Tag: Making electricity expensive for industries is a foolish decision of the government – ​​Bhupesh Baghel

  • उद्योगों की बिजली महंगी करना सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय – भूपेश बघेल

    उद्योगों की बिजली महंगी करना सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय – भूपेश बघेल

    रायपुर । 

    पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में लोहा उद्योग बंद करने के व्यापारी के निर्णय को दुर्भाग्यजनक बताते हुए कहा है कि लोहा उद्योग छत्तीसगढ़ की रीढ़ है और उनकी बिजली महंगी करना विष्णुदेव सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय है. उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उद्योगपतियों को ग़लतफ़हमी हो गई है तो वे बिजली का बिल देख लें वे समझ जाएंगे कि दरअसल ग़लतफ़हमी सरकार को हुई है


    छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन और छत्तीसगढ़ स्पॉन्ज आयरन मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडलों से मिलने के बाद श्री बघेल ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है कि बिजली के दरों में सिर्फ 25 पैसे की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि दरअसल ‘लोड फैक्टर इंसेन्टिव’ सहित कुछ और छूट बंद करने से उद्योगों को प्रति यूनिट 6.10 रुपए प्रति यूनिट की बिजली 7.62 पैसे प्रति यूनिट की पड़ रही है. छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद से पहली बार उद्योगपति तालाबंदी जैसा बड़ा निर्णय लेने को बाध्य हुए हैं तो इसकी वजह तो होगी ही, ग़लतफ़हमी में इतना बड़ा निर्णय नहीं लिया जाता

    उन्होंने कहा है कि उड़ीसा के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है. तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल आता है. उन्होंने कहा, “मुझे जानकारी मिली है कि ओडीशा में उद्योगों को बिजली 5 रुपए और पश्चिम बंगाल में 4.91 रुपए की दर से बिजली मिल रही है, यहां तक कि जिंदल पार्क में बिजली 5 रुपए के दर से मिल रही है. तो फिर छत्तीसगढ़ सरकार क्यों इसी दर पर बिजली नहीं देती?”. श्री बघेल ने कहा है कि यदि इतनी महंगी बिजली मिलेगी तो छत्तीसगढ़ के उद्योग प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे और इससे राज्य और केंद्र सरकार को ही नुकसान होगा

    पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक ओर से सरकार ने नौकरियों में भर्ती रोक रखी है दूसरी ओर वह कम से कम दो लाख लोगों का रोजगार छीन रही है. अप्रत्यक्ष रूप से इससे दो लाख से बहुत अधिक संख्या में लोगों का रोजगार प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि दूसरी ओर इससे राज्य को राजस्व का भी भारी नुकसान होगा. जैसा आज ही बिजली की खपत में छह सौ मेगावाट की कमी आ गई है और आने वाले दिनों में यह कमी एक हज़ार मेगावाट तक पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा कि उद्योगपति दावा कर रहे हैं कि वे सरकार को 20 हज़ार करोड़ का राजस्व सरकार को देते हैं तो अब सरकार को सोचना है कि वह इसकी क्षतिपूर्ति कैसे करेगी