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    शिक्षिका को साढ़े 3 करोड़ का चूना लगाने वाले छः साइबर ठग गिरफ्तार

    उत्तरप्रदेश
    वाराणसी । पुलिस अधिकारी बनकर शिक्षिका शम्पा रक्षित से साढ़े तीन करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले छह साइबर ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें प्राइवेट बैंकों के रीजनल हेड व कैशियर भी शामिल हैं। साइबर ठगों के पास से साढ़े तेरह लाख रुपये नगद बरामद किए गए। 65 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में फ्रीज किए गए हैं। पुलिस अभी इस मामले में जांच जारी रखे है। ठगी में शामिल कई और साइबर ठगों के पकड़े जाने की संभावना है।

    डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा ने बताया कि बीते आठ मार्च को रथयात्रा स्थित अमलताश अपार्टमेंट में रहने वाली शिक्षिका शम्पा रक्षित को गिरफ्तारी का डर दिखाकर साइबर ठगों ने बीते आठ मार्च को उनसे तीन करोड़ 55 लाख रुपये दो अलग-अलग बैंक खातों में डलवा कर साइबर ठगी की थी।

    अगली दिन इसकी जानकारी पुलिस को मिली तो साइबर क्राइम थाना में मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की। साइबर ठग रुपयों को तेजी से एक से दूसरे खातों में ट्रांसफर कर रहे थे। वहीं पुलिस टीम साइबर व सर्विलांस के जरिए लगातार उनका पीछा करती रही।

    पुलिस को जल्द ही सफलता मिली और छह साइबर ठगों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें दो बैंककर्मी भी हैं। पकड़े गए बदमाशों में लखनऊ के इंदिरा नगर के रहने वाले मो. तौफिक व आरिफ हैं। इनके साथ ही यमुना बिहार के सगे भाई बैंककर्मी सरफराज आलम व नुरूलहुदा हैं। गुजरात के सूरत से नीरव बटुक भाई गोटी व ओम अश्विन भाई गोयानी को भी गिरफ्तार किया गया।

    एक गलती से सलाखों के पीछे पहुंच साइबर ठग

    शिक्षिका से रुपये ठगने वाले साइबर ठग एक गलती से पकड़ लिए गए। गिरफ्तारी का डर दिखाकर साइबर ठगों ने शिक्षिका से दो बैंक खातों में साढ़े तीन करोड़ रुपये मंगाए थे। इसके बाद उन खातों को खाली करने के लिए उसे तेजी से दूसरी खातों व अन्य जगहों पर भेजते रहे।

    इसी के तहत गुजरात के नीरव व ओम के खातों में भी रुपये भेजे गए। इन दोनों ने रुपये निकालने के लिए चेक का इस्तेमाल किया। शिक्षिका की शिकायत के बाद मामले की जांच कर रही पुलिस उन खातों पर नजर जमाए थे जिनमें रुपये भेजे जा रहे थे।

    गुजरात के साइबर ठगों ने जैसे ही चेक से रुपये निकाले पुलिस को इसकी जानकारी मिल गई और उन्हें गिरफ्तार करके वाराणसी ले आई। इन दोनों से तीन दिनों तक लगातार पूछताछ किया जिससे वह टूट गए और अपने साथियों के बारे में जानकारी दे दी।

    तेजी से खर्च करते रहे रुपये

    शिक्षिका के जरिए साइबर ठगों को बड़ी रकम मिल गई थी। इसे बैंक खातों से निकालने के लिए तेजी से उसका इस्तेमाल कई जगहों पर करना शुरू कर दिया। कुछ ही घंटों में उन्होंने रुपयों को सौ से अधिक बैंक खातों में भेज दिया। रुपयों को क्रिप्टो कैरेंसी (डिजिटल मनी) में इन्वेस्ट किया। उसे टोकन में भी बदल लिया ताकि उनका इस्तेमाल बाद में किया जा सके। बैंक खातों से बड़ी रकम निकालने के लिए चेक का इस्तेमाल किया। जबकि आमतौर पर साइबर ठग बैंक जाकर चेक या अन्य माध्यम से रुपये निकालने से बचते हैं।

    दो साल से साइबर ठगों की मदद कर रहा था बैंक का रीजनल हेड

    गिरफ्तार सगे भाइयों में सरफराज आलम आइसीआइसीआइ बैंक लखनऊ में रिजनल हेड व नुरूलहुदा एचडीएफसी बैंक लखनऊ में कैशियर था। दोनों साइबर ठगों की मदद रुपये निकालने में कर रहे थे। इनके माध्यम से बड़ी रकम कमीशन के आधार पर चल रहे बैंक खातों में पहुंची थी।

    इन रुपयों को इंवेस्ट करने व निकालने में दोनों ने अहम भूमिका निभाई। सरफराज पिछले दो साल से साइबर ठगों से जुड़ा है। वहीं नुरूलहुदा ने गिरफ्तार किए गए तौफीक से ब्लैंक चेक लेकर अपने पास रखा था। दोनों भाइयों ने शिक्षिका को ठगे जाने से कुछ दिन पहले ही खोले गए बैंक खातों का इस्तेमाल ठगी का रुपया मंगाने के लिए किया था।

    पुलिस इनके बारे में और जानकारी जुटा रही है। इनके माध्यम से बैंकों में कमीशन के आधार पर कई सेविंग बैंक एकाउंट चल रहे हैं। नियमों की अनदेखी करके उन खातों में रुपये का लेन-देन कर रहे थे। तौफीक के बारे में जानकारी मिली है कि वह हवाला कारोबार से जुड़ा है।

