प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार देश को असमानता और कर्ज की आग में झोंका, दिया सिर्फ धन्ना सेठों को मौका। हाल ही में आई ’ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 5 प्रतिशत अमीर लोगों के पास देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा संपत्ति है और नीचे के 50 प्रतिशत लोगों के पास देश की मात्र 3 प्रतिशत संपत्ति। विडंबना यह है कि नीचे के इन 50 प्रतिशत लोगों की जीएसटी में हिस्सेदारी 64 प्रतिशत है और ऊपर के 10 प्रतिशत लोगों की जीएसटी में हिस्सेदारी केवल 3 प्रतिशत है जबकि उनके पास देश की 70-80 प्रतिशत संपत्ति है। ’ऑक्सफेम’ की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की विभीषिका में भी देश के 100 बड़े पूंजीपतियों ने 13 लाख करोड़ रुपए कमाए पर 12 करोड़ मेहनतकश लोगों ने अपना रोजगार खो दिया। मोदी जी के कई मित्रों की आय तो ₹1,000 करोड़ प्रतिदिन बढ़ रही है। महामारी की विभीषिका में 84 करोड़ लोगों की आमदनी घट गई लेकिन सरकार की मेहरबानी धन्नासेठों पर रही। उनका 10 लाख करोड़ रु. से अधिक का बैंक कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया गया। मोदी सरकार की सरपरस्ती में 5,35,000 करोड़ रु. के बैंक फ्रॉड हुए और नियोजित रूप से विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ऋषि अग्रवाल और संदेसरा बंधु जैसे कई लोगों को देश से भगा दिया गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आजादी के बाद से मई 2014 तक देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था जो मोदी सरकार के बीते आठ साल के कार्यकाल में बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपए हो गया है। हाल में आई ’ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट’ ने बताया कि भारत में भुखमरी के हालात ये है कि हम पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से पिछड़ गए हैं। 116 देशों की सूची में हमारा देश 101वें पायदान पर लुढ़क गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हाल ही में एनएसओ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में किसानों की औसत आमदनी मात्र ₹27 प्रतिदिन रह गई है, जो मनरेगा मजदूरी से भी कम है। वादे आय दोगुनी करनी के और असलियत में किसान की आय दसियों गुना कम कर दी गई। एनएसओ की रिपोर्ट में यह भी चौकाने वाला तथ्य सामने आया कि देश के हर किसान पर औसत ₹74,000 कर्ज है। एक तरफ सरकार किसानों का कर्ज़ माफ़ करने से इंकार करती है, दूसरी तरफ पार्लियामेंट्री कमेटी ने यह खुलासा किया है कि 2020-21 में मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करके देश को 1,84,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। यह परिस्थितियाँ इसलिए निर्मित हुई क्योंकि मोदी सरकार ने बीते सालों में डीजल के दाम बढ़ाकर और कृषि यंत्रों, खाद व कीटनाशक पर जीएसटी लगाकर खेती की लागत 25,000 रू. हेक्टेयर बढ़ा दी।
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