ने बधाई दी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जेपी मेश्राम ने भी जिला अस्पताल की टीम को बधाई दी है।

  • दुर्ग जिला प्रशासन के नवाचार बायोफ्लॉक मत्स्य पालन सिस्टम में 15 हजार मछलियां तैर रही

    दुर्ग जिला प्रशासन के नवाचार बायोफ्लॉक मत्स्य पालन सिस्टम में 15 हजार मछलियां तैर रही

    दुर्ग 25 जनवरी 2023

    विकासखंड धमधा के ग्राम पंचायत पथरिया में जिला प्रशासन, मत्स्य पालन के विस्तार के लिए बायोफ्लॉक सिस्टम द्वारा नवाचार कर रहा है। 15 हजार तिलापिया मछलियों के बीज से इसकी शुरुआत पथरिया के महिला ग्राम संगठन की 10 दीदियों द्वारा की गई है। जिसमें निषाद वर्ग से 7 महिलाएं कार्य कर रहीं हैं। पथरिया (डोमा) के गौठान में मछली पालन के लिए 7 लाख 50 हजार की लागत से बायोफ्लॉक का इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में 7 टंकियां बनाई गई हैं व 50 हजार की अतिरिक्त राशि चारे (प्रोबायोटिक) व अन्य उपकरणों में खर्च की गई है।

    “कोयतुर फिश फार्मिंग“ से ट्रेनिंग प्राप्त प्रशिक्षक ने दी है ट्रेनिंग- मतस्य विभाग की उपसंचालक श्रीमती सुधा दास ने बताया कि विभाग द्वारा ग्राम संगठन कार्यकर्ताओं को बायोफ्लॉक से संबंधित इंट्रेक्टिव ट्रेनिंग देने के लिए लोकल स्तर पर संबंधित कार्य करने वालों से संपर्क साधा गया। जिसमें कुम्हारी की सुश्री वंदना सुरेन्द्र को प्रशिक्षण के लिए चुना गया। सुश्री वंदना सुरेंद्र कोयतुर फिश फार्मिंग से ट्रेनिंग ले चुकी हैं और कुम्हारी में स्वयं का बायोफ्लॉक का स्टार्टअप कर रही हैं। ग्राम संगठन की दसों महिलाओं को इंट्रेक्टिव तरीके से एक दिन का लाईव सेशन कराया गया है। उन्हें बायोफ्लॉक से संबंधित अपडेट निरंतर मिले इसके लिए उनका एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। जिसमें समय-समय पर उन्हें विडियो और संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं।

    मछलियों के लिए बोरी तहसील का मार्केट तैयार- पथरिया में बोरी को नवीन तहसील का दर्जा दिए जाने के बाद यहां का स्थानीय मार्केट खपत के दृष्टिकोण से एक बड़े मार्केट के रूप में तब्दील हो चुका है। इसके साथ-साथ गांव में भी और नजदीकी हाट बाजारों में भी मछली की बिक्री की जा सकेगी।

    04 क्विंटल मछली से साढ़े तीन लाख की शुद्ध कमाई 6 महीने में- बायोफ्लॉक की 7 टंकियों का निर्माण कराया गया है। जिसमें कुल 15 हजार मछलियों के बीज डाले गए हैं। प्रत्येक मछली लगभग 500 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम वजन के लिए बढ़ाई जाएगी। अनुमानित आंकड़ा लगभग 4 क्विंटल के करीब है। जिससे शुध्द कमाई का आंकड़ा लगभग साढ़े तीन लाख होने की उम्मीद है।

    बर्ड नेट, डिसोल्व ऑक्सीजन, फ्रेश वाटर, सॉल्ट वाटर, टेस्टिंग किट व टीडीएस मीटर से सुसज्जित है बॉयोफ्लॉक- पथरिया के बॉयोफ्लॉक टैंक सिस्टम को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं। क्योंकि मछलियां पानी के अंदर समान्यतः डिसोल्व ऑक्सीजन को ग्रहण करती हैं, इसलिए डिसोल्व ऑक्सीजन टेस्टिंग किट उपलब्ध कराई गई हैं। ताकि दीदियां समय-समय पर पानी में ऑक्सीजन की स्थिति पता लगाकर वस्तु स्थिति अनुरूप निर्णय ले सकें और ज्यादा से ज्यादा फिश ग्रोथ हासिल कर सके। इसके अलावा टैंक के अंदर मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए बर्ड नेट भी लगाए गए हैं। ताकि पक्षी मछलियों को अपना चारा न बना सके। फ्रेश वाटर, साल्ट वाटर, टेस्टिंग किट, टी.डी.एस. मीटर, वाटर पंप, पी.एच. मीटर, टेम्परेचर मीटर, सोलर पैनल और बैटरी बैकअप सिस्टम इत्यादि भी बायोफ्लॉक टैंक के लिए उपलब्ध है।

