एग्रीविज़न ने किया कृषि चिन्हारी अभियान का पोस्टर विमोचन

0

रायपुर l
भारतीय ज्ञान की अद्वितीयता को कृषि के क्षेत्र में भी प्रमाणित करने के उद्देश्य से एग्रीविजन द्वारा कृषि चिन्हारी लेख संकलन अभियान चलाया जा रहा है।
इसमें देश भर के कृषि विद्यार्थी, शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों, प्रबुद्धजनों से भारतीय कृषि की गौरवशाली ज्ञान परंपरा को साझा करने हेतु आलेख आमंत्रित किये जाएंगे। ‘कृषि चिन्हारी’ अभियान में भारत की वैज्ञानिक कृषि ज्ञान परंपरा, प्राचीन कृषि पद्धतियों, जनजातीय कृषि ज्ञान विषय पर आलेख, शोधपत्र, अध्ययन आदि देश भर से आमंत्रित किये जा रहे हैं, जिसकी पंजीयन की आखिरी तिथि 05/05/24 है। गौरतलब है भारत प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान देश रहा है, प्राचीनकाल से ही भारत विश्व भर में मसालों एवं अनाजों का निर्यात करता रहा है। भारतीय मसालों की मांग विश्व भर में सर्वाधिक थी, भारतीय व्यापारी मसालों के बदलें में बहुमुल्य रत्न आदि का व्यापार किया करते थे। प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे वृक्षायुर्वेद, कृषि पराशर आदि में कृषि प्रबंधन की उन्नत तकनीकों का वर्णन किया गया है, जो आज के समय में भी प्रासंगिक है। वैसे ही कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन के संदर्भ में चाणक्य द्वारा रचित कौटिल्य अर्थशास्त्र में भी प्रबंधन नीतियों का वर्णन किया गया है। ऐसे बहुत से उन्नत ज्ञान जो आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं, परंतु आधुनिकीकरण की दौड़ में नकार दिया गया। भारत में फसलों की जैव-विविधता, उन्नत कृषि परंपरा कृषि के क्षेत्र में नयी तकनीकों के आने से समय के साथ लुप्त हो गयी। परंतु कृषि में बढ़ते रसायनों – उर्वरकों के प्रयोग ने विश्व भर के कृषि वैज्ञानिकों को कृषि की पद्धतियों पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है। कृषि की पद्धतियाँ समन्वित एवं प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने वाली होनी चाहिए। ऐसे गौरवशाली पुरातन ज्ञान के संकलन के उदेश्य से चलाये जा रहे एग्रीविजन द्वारा चलाये जा रहे “कृषि चिन्हारी” अभियान का पोस्टर का विमोचन इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ गिरीश चन्देल द्वारा किया गया। इस अवसर पर विवि अध्यक्ष भूपेंद्र चंद्रा, योगेश साय, आदित्य नारायण, हिमांशु, सौम्य, रोहन उपस्थित रहें।
एग्रीविजन कृषि चिन्हारी अभियान के कार्यक्रम समनव्यक एवं छत्तीसगढ़ प्रांत संयोजक निखिल तिवारी ने बताया की दीर्घकाल से भारत के बारें में जानबूझकर भ्रांतियां गढ़ी गयीl भारत सांप सपेरों का देश था, यह सर्वथा असत्य है। इस अभियान के माध्यम से हम भारत की प्राचीन वैज्ञानिक कृषि परंपरा को पुनर्स्थापित करने का कार्य करेंगे।

एग्रीविजन के राष्ट्रीय संयोजक शुभम पटेल जी ने बताया कि एग्रीविजन देश भर के कृषि विद्यार्थियों, विशेषज्ञों आदि से आलेख संकलित कर इसके दस्तावेजीकरण करके भविष्य में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवम् देश भर कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों से इन विषयों पर शोध करने की मांग भी करेगी। जिससे भारतीय ज्ञान प्रमाणिकता के साथ विश्वपटल पर आ सकें। की प्राचीन कृषि ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए चलाए जा रहे कृषि चिन्हारी अभियान का पोस्टर विमोचन किया गया|*


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *