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  • 400 पार के नारे की निकली हवा, BJP को 300 पार करने में छूट रहे पसीने, 10 साल बाद कांग्रेस 100 सीटों के पार

    400 पार के नारे की निकली हवा, BJP को 300 पार करने में छूट रहे पसीने, 10 साल बाद कांग्रेस 100 सीटों के पार

    नई दिल्ली । 

    लोकसभा की 543 में से 542 सीटों पर काउंटिंग जारी है। अब तक के रुझानों को देखते हुए कहा सकता है कि BJP के 400 पार के नारे की हवा निकल गई है। 400 तो दूर की बात है 300 सीट पाने में भी पसीने छूट रहे हैं। इंडिया गठबंधन, एनडीए को कड़ी टक्कर दे रही है। 3 बजे तक रुझानों में NDA 295 और INDIA अलायंस 235 सीटों पर आगे है। कुछ जगहों निर्णायक जीत की ओर प्रत्याशी बढ़ रहे हैं। रुझानों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और पश्चिम बंगाल में NDA को काफी नुकसान दिख रहा है। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भाजपा को भारी नुकसान दिख रहा है। अगले 2 से 3 घंटे में नई सरकार की तस्वीर साफ हो सकती है।

    वहीं 10 साल में पहली बार कांग्रेस 100 सीटों के पार पहुंच गई है। इससे पहले 2014 और 2019 में कांग्रेस 100 से कम सीटें जीत रही है। बता दें कि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए ने इस बार 400 पार का नारा दिया था, वहीं कांग्रेस के नेतृत्व 25 से ज्यादा दलों के साथ बना इंडिया गठबंधन ने भी लगातार सत्ता में आने का दावा कर रहा था। अब तक के रुझानों की बात करें तो फिलहाल एनडीए मुकाबले में आगे है, लेकिन इंडिया गठबंधन भी लगातार जोर लगा रहा है। एनडीए को हुए नुकसान पर चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के लिए ‘400 के पार’ वाले नारे ने फायदे से ज्यादा नुकसान किया है। जानकार मानते हैं कि इस नारे के चलते भाजपा के कार्यकर्ता अति-आत्मविश्वास में आ गए, जिसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी को अभी तक के परिणाम में दिख रहा है।

    उत्तर प्रदेश में BJP का कैसे हुआ खेला
    राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उत्तर प्रदेश में भाजपा ने ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारों को रिपीट किया था। इसके चलते भी उसे झटका लगा है। मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान, सुल्तानपुर में मेनका गांधी जैसे तमाम नेताओं से स्थानीय लोगों की शिकायत थी कि वे क्षेत्र में कम आते हैं। स्थानीय स्तर पर विकास के काम भी कम कराए हैं। इसका खामियाजा चुनाव में बीजेपी को दिखता नजर आ रहा है। इसे दिल्ली के उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है। यहां पार्टी ने अधिकतर सीटों पर अपने प्रत्याशी बदले। जिसका फायदा यहां साफतौर पर दिखाई दे रहा है। इसलिए उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारों का रिपीट होना भी हार का एक बड़ा फैक्टर है।