नई दिल्ली ।
भारतीय रेल पिछले कुछ वर्षों से यात्रियों को बेहतरीन सुविधाओं के साथ यात्रा करने का अनुभव प्रदान करने के लिए प्रयासरत है. इस क्रम में एक तरफ जहां ट्रेनों की औसत रफ्तार बढ़ाई गई है, वहीं दूसरी तरफ हाई-स्पीड ट्रेनों का परिचालन भी क्रमबद्ध तरीके से शुरू किया गया है।इसकी पहली कड़ी में वंदे भारत सेमी हाई-स्पीड ट्रेन का संचालन शुरू किया गया है. प्रीमियम वंदे भारत ट्रेनों का परिचालन देश के विभिन्न मार्गों पर हो रहा है. यात्री इससे यात्रा करने का लुत्फ भी उठा रहे हैं. इसी क्रम में आज बात करते हैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) से चलकर वाराणसी जंक्शन (BSB) तक जाने वाली तूफान मेल वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की।दिल्ली से धर्मनगरी काशी की दूरी 759 किलोमीटर है. पहले इस दूरी को तय करने में 12 से 14 घंटे तक का वक्त लगता था. वंदे भारत का परिचालन शुरू होने के बाद से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी महज 8 घंटों में पूरा करना संभव हो सका है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से प्रस्थान करते ही यह ट्रेन तूफान की तरह लहराते हुए पटरियों पर दौड़ने लगती है. दिल्ली के बाद यह ट्रेन सीधे कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर जाकर ठहरती है. इस तरह दिल्ली-काशी वंदे भारत ट्रेन का पहला स्टॉपेज 441 किलोमीटर के बाद है. इस बीच यह ट्रेन नॉनस्टॉप दौड़ती रहती है।
दिल्ली-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का रनिंग स्टेटस.
सिर्फ दो स्टॉपेज
दिल्ली-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (ट्रेन संख्या 22436 और अप में 22435) देश की राजधानी से प्रस्थान करते ही रॉकेट की गति से पटरियों पर दौड़ने लगती है. सेमी हाई-स्पीड ट्रेन पलभर में आंखों से ओझल हो जाती है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से प्रस्थान करने के बाद यह ट्रेन सीधे कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर ठहरती है. कानपुर सेंट्रल से प्रस्थान करने के बाद वंदे भारत सीधे प्रयागराज जंक्शन पर रुकती है. इस दौरान यह ट्रेन 194 किलोमीटर की दूरी बिना किसी स्टॉपेज के तय करती है. प्रयागराज के बाद यह ट्रेन सीधे अपने गंतव्य स्टेशन वाराणसी जंक्शन पर ठहरती है. बता दें कि दिल्ली से वाराणसी की कुल दूरी 759 किलोमीटर है. नई दिल्ली-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन यह दूरी महज 8 घंटे में तय कर लेती है।
रेलवे के प्रयास से बढ़ी है औसत रफ्तार
भारतीय रेल ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है. इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है. पटरियों और ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है. रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में पटरियों को दुरुस्त करने पर काफी काम किया है. रेलवे ट्रैक को दुरुस्त किया गया है, ताकि उसे हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए अनुकूल बनाया जा सके. साथ ही एंटी कॉलीजन डिवाइस भी इंस्टॉल किया जा रहा है, जिससे ट्रेन हादसों में कमी लाई जा सके. वंदे भारत ट्रेनों में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कोच का इस्तेमाल किया जा रहा है।