कलिंगा विश्वविद्यालय ने “नए युग में विज्ञान की खोज” पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की

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रायपुर।
30 सितंबर, 2024 को कलिंगा विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय (भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित विभाग) ने ऑडिटोरियम में “नए युग में विज्ञान की खोज” पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया। संगोष्ठी के दौरान भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित के विशेषज्ञों ने हाइब्रिड मोड में ज्ञान साझा किया।
गणमान्य व्यक्तियों ने संगोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की। कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव, गणित विभागाध्यक्ष, डॉ. जीवीवीजे राव, भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक वर्मा के साथ अन्य प्राध्यापक गण उपस्थित थे।
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान अध्ययन विद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. इंद्रपाल करभाल ने फन विद केमिस्ट्री का लाइव प्रदर्शन किया। उन्होंने विभिन्न रसायनों का उपयोग करके हाइड्रोजन गुब्बारे बनाकर उड़ाना, विभिन्न रसायनों का उपयोग करके रंगीन लपटों का निर्माण करना, रसायनों का उपयोग करके रंगीन मोमबत्ती की रोशनी के प्रभाव का निर्माण करना और कीट विकर्षक के ज्वलनशील गुणों का प्रदर्शन किया। उन्होंने दुर्घटनाओं से बचने के लिए इन वस्तुओं को आग के पास या रसोई में संग्रहीत करने के खिलाफ भी चेतावनी दी। छात्रों ने प्रस्तुतियों का आनंद लिया और उनकी सराहना की। इसके बाद, ताइवान के काऊशुंग में राष्ट्रीय सन यात-सेन विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के डॉ डी चंद्रशेखर काकरला ने मल्टीफेरिक्स सामग्री, तंत्र और अनुप्रयोग पर ऑनलाइन सत्र लिया। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के डॉ गोविंद प्रसाद साहू ने गणित और कम्प्यूटेशनल विज्ञान: एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर व्याख्यान दिया।
सेमिनार में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। 50 से अधिक मौखिक प्रस्तुतियों के साथ दस पोस्टर प्रदर्शित किए गए। इस अवसर पर उपस्थित आयोजन सचिव डॉ गोपेशवर धर द्विवेदी सतपाल पनिका और सुश्री प्रियंका गुप्ता थे। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य संकाय सदस्यों में डॉ. अनुश्री साहा, डॉ. प्रीति पांडे,  निगम प्रसन्न साहू, सुश्री साध्वी सुमन दाश और सुश्री सरवरी बानो शामिल थे। बीएससी (पीसीएम) 5वें सेमेस्टर की छात्राएं सुश्री आचल तिवारी और सुश्री दिशा चंद्राकर समारोह की संचालक थीं। डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


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