Tag: मयारुक गीत मन के मयारु रचनाकार मुकुंद कौशल

  • मयारुक गीत मन के मयारु रचनाकार मुकुंद कौशल

    मयारुक गीत मन के मयारु रचनाकार मुकुंद कौशल

    रायपुर 9 नवंबर 2022/
    सन् 1980 के दशक ह छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के स्वर्ण काल रिहिसे. तब इहाँ मनोरंजन के मुख्य साधन आकाशवाणी ले बजइया गीत मन ही प्रमुख राहयं. तब तावा, जेला ग्रामोफोन काहयं, तेहू म बर-बिहाव अउ छट्ठी-बरही आदि मन म नंगत के छत्तीसगढ़ी गीत चलय.
    वो बखत एक ले बढ़के एक छत्तीसगढ़ी के कर्णप्रिय गीत सुने ले मिलय. वो गीत मनमा-
    मोर भाखा संग दया मया के सुग्घर हवय मिलाप रे
    अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा कोनो संग झन नाप रे…
    * * * * *
    धर ले कुदारी गा किसान
    आज डिपरा ल खन के डबरा पाट देबो गा..

    आदि गीत कतकोन गीत सुने बर मिलय. वो बखत छत्तीसगढ़ के मोहम्मद रफी के नांव ले चिन्हारी करइया केदार यादव के आवाज अउ मुकुंद कौशल के रचना के लगभग जुगलबंदी के मोहक रूप गजबेच सुने बर मिलय. मुकुंद कौशल जी मोला एक पइत बताए रिहिन हें, के उन अपन जम्मो गीत मनके धुन ल घलो खुदे बनावंय, जेमा थोड़ा-बहुत परिमार्जन कर के गायक-गायिका मन गा लेवत रिहिन हें.
    7 नवंबर 1947 के दुरुग के सोनी जेठालाल धोलकिया अउ महतारी उजम बेन के घर जनमे मुकुंद कौशल जी के चिन्हारी वइसे तो हिन्दी, छत्तीसगढ़ी, गुजराती अउ उर्दू सबो भाखा म समान अधिकार रखने अउ लिखने वाला के रूप म रिहिसे, फेर मैं उंकर छत्तीसगढ़ी रूप, उहू म खास करके गीतकार रूप ले जादा प्रभावित रेहेंव.
    मोर वोकर संग चिन्हारी वइसे तो 1983 म जबले मैं साहित्य जगत म पांव रखेंव तबले रिहिसे, फेर घनिष्ठता सन् 1987 म जब छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका ‘मयारु माटी’ निकाले के चालू करेन तब ले बाढ़िस. वो बखत मैं दुरुग-बघेरा दाऊ रामचंद्र देशमुख अउ महासिंग चंद्राकर जी संग भेंट करे बर जावत राहंव, तब मुकुंद कौशल जी अउ वोकर दूकान के तीरेच म रहइया केदार यादव संग घलो भेंट करके आवत रेहेंव. फेर उंकर संग जादा बइठकी तब होइस जब 1993-94 म मैं छत्तीसगढ़ के पहला रिकार्डिंग स्टूडियो चालू करेंव. तब हमर स्टूडियो म मुकुंद कौशल जी के संगे-संग वो बखत के प्रायः जम्मो प्रसिद्ध गायक-गायिका, गीतकार अउ संगीतकार मन संग घंटों बइठना अउ विविध विषय म गोठियाना चलय. काबर ते उन सब रिकार्डिंग के बुता म कोनो न कोनो किसम ले संघरत रिहिन हें.
