राहुल से ममता, मथुरा-काशी से मुख्तार-अतीक तक, राजनाथ सिंह हर मुद्दे पर खुलकर बोले

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नई दिल्ली।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को नेटवर्क18 ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी को दिए एक इंटरव्यू में हर तरह के मुद्दों पर खुलकर बात की. राजनाथ सिंह ने चीन, पाकिस्तान से लेकर राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी और लोकसभा चुनाव से जुड़े हर मुद्दे पर खुलकर बातचीत की. उनका पूरा इंटरव्यू यहां है

आप घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष हैं. अब क्या बड़ी चीज लेकर आएंगे?
चीजें पूरी होने के कगार पर हैं. 7-8 दिनों में रिलीज होगी. जो कहें वो करें ये करना है. बीजेपी ने इसे चुनौती के रूप में लिया है. इस बार आश्वासन कि जो वादा किया है वो पूरा करेंगे.

सवाल-एक राष्ट्र एक चुनाव के बारे में आपकी निजी राय भी जानना चाहता हूं.

मेरा निजी मत है कि इससे समय और वक्त बचेगा. जब तैयारी हो जाएगी तो शुरू करने की तैयारी करेंगे.

आप लंबे समय से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की बात कर रहे हैं. इस बार आपने इसे उत्तराखंड में लागू कर दिया है. तो अगर मोदी जी का तीसरा कार्यकाल आता है, तो क्या आप राष्ट्रीय स्तर पर समान नागरिक संहिता लागू करेंगे?

उत्तर- घोषणापत्र आने दीजिए फिर पता चलेगा. मेरा मत है कि ये आना चाहिए. लेकिन विपक्ष फिजूल के मुद्दे उठाता है. किसी के धर्म पर यह मुश्किल नहीं आने वाली है.

सवाल-सीएए को नोटिफाई किया गया तो देश-विदेश में इसके खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन हुए. इस बार कुछ खास नहीं हुआ. क्या आपको लगता है कि लोग अब इस बात को समझ रहे हैं और आप इसे आगे बढ़ा पाएंगे?
उत्तर-सबसे बड़ा संकट विपक्ष के पास मुद्दों का अकाल है. उनके पास मुद्दे नहीं कि जनता को भरोसा दिला सकें. गलतफहमी पैदा की है उन्होंने. सीएए से किसी की नागरिकता नहीं समाप्त होने वाली है.

कल ममता बनर्जी ने कहा था कि ऐसा होने पर लोग वोट नहीं कर पाएंगे और उसके बाद डीएमके ने भी कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे.

स्वस्थ लोकतंत्र में लोगों को इस तरह गुमराह नहीं किया जाना चाहिए. और मुझे लगता है कि ममता जी भी इस बात से वाकिफ होंगी कि इस नागरिकता कानून का मतलब है कि किसी की भी नागरिकता खत्म नहीं होने वाली है.

क्रोनोलॉजी से देखें तो क्या सीएए के बाद एनआरसी भी आना चाहिए?

हमने नागरिकता दी है. लोगों के अंदर भय पैदा किया जा रहा है. इससे किसी को खतरा नहीं है. विपक्ष जनता की आंखों में धूल झोंककर राजनीति नहीं कर सकता है.

आपने अपना ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ का वादा पूरा किया. ‘अभी तो ये झांकी है, मथुरा, काशी बाकी है’ का नारा भी लगा. आप इसे किस प्रकार देखते हैं? क्या अगले कार्यकाल में इस पर काम आगे बढ़ाया जायेगा?
घोषणा पत्र में क्या होगा अभी नहीं कह सकते. मामला न्यायालय के अधीन है. फैसला आने का इंतजार करेंगे. भारत पंथ निर्पेक्ष देश है. मथुरा काशी न्यायाधीन है. जो फैसला होगा वो करेगा. राम मंदिर की तर्ज पर.

चुनाव का माहौल गर्म है, थोड़ी बात चुनाव की भी कर लेते हैं. 370 बहुत साहसिक लक्ष्य है. 303 से लगभग 20-25 प्रतिशत की वृद्धि. आप इसे कैसे देखते हैं? कहां से आएंगी सीटें?

कोई शंका नहीं. हम अश्वस्त हैं. एनडीए 400 पार क्योंकि बीजेपी और मोदीजी को जनता का जो विश्वास प्राप्त हो रहा है उस पर भरोसा है. मोदी के नेतृत्व में मिली विश्वसनीयता से जनता में भरोसा. इसलिए इतना समर्थन है.

