नई दिल्ली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि महिला सम्मान केवल शब्दों में नहीं, बल्कि व्यवहार में लाने की जरूरत है। किसी भी समाज के विकास का एक महत्वपूर्ण मानक महिलाओं की स्थिति है। ऐसे में अभिभावकों व शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें कि वे सदैव महिलाओं की गरिमा के अनुकूल आचरण करें। राष्ट्रपति की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब बंगाल की घटना से महिला सुरक्षा-सम्मान को लेकर नए सिरे से चर्चा छिड़ी है। मुर्मु गुरुवार को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने देश के 82 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा। इनमें स्कूलों में पढ़ाने वाले चयनित 50 शिक्षक 28 राज्यों, तीन केंद्र शासित प्रदेशों और छह संगठनों से हैं। इनमें 34 पुरुष, 16 महिलाएं हैं। इनके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों और कौशल विकास में पढ़ाने वाले 16-16 शिक्षक भी सम्मानित किए गए। राष्ट्रपति ने कहा-‘ मैं भी शिक्षक रही हूं। जब मैं शिक्षकों-बच्चों के बीच होती हूं तो मेरे अंदर का शिक्षक जीवंत हो जाता है। जीवन की सार्थकता इस बात में निहित है कि हम दूसरों की भलाई के लिए काम करें। यह बात बच्चों को ठीक से समझाना आपकी जिम्मेदारी है। आपको ऐसे नागरिक तैयार करने हैं जो शिक्षित होने के साथ संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमी भी हों। ‘ राष्ट्रपति ने शिक्षकों की तुलना एक अच्छे मूर्तिकार से की।