    सहजीविता बायोफ्लॉक की सबसे बड़ी विशेषता- फिशरी इंस्पेक्टर धमधा की सुश्री स्वीटी सिंह ने बायोफ्लॉक सिस्टम के संबंध में विशेष जानकारी देते हुए बताया कि सहजीविता इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। जिसमें जलीय जीव और परपोषी बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव आपस में सहजीवी प्रक्रिया द्वारा एक इकोसिस्टम तैयार करते हैं। परपोषी बैक्टीरिया मछली के वेस्ट प्रोडक्ट को अपना आहार बनाते हैं और आगे चलकर हाई प्रोटीन में तब्दील होकर मछलियों का चारा बनते हैं। इस तरीके की पुनरावृत्ति से एक साइकिल निर्मित होती है जिससे पानी साफ रहता है, मछली बीमार नहीं पड़ती और एक ही स्थान पर परपोषी बैक्टीरिया और मछली दोनों को अपना आहार मिल जाता है। यही कारण है कि बायोफ्लॉक सिस्टम जैव सुरक्षा व इको फ्रेंडली सिस्टम दोनों का समर्थन करता है।

    उप संचालक श्रीमती सुधा दास ने बताया कि कलेक्टर श्री पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में जिले में बायोफ्लॉक जैसे नवीनतम जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग को अपनाया जा रहा है ताकि कम मार्जिन वाले मत्स्य पालक को भी ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके। उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक सिस्टम द्वारा शुरुआती इन्वेस्टमेंट व मॉनिटरिंग सिस्टम से 50 से 70 प्रतिशत तक इस व्यवसाय को कॉस्ट इफेक्टिव बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा मिलने से मछलीपालन के लिए सुविधाओं में जहां वृद्धि हुई है वहीं इस व्यवसाय से कई महिला स्व सहायता समूह इस व्यवसाय से जूड़ रही हैं। इसमें और विस्तार हो इसके लिए मतस्य संपदा योजना व अन्य योजनाओं की जानकारियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

  • मकान की आस होगी पूरी, आस के अंतर्गत 4588 आवेदन लिये गये,

    मकान की आस होगी पूरी, आस के अंतर्गत 4588 आवेदन लिये गये,

    दुर्ग 25जनवरी 2023

     

    शहरी इलाकों में मकान का सपना सपना ही रह जाता है। अच्छे लोकेशन में जमीन की कीमत ही इतनी अधिक होती है कि आम आदमी के लिए वन बीएचके फ्लैट भी खरीद पाना मुश्किल होता है। सरकार की योजना आस से किरायेदारों का खुद का मकान का सपना पूरा हो रहा है। अफोर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप योजना आस में लगभग 4 हजार मकान भिलाई निगम में तैयार हो रहे हैं। पहले चरण में जब इन मकानों के लिए आवेदन मंगवाए गए तो 4588 आवेदन लोगों ने क्रय किये हैं जिसमें अब तक 1250 आवेदन रिसीव हुए हैं जिनमें स्क्रूटिनी के बाद 1200 आवेदन वैध पाये गये हैं। इनके लिए शहर की सबसे अच्छी लोकैलिटी में मकान तैयार किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मकानों का निर्माण तेजी से गुणवत्तायुक्त कराया जा रहा है। लगभग चार सौ मकानों का काम पूरा हो चुका है। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में आयुक्त श्री रोहित व्यास योजना के क्रियान्वयन की लगातार मानिटरिंग कर रहे हैं।

    प्राइम लोकेशन, इंटीरियर भी बढ़िया- एफोर्डेबल हाउसिंग प्लान के अंतर्गत जो मकान बनाये जा रहे हैं उनकी लोकेशन तो अच्छी है ही, वन बीएचके में दी जाने वाली सुविधा के हिसाब से भी मकान काफी अच्छे हैं। मकान के सामने गैलरी बनी हुई है। किचन एवं अन्य कमरों में वेंटीलेशन बढ़िया है। मकान हवादार हैं। पानी का इंतजाम सभी मकानों में है और इसके लिए टंकियां तैयार कर दी गई हैं। ड्रेनेज की अच्छी व्यवस्था है।

