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  • ”वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आधुनिक स्वरुप” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

    ”वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आधुनिक स्वरुप” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

    नया रायपुर कलिंगा विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के रसायन शास्त्र विभाग के द्वारा ”वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आधुनिक स्वरुप” विषय पर 24 एवं 25 फरवरी को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें देश-विदेश के विषय विशेषज्ञ विद्वान,प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित थें।इस राष्ट्रीय सम्मेलन में शोधपत्र एवं पोस्टर प्रदर्शन भी किया गया।जिसमें 225 से अधिक प्रतिभागियों  ने अपना पंजीयन कराया।इस सम्मेलन में चयनित शोधपत्रों का प्रकाशन आईएसबीएन बुक में भी किया जाएगा।

    विदित हो कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन  का शुभारंभ  कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर, छात्र कल्याण प्रकोष्ठ की अधिष्ठाता डॉ.आशा अंभईकर अकादमिक विभाग के अधिष्ठाता डॉ.राहुल मिश्रा ,आईक्यूएसी की निदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी बिरादर,विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ.शिल्पी श्रीवास्तव ,सम्मेलन की संयोजक डॉ.संयोगिता शाही एवं गणमान्य अतिथि के रुप में उपस्थित आईआईटी भिलाई के सह प्राध्यापक डॉसंजीब बनर्जी, डॉ.राहुल जैन,डॉ.विनोद दाम्बुलकर,डॉ.मनीषा शुक्ला,डॉआशीष सिंह ,डॉ.आर.एसठाकुर  के द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

    सम्मेलन के शुभारंभ के पश्चात नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फार्मेक्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (अहमदाबाद) के निदेशक डॉ.शैलेंद्र सर्राफ ने हाईब्रिड मोड के माध्यम से शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम विज्ञान और तकनीकी के समय में रह रहे हैं। हम सभी का जीवन वैज्ञानिक अविष्कारों और आधुनिक समय की तकनीकों पर बहुत अधिक निर्भर है। किसी भी देश का विकास वहाँ के लोगों के विकास के साथ जुड़ा हुआ होता है। इसके मद्देनज़र यह ज़रूरी हो जाता है कि जीवन के हर पहलू में विज्ञान-तकनीक और शोध कार्य अहम भूमिका निभाएँ। विकास के पथ पर कोई देश तभी आगे बढ़ सकता है जब उसकी आने वाली पीढ़ी के लिये सूचना और ज्ञान आधारित वातावरण बने और उच्च शिक्षा के स्तर पर शोध तथा अनुसंधान के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।

    प्रथम दिन के तकनीकी सत्र में आईआईटी भिलाई के रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉसंजीब बनर्जी, एनआईपीआर,मोहाली के प्राध्यापक प्रो.(डॉ.),डॉ.राहुल जैन,सीसीएसएमआरआई,भावनगर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आर.एस.ठाकुर, गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉआशीष सिंह,लखनऊ विश्वविद्यालय की मनीषा शुक्ला और नयी दिल्ली से पधारे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.विनोद दाम्बुलकर ने शोधार्थियों को संबोधित किया।

    सम्मेलन के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रुप में लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.देशदीपक ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि  हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब ज्ञान ही वास्तविक शक्ति है। हम सभी को उस ज्ञान से सशक्त बनाने की आवश्यकता है जो प्रत्येक व्यक्ति का सर्वोत्तम संसाधन है। हमें ऐसा ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता है जो हमारे राष्ट्र की समस्याओं का सामूहिक रूप से समाधान करने में सक्षम हो।सम्मेलन के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में प्रो.(डॉ.) सी.एस.शुक्ला,प्रो.(डॉ.) राबर्ट डार्कसन,प्रो. (डॉ.) आरः ए.ठाकुर,प्रो.(डॉ.) अनिल मिश्रा ,डॉआरशबरी बानो,डॉकिंगशुक दत्ता ने शोधार्थियों को संबोधित किया।

    अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 80 से अधिक प्रतिभागियों ने आनलाईन/ऑफलाइन मोड में  अपने शोधपत्रों को प्रस्तुत किया।इस सम्मेलन में शोधपत्र की प्रस्तुति के लिए कुल 140 शोधपत्रों का चयन किया गया।उक्त सम्मेलन में 135 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने पोस्टर का प्रदर्शन किया।विदित हो कि इन स्वीकृत शोधपत्रों का प्रकाशन आईएसबीएन बुक के साथ-साथ स्कोपस और यूजीसी सूची में दर्ज जर्नल में किया जाएगा।।कार्यक्रम का कुशल संचालन रसायन विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.मोमिता सिन्हा और विज्ञान संकाय की विद्यार्थी  सुश्री इशिका तनरेजा,सुश्री रखशन्दा और सुश्री अनुरुपा दास ने किया।जबकि तकनीकी व्यवस्था का संचालन कम्प्यूटर साईंस एवं आईटी विभाग के विभागाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश देवांगन एवं श्री त्रिलोकी ने किया।उक्त अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में सम्मेलन की संयोजक डॉ.संयोगिता शाही  ने सम्मेलन में उपस्थित अतिथियों एवं शोधार्थियों के साथ समस्त उपस्थित जन के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।जबकि आभार प्रदर्शन विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ.शिल्पी श्रीवास्तव ने किया।दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय  सम्मेलन में सुश्री प्रियंका गुप्ता,डॉ.प्रीति पांडेय, सुश्री सरबरी बानो,श्री एन.के.जोशी,श्री घनंजय जैन,डॉ.स्मिता प्रेमानंद,श्री अमन गुप्ता,सुश्री हर्षा यादव एवं विज्ञान संकाय के समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।