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  • धान में कीट व्याधि नियंत्रण हेतु कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह

    धान में कीट व्याधि नियंत्रण हेतु कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह

      जांजगीर-चांपा ।

    कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर-चांपा द्वारा धान में कीट व्याधि नियंत्रण हेतु किसानों को सलाह दी गई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुरूप धान के पौधे में शुरू से कई प्रकार के कीट एवं बीमारियां आती है जैसे पत्ती मोडक, तना छेदक, झुलसा शीथ ब्लाइट (चरपा), शीथ गलन आदि और किसान शुरू से ही पत्ता मोडक एवं तना छेद के लिए अनुशंसित दवा जैसे- फ्लूबेंडामाइड 20 प्रतिशत डब्लयू जी 50 ग्राम प्रति एकड, कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस पी 400 ग्राम/एकड, क्लोरेंटानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत 60 मी. ली/एकड., टेट्रानीप्रोल 18.18 प्रतिशत 100 मी. ली./एकड का छिड़काव करते हैं।
    वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र ने बताया कि जांजगीर के अधिकतर क्षेत्रों में स्वर्णा किस्म या 140-150 दिन वाले धान लगे हैं। जिसमें पोटरी (गभोट) की अवस्था आ चुकी है या पहुंचने वाली है इसलिए किसानों को धान के गर्म अवस्था में ही तना छेद, माहू, मकड़ी, झुलसा, शीथ गलन एवं चारपा के बचाव हेतु निम्न दवा का उपयोग पोटरी खुलने से पहले करना लाभदायक होगा। तना छेदक एवं पत्ता मोडक हेतु -पूर्व में दी गई दवा को दोहराएं एवं माहू हेतु पाईमेट्रोजिन 50 डब्लयू जी 120 ग्राम  प्रति एकड़ 2.डाईनेटोफ्यूरान, 20 एस जी 100 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें। या दोनो टेक्निकल एक साथ मिलने पर उपयोग कर सकते है। टाईफ्लूमेजोपायरीन 10 प्रतिशत एस सी  94 मी ली/एकड या 20 प्रतिशत होने पर 50 मी.ली./एकड का उपयोग कर सकते हैं। मकड़ी हेतु – मकडीनाशक जैसे हेक्सथियोक्स 5.45 प्रतिशत 250 मी.ली./एकड़, स्पायरोमेसिफेन 22.9 प्रतिशत 150 मी.ली. प्रति एकड़, प्रोपरजाइट 57 प्रतिशत 300 से 400 मी. ली. प्रति एकड़ एवं डाईफेंथयूरौन 50 एस पी 120 ग्राम प्रति एकड़ एवं इन मकड़ी नाशक दावों के साथ निम्न फफूंद नाशक दवा का उपयोग करें। प्रोपिकोनाजोल 200 मी. ली./एकड प्रति एकड़, टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत + ट्राइफ्लोक्सिस्टोबीन 25 प्रतिशत 100ग्राम/एकड, ऐजोक्सिस्टोबीन 18.2 प्रतिशत +डाईफेनाकोनाजोल 11.4 प्रतिशत 200 मी.ली./एकड. का छिड़काव कर सकते हैं।  उपरोक्त बताये गये दवाओं का उपयोग अगर धान के गर्भ अवस्था मे करेंगे तो यह उसी प्रकार प्रभाव देगा जैसे माता के गर्भ मे पल रहे शिशु को टीका लगाने से मिलता है अर्थात आने वाली सभी बालियां स्वस्थ और पुष्ठ होगीं और पैदावार भी अच्छा होगा। अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर-चांपा के वैज्ञानिकों से 7000358986, 7999865762 पर सम्पर्क कर सकते हैं।