रायपुर ।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आज यहां खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर द्वारा विश्व खाद्य कार्यक्रम के सहयोग से ‘‘चावल फोर्टिफिकेशन के तकनीकी पहलुओं, वर्तमान स्थिति, चुनौतियां एवं संभावित समाधानों’’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भारत में विश्व खाद्य कार्यक्रम की डिप्टी कंट्री डायरेक्टर सुश्री नोजोमी हाशिमोतो थीं तथा अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस दो दिवसीय कार्यशाला में भारत एवं छत्तीसगढ़ में एनीमिया एवं कुपोषण की स्थिति, एनीमिया एवं कुपोषण दूर करने में फोर्टिफाइड चावल के महत्व, फोर्टिफाइड चावल के निर्माण तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से इसका आम जनता तक वितरण, भंडारण एवं गुणवत्ता संरक्षण तथा फोर्टिफाइड चावल के उपभोग हेतु जन जागरूकता अभियान आदि बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया गया तथा भावी रणनीति की रूप रेखा तैयार की गई। कार्यशाला में फोर्टिफाइड चावल निर्माता, राइस मिलर, राज्य शासन के अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक तथा शोधार्थी उपस्थित थे।
कार्यशाला की मुख्य अतिथि नोजोमी हाशिमोतो ने इस अवसर पर कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा भारत में एनीमिया तथा कुपोषण दूर करने के लिए विगत 10 वर्षां से अधिक समय से आयरन तथा फोलिक ऐसिड युक्त फोर्टिफाइड चावल के निर्माण तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से इनका आम जनता तक वितरण और इस संबंध में जन-जागरूकता उत्पन्न करने हेतु एक वृहद कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। आज भारत के 80 करोड़ से अधिक परिवारों को आयरन एवं फोलिक ऐसिड जैसे पोषक तत्व युक्त चावल का वितरण किया जा रहा जिससे कुपोषण की स्थिति में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में संचालित इस कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को तकनीकी सहयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कृषि विश्वविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ में फोर्टिफाइड चावल निर्माताओं, राइस मिलरों तथा उपभोगताओं को इस संबंध में तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थय सर्वेक्षण 2021 की अनुसार भारत में लगभग 67 प्रतिशत बच्चे, 57 प्रतिशत महिलाएं और 25 प्रतिशत पुरूष एनीमिया से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि एनीमिया दूर करने में आयरन तथा फोलिक ऐसिड युक्त चावल (फोर्टिफाइड राइस) की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारत में 80 करोड़ परिवारों को फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी सभी राशन दुकानों के माध्यम से आम जनता को फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जा रहा है, जिसके बहुत जल्द सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि फोर्टिफाइड चावल में सबसे अच्छी बात ये है कि फोर्टिफिकेशन से इसके स्वाद, गंध और आकार में कोई अन्तर नहीं आता तथा उपभोगताओं को इसके सेवन में कोई दिक्कत नहीं आती। उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा संचालित परियोजना में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है और छत्तीसगढ़ में इस परियोजना का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से किया जा रहा है।
कार्यशाला में आई.आई.टी. खड़गपुर के प्रोफेसर डॉ. एच.एन. मिश्रा ने चावल फोर्टिफिकेशन तकनीक की प्रक्रिया, समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में आई.आई.टी. खड़गपुर एवं अन्य प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा विगत 12 वर्षां से चावल के फोर्टिफिकेशन पर अनुसंधान किया जा रहा है। उन्होंने ने बताया कि चावल के अलावा खाद्य तेल, दूध एवं नमक का फोर्टिफिकेशन भी किया जा रहा है। इस दो दिवसीय कार्यशाला में फोर्टिफाइड राइस कर्नेल के निर्माण उनकी ग्राइंडिंग, मिक्सिंग एवं कंडिशनिंग, सामान्य चावल में इसका मिश्रण, गुणवत्ता परीक्षण, भंडारण एवं वितरण के संबंध में व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा तथा इसमें आने वाली समस्याओं के निराकरण के संबंध में चर्चा की जाएगी। कार्यशाला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक विस्तार डॉ. एस.एस. टुटेजा, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. राजेन्द्र लाकपाले, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा, अधिष्ठाता खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, डॉ. ए.के. दवे, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ. जी.के. दास, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय डॉ. विनय कुमार पाण्डे उपस्थित थे।