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  • गुरू और शिष्य की परंपरा प्राचीन, पढ़ाई के साथ लिखने का अभ्यास जरूरी: जिला समन्वयक पटले

    गुरू और शिष्य की परंपरा प्राचीन, पढ़ाई के साथ लिखने का अभ्यास जरूरी: जिला समन्वयक पटले

    रायपुर ।

    मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय के आह्वान व कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह के मार्गदर्शन में जिले के स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। शांति नगर स्थित पी. जी. उमाठे उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में जिला मिशन समन्वयक  के.एस. पटले के मुख्य आतिथ्य में गुरुपूर्णिमा का उत्सव मनाया गया। पटले ने कहा कि हमारी परंपरा बहुत महान है। प्राचीन काल से इसे सर्वाेच्च स्थान दिया गया है। गुरूजनों को याद करते कहा कि इन्होंने वेदों की रचना की। उन्होंने बताया कि गुरू शिष्य की परंपरा प्राचीन है। ऋषि मुनियों ने वेद जैसे ग्रंथो की रचना की। उन्होंने ने कहा  कहा कि पढ़ाई के साथ लिखने का अभ्यास कीजिए। रविंद्र नाथ टैगौर ने एक बार बहुत सारे पुस्तकों को पढ़ने की अपेक्षा एक ही पुस्तकों को अधिक बार पढ़ना चाहिए। मनुष्यों के जीवन निर्माण में गुरुओं की अहम भूमिका होती है।

    ऐसे में माना जाता है कि जिन गुरुओं ने हमें गढ़ने में अपना योगदान दिया है। उनके प्रति हमें कृतज्ञता का भाव बनाए रखना चाहिए और उसे जाहिर करने के दिन के तौर पर ही गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है। वेद को पूरे विश्व के पहले ऋषि माने जाते हैं, इन्होंने भारतीय परंपरा में ज्ञान की ऐसी महत्वपूर्ण काम किए जो आज भी प्रारंभिक है। उन्होंने कहा कि वैसे तो हर दिन गुरु की सेवा करना चाहिए, लेकिन यह दिन पूर्ण रूप से गुरु को समर्पित होता है। इस दिन का उल्लेख रामायण व महाभारत काल में भी किया गया है। कहा जाता है कि इस दिन का इतिहास हजारों लाखों वर्ष पुराना है। 3000 ईसवीं पहले आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का भी ज्ञान दिया था। यही कारण है कि हर साल आषाढ़ माह के पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं समस्त गुरुजनों का मंगल तिलक द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन कक्षा बारहवीं की छात्राओं द्वारा किया गया। कक्षा 8 वी की छात्रा कुमारी वंशिका द्वारा स्वागत भाषण दिया गया तथा छात्राओं द्वारा बेहद ही मधुर एवं मनमोहक गुरु वंदना प्रस्तुत किया गया।

    कक्षा 8 वीं की छात्रा कुमारी पूर्वा साकार ने अंग्रेजी में एवं कुमारी ऋषिका बुंदेल ने संस्कृत में अपने प्रभावशाली भाषण से गुरु की महिमा पर अनमोल विचार प्रस्तुत किया। विद्यालय की छात्रा एवं बालिका लोक गायिका कुमारी ओजस्वी(आरू) साहू द्वारा प्रस्तुत किए गए समूह गान की मधुर आवाज ने सबको भावविभोर कर दिया। विद्यालय की व्याख्याता श्रीमती किरण पांडे ने सभी विद्यार्थियों को अपने जीवन में गुरु की भूमिका का महत्व समझने और उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने के लिए कविता के माध्यम से प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि गुरु की शिक्षा और मार्गदर्शन से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं एवं जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम ने विद्यालय में गुरु-शिष्य परंपरा को और भी मजबूत किया तथा विद्यार्थियों में गुरु के प्रति आदर और सम्मान का भाव जागृत किया।