दावेदार के वकील ने ट्रिब्यूनल को बताया कि 7 मार्च, 2013 को यहां भायंदर इलाके की रहने वाली महिला वलिव के चिंचपाड़ा में अपने कार्यस्थल की ओर जा रही थी, जब एक अर्थ मूविंग मशीन ने उसे नीचे गिरा दिया. इस दौरान महिला को गंभीर चोटें आईं और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. दावेदार ने यह भी बताया कि उसे रीढ़ में गंभीर चोटें आई हैं जिस वजह से वो दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने में असमर्थ हो गई.
इसके साथ ही ट्रिब्यूनल को यह भी बताया कि उसके साथ जब ये हादसा घटा, वह तब एक एकाउंटेंट के रूप में काम कर रही थी और प्रति माह 34,200 रुपये कमाती थी. एमएसीटी के अध्यक्ष ने कहा कि उनके विचार में, आवेदक की स्थायी कार्यात्मक अक्षमता को 20 प्रतिशत की सीमा तक और भविष्य की कमाई क्षमता के नुकसान को 15 प्रतिशत के रूप में माना जाना उचित होगा.
इसलिए महिला को 19.60 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया, जिसमें आय के नुकसान के साथ-साथ अन्य खर्चों और कष्टों के लिए मुआवजा भी शामिल है. आदेश में यह भी कहा गया है कि प्राप्त राशि में से अर्जित ब्याज के साथ 9.60 लाख रुपये दावेदार को भुगतान किया जाना चाहिए और शेष राशि को उसके नाम पर पांच साल की अवधि के लिए सावधि जमा में निवेश किया जाना चाहिए.