सोयाबीन को शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. मार्केट में हमेशा ही सोयाबीन की डिमांड रहती है. सोयाबीन देश की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है और किसान इसकी खेती करके मोटी कमाई कर सकते हैं.
आइये कृषि जागरण की इस पोस्ट में जानते हैं, सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है और इसकी किस्में कौन-सी है?
सोयाबीन की बुवाई
सोयाबीन की बुवाई मई और जून के बीच होती है, क्योंकि इसके बीज लगाने का सही समय बरसात के मौसम की पहली बारिश मानी जाती है. किसान इस समय अपने खेतों में सोयाबीन की बवाई कर सकते हैं. खेत में बुवाई करते वक्त किसानों को ध्यान रखना होता है, कि बीज बोते वक्त खेत में पानी नहीं भरा होना चाहिए. बुवाई करते वक्त एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी कम से कम 5 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.
सोयाबीन की किस्में
सोयाबीन की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना होता है. किसान इसकी खेती के लिए अलग-अलग किस्मों की सोयाबीन का चुनाव करते हैं. इसमें- जेएस 335, एमएससी 252, जेएस 9308, जेएस 2095 और जेस 2036 आदि किस्में शामिल है. किसान सोयाबीन की इन किस्मों के बीजों की बुवाई करके कम समय में ज्यादा कमाई सकते हैं.
किसानों को सोयाबीन की खेतों में 2 से 3 बार थोड़ी मात्रा में यूरिया का उपयोग करना चाहिए. सोयाबीन की एक हेक्टेयर में बुवाई करते वक्त कम से कम 12 से 15 किलो यूरिया का छिड़काव किसानों को अपने खेतों में करना चाहिए. इसके बाद, जब पौधे विकसित होने लगे, तो 25 से 30 किलो यूरिया का उपयोग करें. सोयाबीन के पौधों में फूल आने पर 40 से 50 किलो यूरिया का खेतों में इस्तेमाल करें.
एक हेक्टेयर में 30 क्विंटल उत्पादन
सोयाबीन की खेती करने के लिए किसानों को कम पानी और कम जमीन की आवश्कता होती है. किसान इसकी फसल से हर साल तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. यदि सोयाबीन की खेती एक हेक्टेयर में की जाती है, तो इससे 25 से 30 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. किसान सोयाबीन की फसल लगाकर हर साल लाखों में मुनाफा कमा सकते हैं.