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    लाइलाज नहीं है मिर्गी, जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज

    नई दिल्ली,16 नवम्बर 2022\ 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के रूप में मनाया जाता है. यही नहीं नवंबर के पूरे महीने को राष्ट्रीय मिर्गी जागरुकता माह  के तौर पर मनाया जाता है. मिर्गी को लेकर हमारे समाज में एक अजीब सी भावना है. मिर्गी को लेकर जानकारी के आभाव में लोग इसे लाइलाज बीमारी मान लेते हैं. आमतौर पर मिर्गी का दौरा आने पर जूता सुंघाने, झाड़-फूंक करने जैसे उपाय सुझाए जाते हैं. यही नहीं जिस किसी को मिर्गी के दौरे आते हैं, आस-पड़ोस वाले और रिश्तेदार उसके भविष्य को लेकर चिंता जाहिर करने लगते हैं. लेकिन बता दें कि मिर्गी ठीक हो सकती है और उसके बाद व्यक्ति जीवन में अपार सफलता भी हासिल कर सकता है. आपमें से शायद कई लोग नहीं जानते होंगे कि बॉलीवुड एक्टर गोविंदा को भी कभी मिर्गी के दौरे आते थे. यहां तक कि दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी और दुनिया के सबसे अच्छे फील्डर रहे जोंटी रोड्स को भी बचपन में मिर्गी के दौरे आते थे. ‘कांटा लगा…’ गाने के रिमिक्स से लाइमलाइट में आई शेफाली जरीवाला भी कभी मिर्गी के दौरों से जूझती थीं. लेकिन आज यह सभी लोग मिर्गी को हरा चुके हैं और अपने-अपने फील्ड में सफलता के झंडे गाड़ चुके हैं. मिर्गी के बारे में और अधिक जानते हैं-

    मिर्गी क्या है, मिर्गी का दौरा किसे कहते हैं?

    मिर्गी दिमाग से जुड़ी हुई एक गैर संक्रामक (Noncommunicable Disease) है, जिससे WHO के अनुसार दुनियाभर में करीब 5 करोड़ लोग पीड़ित हैं. दरअसल ब्रेन सेल्स के सर्किट में अत्यधिक स्पार्किंग की वजह से मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ता है. यह स्पार्किंग दिमाग के अलग-अलग हिस्सों में हो सकती है. मेडिकल साइंस में मिर्गी के दौरे को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर कहा जाता है. मिर्गी के दौरे के दौरान कई बार व्यक्ति बेहोश हो जाता है और यहां तक कि मरीज बाउल और ब्लैडर फंक्शन भी प्रभावित होता है यानी वह मिर्गी के दौरे के दौरान मल-मूत्र भी कर सकता है. मिर्गी के दौरे कुछ लक्षणों के लिए हल्के लक्षणों से लेकर घंटों तक गंभीर लक्षणों के रूप हो सकते हैं. मिर्गी के दौरों की बारंबरता यानी फ्रिक्वेंसी भी दिन में कई बार से साल में एक बार तक भी हो सकती है.

    दुनियाभर में 10 फीसद लोग ऐसे हैं, जिन्हें पूरी जिंदगी में कभी न कभी मिर्गी का एक दौरा आया है. हालांकि, जिंदगी में सिर्फ एक दौरे को मिर्गी के रूप में नहीं देखा जाता है. जब किसी व्यक्ति को अपने जीवनकाल में दो या दो से ज्यादा दौरे आते हैं तब इसे मिर्गी की श्रेणी में रखा जाता है. मिर्गी दुनिया की सबसे पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है. मिर्गी का ज्ञात इतिहास 4000 वर्ष ईसा पूर्व का है. मिर्गी जैसी स्वास्थ्य समस्या को सदियों तक डर, गलतफहमी, भेदभाव और सामाजिक कलंक के आवरण ने ढके रखा. आज भी कई इलाकों में मिर्गी को कलंक की भावना से देखा जाता है, जिसकी वजह से इस समस्या से पीड़ित लोगों के क्वालिटी ऑफ लाइफ पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.

    भारत में मिर्गी के कितने मरीज हैं और इसके लक्षण?

    WHO के अनुसार दुनियाभर में 5 करोड़ लोग मिर्गी की बीमारी से जूझ रहे हैं. चिंताजनक बात यह है कि इनमें से 1.2 करोड़ लोग यानी 12 मिलियन भारत में ही हैं. मिर्गी के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह दिमाग के किस हिस्से में शुरू हुआ और कहां तक फैला. मिर्गी के कुछ अस्थायी लक्षणों में बेहोश होना, चलने-फिरने में दिक्कत, सनसनी, देखने, सुनने में परेशानी और टेस्ट न आना, अचानक मूड बदलना और अन्य संज्ञानात्मक कार्यों में परेशानी इसके प्रमुख लक्षण हैं.

