राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत चिकित्सकों का प्रशिक्षण

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भोपाल। टीबी उन्मूलन के लिए चिकित्सा अधिकारियों का प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण राज्य क्षय प्रत्यक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित हुआ। प्रशिक्षण में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, चिकित्सालय, गैस राहत चिकित्सालय, खुशीलाल, कस्तूरबा चिकित्सालय के चिकित्सक शामिल हुए। प्रशिक्षण में क्षय रोग के लक्षणों, जांच, टीबी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल, वयस्क बीसीजी टीकाकरण, टीबी उन्मूलन के लिए भारत सरकार के निर्देशों पर जानकारी दी गई।

भारत में राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम की शुरुआत 1962 में की गई थी।1997 में भारत सरकार द्वारा नेशनल टीबी प्रोग्राम को पुनरक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के रूप में परिवर्तित किया गया। इसी साल डॉट्स पद्धति की शुरुआत भी की गई। नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान 2017-25 के तहत टीबी उन्मूलन के लिए मरीज देखभाल केंद्रित गतिविधियां की जा रही है। जिसमें निजी क्षेत्र में इलाज करवा रहे प्रत्येक टीबी मरीज की जानकारी देना जरूरी किया गया है। प्रत्येक नए मरीज के अनिवार्य नोटिफिकेशन, प्रत्येक नोटिफाइड मरीज का पूरा इलाज, सपोर्टिंग सिस्टम को मजबूत करना शामिल किया गया है । सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 2030 के तहत टीबी से होने वाली मौतों को साल 2015 के मुकाबले 90% तक कम किया जाना है। इसी के साथ नए प्रकरणों को 80% तक की कमी पर लेकर आना है।

प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि मरीज में टीबी के लक्षणों की पहचान के लिए चिकित्सकों द्वारा स्क्रीनिंग के लिए पर्याप्त समय देना जरूरी है। मरीज से उसके लक्षणों को विस्तारपूर्वक जानना एवं परिवार की हिस्ट्री लेना भी आवश्यक है । दो सप्ताह की खांसी, दो सप्ताह का बुखार, वजन में कमी होना, बच्चों के वजन में बढ़ोतरी न होना, सीने के एक्सरे में असामान्यता होना, कफ के साथ खून आना, लिंफ ग्लैंड जैसे लक्षण दिखने पर स्पूटम टेस्ट करवाकर मरीज का फॉलोअप लेना जरूरी है। टीबी की पुष्टि होने पर उपचार तुरंत शुरू करना चाहिए , जिससे बीमारी का प्रसार न हो। टीबी मरीजों के साथ रह रहे परिजनों में संक्रमण होने की संभावना 10 प्रतिशत तक रहती है, इसलिए इलाज के दौरान लेटेंट टीबी को नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।

जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. प्रांजल खरे ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर वर्ष 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन किया जाना है । इसके लिए वयस्कों में बीसीजी वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई है। टीबी वैक्सीनेशन से हर साल टीबी के केसेस को 17% तक कम किया जा सकता है। टीबी का इलाज कर रहे चिकित्सकों द्वारा नोटिफिकेशन एवं निश्चय आईडी बनाना जरूरी किया गया है। मरीज को उपचार अवधि में 500 रुपए प्रतिमाह प्रदान किया जाता है। निजी चिकित्सकों द्वारा मरीजों के बैंक विवरण लेकर निक्षय पोर्टल पर जानकारी दर्ज करने पर मरीजों को आर्थिक सहायता सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जाती है। टीबी नोटिफिकेशन के लिए 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। निजी चिकित्सालयों से स्पूटम कलेक्शन के लिए नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में सीबी नॉट एवं ट्रू नॉट टेस्टिंग नि:शुल्क उपलब्ध है। लेटेंट टीबी इन्फेक्शन के लिए इगरा टेस्ट भी नि:शुल्क किया जाता है। क्षय रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से समुदाय सहायता कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। जिसके द्वारा समाज के बीच से ही जनप्रतिनिधियों, सामूहिक संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों एवं विशेष व्यक्तियों के माध्यम से जनसमुदाय में जागरूकता लाने एवं समुदाय स्तर पर सहायता प्रदान की जाती है। कार्यक्रम में पोषण सहायता, व्यावसायिक सहायता तथा निदान सहायता दी जा रही है।


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