    आस में सरकार का अंशदान डेढ़ लाख रुपए, चिन्हारी में चार लाख रुपए- सरकार द्वारा जो मकान बनवाये जा रहे हैं उनका एलाटमेंट मोर मकान मोर आस और मोर मकान मोर चिन्हारी दोनों ही योजनाओं के लिए किया जा रहा है। आस के अंतर्गत केंद्र सरकार का अंशदान डेढ़ लाख रुपए होता है और हितग्राही का अंशदान दो लाख 98 हजार रुपए से 3 लाख 61 हजार रुपए तक होता है। चिन्हारी में केंद्र का अंशदान डेढ़ लाख रुपए, राज्य का अंशदान ढाई लाख रुपए और हितग्राही का अंशदान 75 हजार रुपए होता है।

    विस्थापित नागरिकों को मिला आवास- कैनाल रोड से विस्थापित श्रीमती कमलादेवी शर्मा को आम्रपाली वनांचल सिटी में आवास मिला है। उन्होंने कहा कि हमने अपना अंशदान दिया है और सरकार ने भी अपना अंशदान दिया है जिससे हमें यहां घर मिल गया है। चिन्हारी की योजना अच्छी योजना है जिससे विस्थापित लोगों की समस्या दूर होती है।

  • निरमा के एड की तरह ही बताती हूँ पहले मेरे वाशिंग पाउडर को इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो

    निरमा के एड की तरह ही बताती हूँ पहले मेरे वाशिंग पाउडर को इस्तेमाल करो, फिर विश्वास करो

    दुर्ग 27 दिसंबर 2022

    पथरिया डोमा की पुष्पलता की कहानी उद्यम का सपना लिये उन महिलाओं के लिए प्रेरक साबित हो सकती है जिनके मन में काफी उत्साह और मेहनत करने के लिए काफी ऊर्जा है। पुष्पलता पारकर ने साल भर पहले ही पंचायत विभाग से ट्रेनिंग लेकर वाशिंग पाउडर बनाने का काम सीखा। अपना ब्रांड काफी अच्छा हो, इसके लिए क्वालिटी में काफी मेहनत की। फिर गांव-गांव अपने प्रोडक्ट को लेकर घूमी। शुरूआती दौर में लोगों ने प्रश्न पूछा कि आपसे क्यों लें जब वाशिंग पावडर के दूसरे नेशनल ब्रांड हमारे पास उपलब्ध हैं। तब निरमा की टैगलाइन की तरह ही उन्होंने कहा कि एक बार आप इस्तेमाल कर देखिए, फिर आपको भरोसा होगा कि सस्ती कीमत में यह वाशिंग पाउडर पूरी गुणवत्तायुक्त है। धीर-धीरे बाजार खड़ा हो गया। फिर सी-मार्ट में भी इनका प्रोडक्ट उपलब्ध हो गया। आसपास के पंद्रह गांवों में इनका सामान जाने लगा। जब काफी माँग आने लगी तो इन्होंने ई-रिक्शा खरीद लिया। यह उन्होंने बिहान के माध्यम से लोन में लिया। ई-रिक्शा के माध्यम से पुष्पलता सामान छोड़ती हैं। पुष्पलता ने बताया कि वे स्वयं ई-रिक्शा चलाती हैं उनके पति भी इसे चलाते हैं। धीरे-धीरे काम को विस्तार देना है। पुष्पलता ने बताया कि यह काम करके काफी अच्छा लग रहा है। आत्मविश्वास बढ़ गया है। हमारी एक ट्रेनिंग हुई थी, ट्रेनिंग में बताया गया कि आप बाजार में तभी लंबे समय तक रह सकते हैं जब सस्ती कीमत में अच्छी चीजें दें, मैं गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करती। कड़ी मेहनत करती हूँ इसलिए पैसे भी बचते हैं।
    पुष्पलता केवल अपने बिजनेस में निवेश नहीं कर रही। वे अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य में भी निवेश कर रही हैं। उनकी बेटी ख्याति स्वामी आत्मानंद स्कूल बोरी में पढ़ रही है। ई-रिक्शा से उन्हें एक लाभ और हुआ है। ई-रिक्शा के माध्यम से वो सैजेस के बच्चों को भी स्कूल तक छोड़ती हैं।