विपक्ष का कहना है कि आप ईडी और सीबीआई जैसी विशेष एजेंसियों का इस्तेमाल सिर्फ उनके खिलाफ कर रहे हैं. आपने दो मुख्यमंत्रियों को भी सलाखों के पीछे भेजा है.

क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई नहीं होनी चाहिए. लोग कोर्ट जाते हैं अगर वहां फैसला आ रहा है तो व्यर्थ का आरोप क्यों. ये विरोध तथ्यों से परे है. एजेंसियां अपना काम कर रही हैं. जिन्हें गलत लग रहा है वो कोर्ट जा रहे हैं. वहां राहत नहीं मिल रही तो क्या हम थोड़े ही कोर्ट को चला रहे हैं. ये गलत अरोप विपक्ष न लगाए.

लोग कह रहे हैं कि विपक्ष एकजुट नहीं हो पा रहा था, लेकिन इस मुद्दे पर वो एक साथ आए हैं और हाल ही में एक बड़ी रैली भी हुई थी?

ये कैसी रैली थी? वे भी एक साथ नहीं आ रहे हैं. हम चाहते हैं कि स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में सकारात्मक सोच वाला प्रभावी विपक्ष हो. लेकिन ये विपक्ष अपनी भूमिका नहीं निभा पा रहा है. उन्हें प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए, वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, वे इसके लिए जिम्मेदार हैं. इसकी जिम्मेदारी हम पर नहीं है.
मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी को लेकर खासकर केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि देश में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए. हमारे देश में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं या नहीं, इस पर आपकी क्या राय है?

यूएन कौन होता है हमारे मामले में बोलने वाला है. केजरीवाल को कोर्ट से क्यों राहत नहीं मिल रही है. क्या हम आरोप वापस वापस ले लें. आरोप पहले से लगे हैं. अगर एजेंसियों ने गलत आरोप लगाए हैं तो राहत क्यों नहीं मिल रही. एक साकारात्मक सोच के सहारे एनडीए को बढ़ावा मिल रहा है.

जो नेता बीजेपी में आए उनके खिलाफ केस कामजोर या ड्रॉप हुए हैं?

कई बार क्लोजर रिपोर्ट की जरूरत पड़ती है. वो करते हैं. बाकी केस चलते रहते हैं. सरकार एजेंसियों के काम में दखल नहीं देती हैं.

कई नेता लंबे समय से सलाखों के पीछे हैं

राहुल बताएंगे कि हमें क्या करना चाहिए? हमारी सरकार को क्या करना चाहिए? उन पर जो भी आरोप लगे हैं, क्या हम ये कहें कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं? उनकी और हमारी सरकार में अंतर यही है. उनकी सरकारों में कितना भ्रष्टाचार हुआ ये दुनिया जानती है

राजनाथ जी, इन चुनावों से पहले एक और गर्म मुद्दा चुनावी बांड का है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है. तो मैं आपकी निजी राय जानना चाहता हूं कि जब आपने इसे लागू किया था, तो ऐसा करने के पीछे आपकी क्या सोच थी?

भविष्य में लोगों को पता चलेगा कि यह कितना उपयोगी था. अब तो नाम भी आ गया. ये अच्छी पहल थी. अब तो लोग ऐसा सवाल उठा सकते हैं कि किसने किसे वोट दिया ये भी जानकारी चाहिए. बहुत सारे चार्ज होते हैं कंपनियां पर, वो दान करते हैं. जिन पर केस हैं उन पर करवाई चलती रहेगी. इसमें और मुख्य मुद्दे में अंतर है.

विश्वसनीयता की बात भाजपा करती है. लेकिन परिवारवादी पार्टियां, कांग्रेस के नेता आ रहे हैं बीजेपी में.

बीजेपी की साख बढ़िया है. इसे साकारात्मक नजरिए से देखा जाना चाहिए. हम लंबे समय तक विपक्ष में रहे. लेकिन कांग्रेस तो ज्वाइन नहीं किया. विपक्षी पार्टियों को आत्म मंथन करना चाहिए ऐसा क्यों हो रहा है.

एक और मुद्दा जो पिछले चार-पांच वर्षों में रहा है वह किसान आंदोलन का मुद्दा है. पहले आप किसानों के लिए नया कानून लेकर आये, फिर उस कानून को रद्द कर दिया. हाल ही में फिर से विरोध प्रदर्शन हुआ है. क्या आप उनके सामने अपनी बात ठीक से नहीं रख पा रहे हैं, क्या उन्हें आपकी बात समझ नहीं आ रही है?
किसान बिल उनके हित में था. जिस तरीके से उन तक बात पहुंचानी चाहिए थी वो नहीं हो पाया. शायद और समय और संवाद की जारूरत थी. हमने वापस किया. अभी आंदोलन में किसानों से लगातर संवाद हुआ. 3 मंत्री लगे रहे. हम किसानों के लिए काम करते हैं. आय डबल करने का संकल्प पूरा हुआ है और अधिक होगा. पीएम किसान सामन निधि से पीएम खुदा पैसा मुहैय्या भी कराते हैं.

