नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता हासिल करने के लिए देश भर में गोदाम बनाने की योजना को लॉन्च किया। इसके तहत अगले पांच साल में एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से 700 लाख मीट्रिक टन अनाज की भंडारण क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने 18 हजार कंप्युटरीकृत प्राथमिक किसान सहकारी समितियों (पैक्स) का भी उद्घाटन किया।
इस अवसर गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी देश में कुल कृषि उत्पाद का सिर्फ 47 फीसद के भंडारण की क्षमता है, इस योजना के पूरा होने के बाद शतप्रतिशत कृषि उत्पाद की भंडारण क्षमता हो जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि पूरी योजना सहकारिता के माध्यम से लागू किया जा रहा है, जिसमें किसानों की सक्रिय भागीदारी होगी।
देश में सहकारिता क्षेत्र में आम लोगों का भरोसा कायम करने के लिए प्रधानमंत्री ने सहकारी संगठनों में पारदर्शी तरीके से चुनाव सुनिश्चित कराने पर जोर दिया। सहकारिता में बड़ी औद्योगिक क्षमता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सहकारिता का अलग मंत्रालय बनाकर सरकार कृषि क्षेत्र में इसी बिखरी हुई ताकत को एकत्रित करने का प्रयास कर रही है।
सहकारिता की सफलता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने 10 हजार किसान उत्पादक संघ (एफपीओ) को बनाने का लक्ष्य रखा था, जिसमें आठ हजार एफपीओ बन भी गए हैं। इन एफपीओ के माध्यम से गांव के छोटे किसान भी उद्यमी बन रहे हैं और अपने उत्पादों का विदेश तक निर्यात कर रहे हैं। इसका लाभ पशुपालकों और मछली पालकों तक हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अकेले मछली पालन में 25 हजार सहकारी इकाइयां काम रही हैं। आने वाले सालों में देश भर में दो लाख सहकारी समितियां बनाई जाएगी, जिनमें बहुत सारे मछली उत्पादन से भी संबंधित होंगे। प्रधानमंत्री ने सहकारिता को महिला सशक्तिकरण का प्रमुख आधार बनाया और इसके लिए लिज्जल पापड़ और अमूल का उदाहरण दिया जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों सरकार ने मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी के कानून में संशोधन कर बोर्ड में महिला डायरेक्टर रखना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रधानमंत्री के अनुसार इसकी चर्चा कम हुई है, लेकिन यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के आरक्षित करने के लिए बनाए गए नारी शक्ति वंदन अधिनियम की तरह ही काफी अहम है।
पैक्स को विकसित भारत और कृषि आधुनिकीकरण के लिए अहम बताते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से अब यह कृषि जनऔषधि केंद्र से लेकर डीजल-पट्रोल पंप, प्रधानमंत्री किसान संवृद्धि केंद्र और कामन सर्विस सेंटर जैसी सुविधाएं भी दे रही हैं। इससे इन समितियों से जुड़े किसानों की आय भी बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि किस तरह से सहकारी समितियों के मधुमक्खी पालन में आने के बाद देश में शहद का उत्पादन 10 साल में 75 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 1.5 लाख मीट्रिक टन हो गया।
इसी तरह से उन्होंने सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। इसके लिए उन्होंने विदेश से आयात होने वाली चीजों की सूची बनाकर सहकारिता के माध्यम से उनका उत्पादन शुरू करने की जरूरत बताई।
उनके अनुसार इसके माध्यम से दालों और खाद्य तेलों की आयात पर निर्भरता को खत्म किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने सहकारी समितियों को एथनाल उत्पादन भी आगे आने को कहा। उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा।
अगस्त तक सभी पैक्स हो जाएंगे कंप्यूटरीकृत: शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने इस साल अगस्त तक देश के सभी 65 हजार किसान उत्पादन सहकारी समितियों (पैक्स) को कंप्युटरीकृत करने का दावा दिया है। इसके अनुसार कंप्युटरीकृत करने से पैक्स के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ने के साथ बिजनेस के भी नए अवसर सामने आएंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी सहकारिता क्षेत्र को नया जीवन देने का श्रेय दिया, जो अगले सवा सौ साल तक देश की सेवा करता रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 18 हजार कंप्युटरीकृत पैक्स के उद्घाटन का हवाला देते हुए अमित शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 30 हजार अन्य पैक्स को और अगस्त तक सभी 65 हजार पैक्स को कंप्युटरीकृत कर दिया जाएगा। शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स के लिए नए बायलाज बनाए हैं और राजनीतिक विरोधों के बावजूद विपक्ष शासित समेत सभी राज्यों ने इसे स्वीकार कर लागू भी कर दिया है।
पैक्स के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता के निर्माण में प्रधानमंत्री मोदी अहम भूमिका उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि उनके निर्देश पर ही 11 राज्यों में 11 गोदाम बनाने का काम पायलट प्रोजेक्ट पर शुरु किया गया। शनिवार को प्रधानमंत्री ने इन सभी 11 गोदामों का उद्घाटन किया और इसके साथ ही 500 गोदामों के निर्माण की आधारशिला भी रखी।
उनके अनुसार पैक्स के तहत बनने वाले गोदाम छोटे जरूर होंगे, लेकिन ये पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत होंगे और यहां अत्याधुनिक खेती के सभी साधन भी उपलब्ध होंगे। उनके अनुसार पैक्स से जुड़े इन गोदामों में ड्रोन भी होगा, ट्रैक्टर भी होंगे, कटाई और दवाई छिड़काव के साधन भी उपलब्ध होंगे, जो खेती को अत्याधुनिक बनाने में मददगार साबित होंगे।