    कम उम्र में बड़े कारनामे

    गिरफ्तार साइबर ठगों में ओम अश्विन 19 वर्ष का है। वह जर्मनी जाना चाहता था इसके लिए उसे 12वीं पास की डिग्री चाहिए थी। एक दलाल ने उसे फर्जी डिग्री देने के लिए तीन लाख रुपये की मांग की थी। रुपयों का इंतजाम करने के लिए वह साइबर ठगों के साथ जुड़ा। वहीं नीरव की उम्र 23 वर्ष है और यह डायमंड कटिंग का काम करता है। साइबर ठगों के साथ इनका काम बैंक या एटीएम से रुपये निकालना था।

    अभी कई और पकड़े जाएंगे

    शिक्षिका को ठगने वाले छह साइबर ठगों को गिरफ्तार करने के बाद भी पुलिस की जांच जारी है। शिक्षिका से हासिल रकम बड़ी होने की वजह से उसे तेजी से देशभर के कई बैंक खातों भेज रहे थे। उनके साथी उसे निकालने के साथ अलग-अलग जगहों पर इंवेस्ट भी कर रहे थे। इस तरह ठगी के इस प्रकरण में कई ठग शामिल हैं। पुलिस सभी बैंक खातों की जांच कर रही है। जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ेगी गिरफ्तारी की संख्या भी बढ़ेगी।

    जांच में लगी पुलिस टीम को खाने की सुध न सोने का ठिकाना

    शिक्षिका शम्पा रक्षित के साथ ठगी की जानकारी होने पर 13 मार्च को साइबर क्राइम थाना में मुकदमा दर्ज किया गया था। डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा के नेतृत्व में पुलिस टीम इस मामले के राजफाश में लग गई। पहली टीम में साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र, हेड कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता समेत 11 साइबर एक्सपर्ट रहे। दूसरी टीम में साइबर सेल प्रभारी अजीत कुमार वर्मा के साथ सात एक्सपर्ट रहे।

    तीसरी टीम इंटेलिजेंस विंग प्रभारी (एसओजी) मनीष कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बनाई गई थी। इसमें पांच तेज-तर्रार पुलिसकर्मी शामिल थे। टीमें लगातार साइबर ठगों की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थी। साइबर क्राइम थाना की टीम 18 से 20 घंटे तक लगातार काम किया।

    कई पुलिसकर्मी तो घर भी नहीं जा सके और पूरी नींद भी नहीं ले सके। दो हजार बैंक खातों को खंगाला, बैंक के बड़े अधिकारियों की मदद से रुपये फ्रीज कराए। सबकी मेहनत रंग लाई और साइबर ठग पकड़े गए। उनके पास से डीसीपी ने पुलिस टीम को 25 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा किया है।

    एप के जरिए काल करके शिक्षिका संग की साढ़े तीन करोड़ की साइबर ठगी

    शिक्षिका शम्पा रक्षित सिगरा थाना क्षेत्र के रथयात्रा स्थित अमलतास अपार्टमेंट में रहती हैं। उन्होंने अपना मकान पांच करोड़ में बेचा था। दो करोड़ में मकान खरीदा था और अन्य रुपये उनके बैंक खातों में थे। बीते आठ मार्च को उनके मोबाइल पर काल आई। फोन करने वाले ने बताया कि वह टेलिकाम रेगुलेटरी अथार्टी से बोल रहा है। जानकारी दिया कि दो घंटे में आपका फोन बंद हो जाएगा।

    उसने कहा कि थोड़ी ही देर में आपके पास पुलिस का एक फोन काल आएगा। उसने जैसा बताया था थोड़ी ही देर में एक फोन काल शम्पा के मोबाइल पर आया। फोन करने वाले ने बताया कि वह महाराष्ट्र के विले पार्ले पुलिस स्टेशन से विनय चौबे बोल रहा है। एक मोबाइल नंबर बताकर कहा कि यह मोबाइल नंबर आपने लिया और इसके जरिए ब्लैक मनी लांड्रिंग हो रही है। इसलिए आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट है। उसने अपने सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा और वीडियो कालिंग के लिए स्काइप एप डाउनलोड कराया। इसके बाद खुद को पुलिस का सीनियर अधिकारी बताने वाले से शम्पा की बात होने लगी।

    वीडियो कालिंग के दौरान वह वर्दी में होता था इसलिए शम्पा ने उसे पुलिस अधिकारी मान लिया। उस व्यक्ति ने गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर के ही अंदर रहने और इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताने की धमकी दिया। शम्पा से उसके पूरे परिवार और बैंक खातों का जानकारी लेकर उनको चेक किया। इसके बाद पूरे रुपये एक बैंक खाते में डालने को बोला जिसे वह आरबीआइ का खाता बता रहा था।

    आश्वासन दिया कि जांच के बाद सारे रुपये वापस कर दिए जाएंगे। डर की वजह से शम्पा ने उसके बताए बैंक खाते में तीन करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद फोन करने वालों ने खाते में बचे 55 लाख रुपयों की भी मांग की। इसे भी शिक्षिका ने ट्रांसफर कर दिया।

    इसके बाद शम्पा ने इस बारे में अपने सीए से बात की तो उसने साइबर ठगी होने की जानकारी दी। पुलिस जांच के अनुसार शिक्षिका को फोन काल वर्चुअल वाइस कालिंग एप के जरिए किया था। इसलिए कॉल करने वाले अभी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। काल का आइपी एड्रेस निकालकर जांच की जा रही है।