आपको इस बार दक्षिण भारत से बहुत उम्मीदें हैं, आप कह रहे हैं कि आप दक्षिण से काफी सीटें जीतेंगे. पिछली बार आप को 130 सीटों में से 29 सीटें मिली थीं. 25 कर्नाटक से और 4 तेलंगाना से थे. आप इसे कैसे बदलते हुए देखते हैं?
कर्नाटक से 28 की 28 सीटें जीतेंगे. विधानसभा चुनाव से अलग होता भी है. JDS से गठबंधन भी है. कोई झगड़ा नहीं है. तमिलनाडु में भी हम अच्छा लड़ेंगे. केरल में भी खाता खुलेगा. नंबर ऑफ सीटों के बारे अभी नहीं कहेंगे,लेकिन लक्ष्य हासिल करेंगे.

एक और मुद्दा है और वह है मुख्तार अंसारी की हालिया मौत का मुद्दा. उनके परिवार का कहना है कि उन्हें जहर दिया गया, इस पर आपकी क्या राय है? आप क्या कहना चाहेंगे?

ऐसे में मुझे लगता है कि मजिस्ट्रियल जांच बैठा दी गई है, उसकी रिपोर्ट आ जाएगी, मामला साफ हो जाएगा. ऐसा नहीं हो सकता. यह किसी भी परिस्थिति में संभव नहीं हो सकता. ये पूरी तरह से बेबुनियाद और निराधार आरोप हैं.

इससे पहले हमने एक और चीज देखी, अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ, जो माफिया डॉन थे, को तीन लोगों ने कैमरे पर मार डाला. विपक्ष का कहना है कि ये सारी बातें बताती हैं कि ये राज्य प्रायोजित हत्याएं हैं.

ये तो गैंगवार है, वो एक-दूसरे की हत्या करते हैं. ये राज्य प्रायोजित हो नहीं सकता. यह कोई नई बात नहीं है. योगी अच्छी सरकर चला रहे हैं. कानून और व्यवस्था बहुत अच्छा है. इतना अच्छा पहले कभी नहीं था.
चूंकि हम यूपी के बारे में बात कर रहे हैं, तो मैं जानना चाहूंगा कि क्या आप 2014 का रिकॉर्ड तोड़ेंगे- 71, बीजेपी, 73, एनडीए?

इस बार 80 में से 80. इस बार अमेठी, रायबरेली से गांधी परिवार नहीं. वाड्रा जाएं और लड़ें. हमारी उम्मीदवार बहुत मजबूत है. जो भी चुनाव लड़ेगा उसे बीजेपी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि हमारी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने वहां बहुत अच्छा काम किया है. उनका प्रदर्शन अपने संसदीय क्षेत्र के साथ-साथ सदन में भी अच्छा रहा है. मंत्री के तौर पर भी उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है.

इस बार आपने चुनाव से ठीक पहले एक और मुद्दा उठाया है, वो है कच्चातिवू का मुद्दा, कि ये एक द्वीप था, जो कांग्रेस सरकारों ने श्रीलंका को दे दिया था. श्रीलंका ने अभी बयान जारी किया है कि यह पचास साल पुराना मामला है, इसे आज क्यों उठाया जा रहा है?

सही बात और सच्ची बात कभी भी आ जाए तो उसमें गलत क्या है. 50 पहले हुआ लेकिन गलत हुआ. हमारे पीएम ने सही कहा है. जो उचित है

लेकिन विपक्ष का कहना है कि ऐसी बातें बार-बार उठाना जनता को असली मुद्दों से भटकाने के लिए किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर चीन जो कह रहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है, उसने अरुणाचल प्रदेश के अंदर अपने तीस नाम भी दे दिए हैं, तो इस बारे में आप क्या कहेंगे?

दो शब्दों में अरुणाचल भारत का है और रहेगा. कोई सॉफ्ट पैडलिंग नहीं हो रही है.
पाकिस्तान पर गॉर्डियन के लेख में कहा गया था कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तानी धरती पर 20 लोगों, 20 व्यक्तियों, आतंकवादियों को मार डाला है, उनकी धरती पर जाकर उन्हें मार डाला है.