    मुकुंद कौशल जी साहित्य के संगे-संग ज्योतिष शास्त्र के घलो बने जानकार रिहिन हें. एक पइत मोला बताय रिहिन हें, पहिली उन मुकुंद लाल सोनी के नांव ले लिखयं. फेर उनला वतका सफलता नइ मिलिस, तब अंक ज्योतिष के अनुसार अपन जन्म मूलांक 7 के शुभांक खातिर मुकुंद नांव ले लाल अउ सोनी ल निकाल के वोमा कौशल शब्द जोड़ देंव कहिके. ए प्रकार फेर उन अपन नांव मुकुंद कौशल लिखे लगिन. उन बतावंय के अंक ज्योतिष के अनुसार ए बदले नांव ले वोला साहित्य के संगे-संग रोजगार-व्यापार म घलो अच्छा सफलता मिले लगिस.
    मुकुंद कौशल जी के पहला रचना उंकर पढ़ई करत बेरा ही सन् 1964 म ‘प्रयास’ नांव के स्मारिका म छपे रिहिसे. वोकर पाछू डाॅ. विनय पाठक के संपादन म छपइया तिमाही ‘भोजली’ म. उंकर पहला काव्य संकलन ‘लालटेन जलने दो’ 1993 म छपिस. फेर तो लगातार लेखन अउ प्रकाशन के सिलसिला चल परिस, जेमा करीब 18 किताब शामिल हें. एमा के एक-दू छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी संग्रह के प्रूफ उन मोरो जगा पढ़वाए रिहिन हें, जेन वैभव प्रकाशन ले निकले रिहिसे.
    मुकुंद कौशल जनता के कवि रहिन हें. उंकर रचना म ए बात जगजग ले दिख जावय-
    जे बनिहारिन बर-बिहाव म
    बत्ती धर चलत रथे
    ओकर अंधियारी जिनगी म
    दीया बारौ तब बनही
    * * * * *
    बिन सुरुज के जग अंधियारी, बिन परेम के दुनिया
    बिना बजाए मया-पिरित के, नई बाजय हरमुनिया
    आज संग नइ गा पाएन तौ अउ कब गाबोन वो
    छिन भर कहुंचो बइठ क सुख-दुख ल गोठियाबो वो
    मुकुंद कौशल जी मोला एक पइत बताए रिहिन हें, मैं अपन रचना मनला तीनों भाखा म एक साथ लिख लेथौं. पहिली हिन्दी म लिखथौं, फेर गुजराती म अउ ओकर बाद छत्तीसगढ़ी म. मुकुंद कौशल जी एक अच्छा रचनाकार, अच्छा वक्ता के संगे-संग एक बहुत ही अच्छा कवि मंच के संचालन करइया घलो रिहिन हें. मोला उंकर संचालन म आकाशवाणी के संगे-संग कतकों कवि सम्मेलन के मंच मन म घलो कविता पाठ करे के अवसर मिले रिहिसे.
    मुकुंद कौशल जी संग मोर उंकर जिनगी के आखिरी बेरा तक संपर्क बने रिहिसे. ए दुनिया ले बिदागरी के ठउका पंदरही पहिली 19-20 मार्च 2021 के रायपुर के होटल क्लार्क इन म होए दू दिनी छत्तीसगढ़ी साहित्य के जलसा के पहला दिन हमन पूरा कार्यक्रम म एके संग बइठे रेहेन. हमर मनके संग म नंदकिशोर तिवारी जी अउ डाॅ. विनय पाठक जी घलो रिहिन. वो दिन हम चारों के ओ मंच ले एके संग सम्मान होए रिहिसे. तब जनावत रिहिसे, के मुकुंद जी के तबियत बने नइ चलत ए. विश्वव्यापी महामारी कोरोना के दौर चालू होगे रिहिसे, फेर मुकुंद जी मास्क नइ लगाए रिहिन हें. तब मैं पूछे रेहेंव- भैया… त उन कहे रिहिन हें- भाई मोला सांस ले म तकलीफ होथे, भारी अकबकासी लागथे, तेकर सेती मास्क नइ लगाए औं. अउ ठउका ओकर पंदरही के बीतते 4 अप्रैल के खबर आगे के उंकर देवलोक गमन होगे.
    उंकर सुरता ल पैलगी.. जोहार 🙏