रायपुर। आज सुबह NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) की टीम स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदुर कार्यकर्त्ता समिती) के मजदूर नेता कलादास डेहरिया से पूछताछ के लिए उनके निवास, लेबर कैम्प, जामुल, भिलाई पहुंची। जिस तरीके से एनआईए ने कॉमरेड कलादास के घर पर धावा बोला वह आम जनता में भय पैदा करने वाला था। जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ मजदूर नेता, जन कवि कलादास के खिलाफ NIA और राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है।
विदित हो कि कॉमरेड कलादास जामुल, भिलाई में एसीसी सीमेंट प्लांट से सटे श्रमिक कॉलोनी (लेबर कैंप) में रहते हैं। वे छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के सक्रिय सदस्य के रूप में भिलाई के विभिन्न श्रमिक संघर्षों के साथ सन 1990 से शंकर गुहा नियोगी जी के आंदोलन से जुड़े हुए हैं। वे एक प्रसिद्ध जनगायक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं, और रेला मंच से जुड़े हैं। कलादास NAPM के राष्ट्रीय समन्वयक हैं ।राज्य में फासीवादी सांप्रदायिक ताकतों के अत्याचार के खिलाफ अभियान चला रहे जन संघर्ष मोर्चा के अलावा पीयूसीएल (PUCL) से भी सक्रियता से जुड़े हुए हैं। बीते 3 दशक से कॉमरेड कलादास मजदूरों और किसानों के पक्ष में, मानव अधिकारों के पक्ष में,आदिवासीयों पर होने वाले दमन के खिलाफ, जल, जंगल और जमीन की रक्षा के संघर्ष में तथा अल्पसंख्यकों पर होने वाले संघी मनुवादी/ ब्राम्हणवादी फासीवादी दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं।
आज अल सुबह कलादास जी और उनकी पत्नी नीरा को उनके दरवाजे खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी। जब उन्होंने दरवाजा खोला, तो उन्हें बाहर 15-16 लोगों की एक बड़ी पुलिस फोर्स मिली । उनमें से कुछ दुर्ग पुलिस के साथ थे, लेकिन बाकी ने खुद को एनआईए रांची के रूप में बतलाया। उन्होंने कलादास जी को यह नहीं बताया कि वे किस विशेष मामले की जांच कर रहे थे, लेकिन उन्हें शुरू में ही बता दिया कि वह रांची (झारखण्ड) के एक प्रकरण जो “भारत विरोधी गतिविधियों” से जुड़ा हुआ है उसके सम्बन्ध में उनसे बतौर गवाह के रूप में पूछताछ की जा रही है । जाँच के दौरान पूरे घर की तलाशी ली गयी और एक पेन ड्राइव, एक लैपटॉप और एक मोबाइल NIA टीम द्वारा जब्त गया, जिसका हैश वैल्यू और क्लोन कॉपी NIA द्वारा नहीं दिया गया, जिससे भविष्य में सबूतों से छेड़छाड़ होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता औए यह कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन एवं असंवैधानिक हैं ।
कलादास जी ने बताया कि यह कार्यवाही मजदूरों की आवाज को दबाने और उनकी छवि को धूमिल करने एवं संगठन को तोड़ने भाजपा सरकार की एक साजिश है जिससे वे डरने वाले नहीं हैं l
सुबह के समय जब पुलिस कलादास जी के घर पर थी, तो कई पुलिस अधिकारी उनकी संकरी गली में बाहर तैनात थे, जो पड़ोस के किसी भी निवासी को गली में कदम रखने से रोक रहे थे। उन्होंने बाहर से कुछ दरवाजे भी बंद कर दिए, लोगों को अपनी खिड़कियां खोलने से भी मना किया गया और यहां तक कि लोगों को पीने का पानी भरने से भी रोक दिया गया जबकि नगरपालिका के नलों पर पानी सुबह सीमित समय के लिए ही उपलब्ध होता है। पुलिस ने पड़ोस के एक वकील को भी कॉमरेड कलादास से मिलने से रोक दिया। एसपी दुर्ग को शिकायत करने से भी कोई मदद नहीं मिली, क्योंकि उन्होंने एनआईए टीम का दृढ़ता से बचाव करते हुए कहा कि छापेमारी और पूछताछ के दौरान वकीलों को अनुमति नहीं है, जो कि आपराधिक संहिता और कई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सीधा उल्लंघन है। एनआईए द्वारा सौंपे गए कागजात से पता चलता है कि कलादास जी को झारखंड में एक पुराने एनआईए मामले के सिलसिले में गवाह के तौर पर 1 अगस्त को एनआईए रांची के समक्ष उपस्थित होना है। इन कागजातों से यह स्पष्ट नहीं है कि कलादास जी और झारखंड के इस मामले के बीच क्या संबंध है। जिस तरह से छापेमारी की गई, उसका उद्देश्य श्रमिकों को डराना और उचित वेतन के लिए उनके संघर्ष को रोकना है। कुछ दिन पहले ही कॉमरेड कलादास ने राज्य सरकार को एक ज्ञापन भेजा था, जिस पर कई लोगों ने हस्ताक्षर किए थे, जिसमें हसदेव में प्रस्तावित पेड़ों की कटाई और चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन का विरोध किया गया था और बस्तर में ग्रामीणों की सुरक्षा और एसीसी में सीमेंट वेज बोर्ड लागू करने की मांग की गई थी। यह छापेमारी ऐसे ज्ञापन के प्रति राज्य की प्रतिक्रिया हो सकती है। जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़,राज्य के तमाम जनवादी संगठनों से गुजारिश करती है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छीने जाने की फासिस्ट मोदी सरकार और उसकी जांच संस्था एनआईए की कारवाही के खिलाफ आवाज उठाएं ।क्योंकि फासिस्ट संघ परिवार लोकतंत्र और संविधान के पहरुओं पर पूरे देश में इसी तरह से हमले कर रही है।