रायपुर।
जिन्दल समूह के एक अभिन्न अंग, जिन्दल पैंथर सीमेंट (जेपीसी) ने ओडिशा के अंगुल में अपनी पहली सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट शुरू कर एक बड़ी छलांग लगाई है। 15 लाख टन प्रतिवर्ष (1.5 एम.टी.पी.ए.) क्षमता की यह अत्याधुनिक यूनिट नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर (जेएसपी) के अंगुल इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट से निकलने वाले लगभग 10 लाख टन (1 एम.टी.पी.ए.) ब्लास्ट फर्नेस स्लैग का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में करेगी। बड़ी बात यह है कि पूरे सीमेंट उद्योग जगत में सबसे कम क्लिंकर का उपयोग कर यह यूनिट न्यूनतम कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन की दिशा में आगे बढ़ेगी, जो जिन्दल समूह की एक बड़ी योजना का हिस्सा और उसकी प्रतिबद्धता है।
मुख्य बिंदु
सीमेंट बनाने में अंगुल स्टील प्लांट के ब्लास्ट फर्नेस के 10 लाख टन स्लैग का इस्तेमाल किया जाएगा।
जेएसपी की स्टील मार्केटिंग टीम के साथ मिलकर बाजार में सीमेंट वितरण की योजना।
एक ही स्थान पर समस्त निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने की सराहनीय पहल।
10 लाख टन (1 एम.टी.पी.ए.) ब्लास्ट फर्नेस स्लैग का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में करेगी।
उद्योग जगत में सबसे कम क्लिंकर का उपयोग करने वाली यूनिट।
हर साल 15 लाख टन(1.5 एम.टी.पी.ए.) सीमेंट बनाने की क्षमता का की इकाई।
अंगुल और रायगढ़ यूनिट्स में हर साल 70 लाख टन उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना।
ग्रीन सीमेंट की दिशा में अग्रसर
जिन्दल पैंथर सीमेंट की अंगुल ग्राइंडिंग यूनिट का उद्देश्य मध्य और पूर्वी भारत के उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन और उच्च गुणवत्ता वाला पोर्टलैंड स्लैग और कंपोजिट सीमेंट बनाना है। खास बात यह है कि जेएसपी में स्टील उत्पादन प्रक्रिया से निकले अपशिष्ट (वेस्टेज) का पुनः उपयोग करके जिन्दल पैंथर सीमेंट कार्बन फुटप्रिंट घटाने और दीर्घकालिक औद्योगिक प्रथाओं को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण काम कर रहा है।