धमतरी, 18 अप्रैल 2023
जिले में ग्रीष्मकालीन धान फसलों के लिए किसानों से मौसम परिवर्तन होने के कारण कीट व्याधि रोग जैसे तनाछेदक एवं अन्य रोगों का प्रकोप सामान्यतः धान की फसलों को प्रभावित करता है। इस संबंध में उप संचालक कृषि ने निदान के लिए समसामयिक सलाह दी है कि खरीफ सीजन की धान फसल में खेत के अवशेष (नरई) में तनाछेदक के अण्डे एवं मिट्टी में ब्लास्ट रोग के बीजाणु उपस्थित रहते हैं जो कि रबी सीजन में धान की पुनः खेती करने पर नई फसल को उपहार स्वरूप मिलते हैं। ऐसी स्थिति से निबटने के लिए किसानों को धान की जगह फसल चक्र परिवर्तन अपनाकर दलहन-तिलहन फसलों की खेती करनी चाहिए। इस संबंध में विभाग द्वारा मैदानी स्तर पर कर्मचारियों के द्वारा नियमित रूप से प्रचार-प्रसार किया जाता रहा है। उन्होंने कहा है कि मौसम में बदलाव की वजह से तनाछेदक कीट प्रकोट एवं नेक ब्लास्ट की समस्या आ रही है। ऐसे में बाइफ्रेनथ्रिन 10 ईसी का 350 एमएल प्रति एकड़ या क्लोरेनटेªनिलीप्रोल का 30 एमएल प्रति एकड़ के मान से स्प्रे करने से इसकी रोकथाम की जा सकती है। इसी प्रकार नेक ब्लास्ट को नियंत्रित करने एजाक्सीस्ट्रोबिन 300 एमएल या टेबुकोनाजोल 250 एमएल या प्रोपिकोनाजोल का 250 एमएल प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जाना चाहिए। उप संचालक ने पुनः किसानों से अपील करते हुए कहा है कि आगामी ग्रीष्मकालीन धान की बोनी न करें और दलहन-तिलहन फसल की खेती अपनाते हुए जल संरक्षण में अपना अमूल्य सहयोग करें।