कोई भी आतंकी पड़ोसी देश का धरती पर हमला करेगा तो उसे घुस कर मारेंगे. पीएम ने कहा है. ये ताकत है भारत की. भारत ने कभी हमले की पहल नहीं की है लेकिन अगर कोई आतंक पैदा करेगा या हमला करगा से उसकी खैर नहीं है.
आपने अक्सर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों के बारे में बात की है. क्या इसके लिए कोई समय सीमा है? हम इस मुद्दे को कैसे हल करेंगे? वहां जो हिंदू और मुसलमान हैं, आप कहते हैं कि वे भारतीय हैं, तो इसकी समय सीमा क्या है? हम इस मुद्दे को कैसे हल करेंगे?

ये भारत का था, है और रहेगा. भारत के साथ आने की मांग पीओके की जनता ही ये मांग करेगी. 370 के बाद कश्मीर में AFSPA हटाने का समय आ गया है इस पर गृह मंत्रालय फैसला लेगा.
रक्षा निर्यात 20,000 करोड़ रुपये से अधिक है, आपने इसे कैसे हासिल किया? भविष्य के लिए आपकी क्या योजना है?
पीएम का विजन और दृढ़ इच्छाशक्ति. रक्षा के मामले में भारत को आत्मनिर्भर होना चाहिए. ये हमने कर दिखाया है.

चीन की नेवी बहुत बड़ी है. क्या DRDO की गति धीमी है

तेजी से काम चल रहा है. अगले कार्यकाल में उसके परिणाम दिखने लगेंगे.

क्या आपको लगता है कि ऐसा माहौल बन गया है कि पीएम और दूसरे नेताओं के खिलाफ…

ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए. बचना चाहिए. पीएम एक संस्था होती है. जैसे शब्द वो प्रयोग कर रहे हैं, वो उचित नहीं है. हमने भी उनके पीएम के खिलाफ मर्यादित भाषा रखी है.

राजनाथ जी, 3 राज्य ऐसे हैं जो आपके 370 लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वे हैं बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल. शुरुआत करते हैं बिहार से.

बिहार में 40 की 40 सीटें जीतेंगे. 4 जून को मिलेंगे ना. जनता ने लालू की पार्टी देख ली है. अब एनडीए पर भरोसा है. नीतीश पार कभी अंगुली नाहीं उठी. अच्छा है वो हमारे साथ हैं.
चलिए बात करते हैं महाराष्ट्र की. महाराष्ट्र में लोग कह रहे हैं कि अजीब गड़बड़ हो गई है, दो पार्टियां चार पार्टियों में बंट गई हैं, उसमें एक गुट आपके साथ है, तो आपको इस तरह पार्टियां तोड़ने की क्या जरूरत है? क्या लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ संशय है?

दूसरी पार्टी के लॉग टूट कर क्यों जाते हैं. ये उन्हें सोचना चाहिए. फिर क्या हम उन्हें नहीं लें. बीजेपी में आकर क्या वो दोषी हो जाते हैं. बहुत सारे जागरुक नेता जानते हैं कि 2047 तक का हमारा लक्ष्य है. इसलिए हो हमसे जुड़ना चाहते हैं.

अंत में बात करते हैं बंगाल की, आप बंगाल में क्या महसूस करते हैं, पिछली बार वहां अच्छा प्रदर्शन था, आपको 40 में से 18 सीटें मिली थीं, उसके बाद आप विधानसभा चुनाव हार गईं, लेकिन आपने वहां से 77 सीटें जीतीं। इस बार आप क्या देख रहे हैं? आप क्या सोचते हैं?

वहां हमारी कोशिश ये है की हम वहां 18 से डबल 36 कर ले जाएंगे. बंगाल में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रही. 25 साल लेफ्ट शासन में रहा लेकिन कोई काम नहीं किया. लोग अब समझने लगे हैं कि विकास कोई पार्टी कर सकती है तो वह बीजेपी है. पीएम मोदी पर यही भरोसा है जनता का.
क्या संदेशखाली भी इसका एक बड़ा कारण है?

यह एक बड़ा कारण है, लोग आहत हैं.’ इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर राज्य सरकार चुप है. और आपने देखा होगा कि राज्य सरकार को अदालत की आलोचना का सामना करना पड़ा.
आने वाले 5 सालों में क्या करना चाहेंगे? आपकी व्यक्तिगत इच्छा क्या है? आप स्वयं को किस भूमिका में देखना चाहेंगे?

मेरी कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है. पार्टी और प्रधानमंत्री जो भी निर्णय लेंगे, हम वही करेंगे.


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