Tag: the state’s NGOs and wildlife lovers demanded from the Chief Minister to increase the crop compensation amount

  • हाथी-मानव द्वंद कम करने के लिए प्रदेश के एन.जी.ओ. और वन्यजीव प्रेमियों ने की मुख्यमंत्री से फसल मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग

    हाथी-मानव द्वंद कम करने के लिए प्रदेश के एन.जी.ओ. और वन्यजीव प्रेमियों ने की मुख्यमंत्री से फसल मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग

    रायपुर।

    हाथियों और वन्यजीवों के लिए कार्यरत प्रदेश के नामी एन.जी.ओ. और वन्यजीव प्रेमियों ने मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि हाथियों से प्रभावित फसलों की वर्तमान में निर्धारित मुआवजा राशि रुपये 9 हजार से बढ़ाकर रुपये 50 हजार प्रति एकड़ की जाए, इससे किसानों और ग्रामीणों की नाराजगी कम होगी और फसल बचाने जाते वक्त अचानक हुए हमलों से होने वाली जनहानि में भी कमी आएगी। हाथियों से फसल नुकसान बचाने के लिए किसान खेतों में सोने नहीं जायेंगे। इससे हाथी मानव द्वंद कम होगा। 50 हजार की दर से भुगतान करने पर किसान अपनी जान जोखिम में डाल कर फसल बचाने हाथी का सामना नहीं करेंगे और ना ही हाथियों को परेशान कर भगाने का प्रयत्न करेंगे, जिसमे जन हानि हो जाती है। कुछ किसान कई बार हाथी सहित अन्य वन्यप्राणियों से फसल बचाने के लिए तार में बिजली प्रभावित कर देते है, जिससे हाथी और अन्य वन्यप्राणि ही नहीं बल्कि ग्रामीणों की मृत्यु की भी घटनाएं बढ़ रही है।

    2016 की दरों पर दिया जा रहा है हाथी से फसल हानि का मुआवजा

    एन.जी.ओ. नोवा नेचर वेलफेयर सोसाईटी रायपुर के एम.सूरज, नव उत्थान संस्था अंबिकापुर के प्रभात दुबे, नेचर बायोडायवर्सिटी एसोसिएशन बिलासपुर के मंसूर खान, पीपल फॉर एनिमल्स रायपुर यूनिट-2 रायपुर की कस्तूरी बल्लाल, रायपुर के वन्यजीव प्रेमी गौरव निहलानी और नितिन सिंघवी ने संयुक्त लिखे पत्र में बताया गया है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट के अनुसार छत्तीसगढ़ में देश के 1 प्रतिशत हाथी है जबकि हाथी मानव द्वन्द से जनहानि की दर 15 प्रतिशत से अधिक है। वर्तमान में प्रचलित, हाथियों द्वारा फसल हानि की क्षतिपूर्ति की दर 8 वर्ष पहले 2016 में, तत्कालीन दरों से रुपए 9 हजार प्रति एकड़ निर्धारित की गई थी। वर्ष 2016 में धान की मिनिमम सेल्लिंग प्राइस अर्थात एम.एस.पी. रुपए 1410 प्रति क्विंटल थी। छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी दर बढ़ कर 2024 में रुपए 3100 प्रति क्विंटल हो गई है। तुलना करने पर रुपए 1410 से 120 प्रतिशत बढ़ कर 2024 में 3100 प्रति क्विंटल हो गई है। किसानों को फसल हानि की क्षतिपूर्ति तब ही दी जाती है जब कम से कम 33 प्रतिशत का नुकसान हुआ हो।

    क्यों दी जाए 50 हजार की हाथी से फसल हानि क्षतिपूर्ति

    किसानों से सरकार 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदती है। रुपए 3100 प्रति क्विंटल की दर से किसान को प्रति एकड़ रुपए 65,100 की राशि धान बिक्री से प्राप्त होती है और उसका प्रति एकड़ खर्चा लगभग रुपए 15 हजार कम कर दिया जावे तो किसान को प्रति एकड़ रुपए 50 हजार की बचत होती है। इसलिए धान की फसल की क्षतिपूर्ति की दर कम से कम रु 50 हजार प्रति एकड़ की जाये।

    बजट की सिर्फ 0.05 प्रतिशत राशि से जन हानि कम होगी

    वर्तमान में, छत्तीसगढ़ में हाथियों द्वारा फसल हानि पर रुपए 9 हजार प्रति एकड़ की दर से औसत क्षतिपूर्ति रुपए 15 करोड़ प्रतिवर्ष दी जाती है। अगर धान फसल की क्षतिपूर्ति रुपए 50 हजार प्रति एकड़ कर दी जाती है तो राज्य सरकार को 65 करोड रुपए का अतिरिक्त व्यय आएगा। जो कि राज्य के रुपए 1,25,000 लाख करोड़ के बजट का सिर्फ 0.05 प्रतिशत ही होगा। अतिरिक्त क्षतिपूर्ति राशि मिलना सुनिश्चित पाए जाने पर ग्रामीणों में नाराजगी कम होने के साथ साथ किसानों/ग्रामीणों के मध्य मानव-हाथी द्वन्द कम होगा जिससे जनहानि कम होने के साथ साथ वन्यप्राणी की भी रक्षा होगी और जनहानि पर दी जाने वाली राशि भी कम होगी। इसी के साथ अन्य फसलों पर भी अतिरिक्त क्षतिपूर्ति राशि की भी मांग की गई है।

    किसानों को फसल हानि की क्षतिपूर्ति भुगतान के लिए एप विकसित किया जाये

    पत्र में मांग की गई है कि किसानों को फसल हानि की क्षतिपूर्ति भुगतान करने की लिए कम से कम 33 प्रतिशत फसल के नुकसान की शर्त खत्म की जाये और फसल हानि क्षतिपूर्ति भुगतान के लिए एप विकसित किया जावे ताकि शीघ्र भुगतान हो सके।