    • अचानक से गुस्सा आना
    • कंफ्यूजन की स्थिति में रहना
    • डर लगना
    • एंग्जाइटी
    • खड़े-खड़े अचानक गिर जाना
    • कुछ देर के लिए कुछ भी याद करने में परेशानी महसूस होना
    • चक्कर आना
    • किसी एक गतिविधि को बार-बार दोहराना, जैसे ताली बजाना
    • हाथ, गर्दन और चेहरे की मांसपेशियों में झटके आना

    मिर्गी के मरीजों को कई तरह की शारीरिक समस्याएं भी होती हैं. इसमें शरीर पर चकत्ते पड़ना, चोट के निशान और नील पड़ना भी शामिल हैं. इसके अलावा मिर्गी के मरीजों में साइक्लॉजिकल समस्याएं भी देखने को मिलती हैं, जिसमें चिंता और अवसाद प्रमुख हैं. मिर्गी के मरीजों में असमय मृत्यु का जोखिम भी अधिक होता है और यह आम लोगों से तीन गुना अधिक होता है. मध्यम और निम्न आय वर्ग वाले देशों और ग्रामीण इलाकों में मिर्गी की वजह से मृत्यु की उच्च दर देखने को मिलती है. गिरने, डूबने, जलने और लंबे समय तक मिर्गी का दौरा आने की वजह से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है.

    मिर्गी के दौरे किन कारणों की वजह से आते हैं?

    सबसे पहले तो आपको यह समझ लेना जरूरी है कि मिर्गी की बीमारी संक्रामक नहीं है. फिर भी कुछ अंतर्निहित कारण मिर्गी का कारण बन सकते हैं. दुनियाभर में सामने आने वाले मिर्गी के मामलों में से 50 फीसद का कारण आज भी अज्ञात है. मिर्गी के कारणों को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा गया है –
    जेनेटिक या संरचनात्मक, संक्रामक, मेटाबोलिक, इम्यून और अज्ञात

    • जन्मपूर्व या प्रसवकालीन कारणों से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचना (जैसे जन्म के दौरान ऑक्सीजन की कमी या आघात पहुंचना, जन्म के समय वजन कम होना)
    • संबंधित मस्तिष्क विकृतियों के साथ जन्मजात असामान्यताएं या आनुवंशिक स्थितियां
    • सिर में लगी गंभीर चोट
    • स्ट्रोक, जिसकी वजह से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा बाधित होती है
    • मस्तिष्क में किसी तरह का संक्रमण, जैसे मेनिंजाइटिस, एंसेफलाइटिस और न्यूरोसिसटिस्रकोसिस,
    • कुछ आनुवंशिक सिंड्रोम
    • ब्रेन ट्यूमर

    मिर्गी का इलाज कैसे होता है?

    मिर्गी के दौरों को नियंत्रित किया जा सकता है. मिर्गी के साथ जी रहे मरीजों में से 70 लोग एंटीसीजर दवाएं लेकर ठीक हो सकते हैं. अगर आप एंटीसीजर दवाएं ले रहे हैं और दो साल से आपको कोई दौरा नहीं आया है तो दवाएं लेना बंद कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको पहले क्लिनिकल, सोशल और पर्सनल फैक्टर्स की जांच करनी चाहिए. मिर्गी के दौरों का एक डॉक्यूमेंटिड इटियोलॉजी और असामान्य इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (EEG) पैटर्न मिर्गी के आगामी दौरों के बारे में सबसे सटीक जानकारी दे सकते हैं. कम आय वाले देशों और इलाकों में रहने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है और इसे ट्रीटमेंट गैप कहते हैं. जिन मरीजों को दवाओं से लाभ नहीं मिलता है, सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया जा सकता है.

    झाड़-फूंक और टोना-टोटका के चक्कर में न पड़ें इससे मरीज की स्थिति और बिगड़ सकती है. बल्कि मरीज का समय पर इलाज करवाएंगे तो उसके जल्द से जल्द ठीक होने की उम्मीद और बढ़ेगी. मिर्गी का एक प्रकार न्यूरो सिस्टिस सरकोसिस होता है, जो खुले में शौच की वजह से हो सकता है. खुले में शौच करने से पेट में मौजूद टेप वॉर्म बाहर निकल आते हैं और पानी के स्रोतों व खेतों में मौजूद सब्जियों में मिल जाते हैं. ऐसे में अगर आप सब्जियों को बिना धोए खाते हैं तो टेप वॉर्म के सिस्ट पेट से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और उनकी वजह से मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं.