मातृभाषा में लिखना-पढ़ना औपनिवेशिक सोच का अंत है-कुलपति प्रो.शाही

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भिलाई,22 फ़रवरी 2023\ श्री शंकरचार्य प्रोफ़ेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई द्वारा 21 फरवरी अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान आयोजित किया गया। आयोजन के मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.(डॉ.) सदानंद शाही, कुलपति श्री शंकराचार्य प्रोफ़ेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई रहें। इस अवसर पर कुलपति डॉ. शाही ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ का आयोजन करता है। दुनिया में 7,000 से अधिक भाषाएँ हैं, जबकि अकेले भारत में लगभग 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ, 1635 मातृभाषाएँ और 234 पहचान योग्य मातृभाषाएँ हैं। यूनेस्को द्वारा इसकी घोषणा 17 नवंबर, 1999 को की गई थी और वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में इस दिवस का आयोजन किया जा रहा है।यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित करता है। 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा सुझाया गया था।उन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुई हत्याओं को याद करने के लिये उक्त तिथि प्रस्तावित की थी।इस पहल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, प्रत्येक दो हफ्ते में एक भाषा लुप्त हो जाती है और मानव सभ्यता अपनी संपूर्ण सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत खो रही है।वैश्वीकरण के कारण बेहतर रोज़गार के अवसरों के लिये विदेशी भाषा सीखने की होड़ मातृभाषाओं के लुप्त होने का एक प्रमुख कारण है। प्रो. शाही ने कहा कि प्रत्येक भाषा एक सांस्कृतिक इकाई की उपज होती है, किंतु कालांतर में प्रत्येक भाषा अपनी एक अलग संस्कृति का निर्माण करती हुई चलती है। कार्यक्रम में डॉ. ललित कुमार ने पत्रकरिता और मातृभाषा पर अपनी बात रखी वहीं प्रो.(डॉ.) शिल्पी देवांगन ने छत्तीसगढ़ में, डॉ. रविंद्र कुमार यादव ने अवधी में डॉ. सारिका तिवारी ने अपनी मातृभाषा ब्रज में एवं छात्रा रागिनी नायक ने अपनी मातृभाषा उड़िया में अपनी परिचय दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविंद्र कुमार यादव, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग ने किया। इस अवसर पर छात्रों एवं प्राध्यापकों की गरिमामई उपस्थित रहीं।


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