वाशिंगटन,22 फरवरी 2023\ अगर आपको लगता है कि जातिगत भेदभाव सिर्फ भारत में ही है, तो आप गलत हैं. अमेरिका भी जातिगत भेदभाव से अछूता नहीं है. हालांकि, अब वहां इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए कड़े कदम भी उठाने शुरू हो दिए हैं. सिएटल जाति आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने वाला अमेरिका का पहला शहर बन गया है. भारतीय अमेरिकी नेता एवं अर्थशास्त्री ने सिएटल सिटी काउंसिल में भेदभाव न करने की नीति में जाति को शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे पारित कर दिया गया है.
उच्च जाति की हिंदू नेता क्षमा सावंत के प्रस्ताव को सिएटल के सदन यानी सिटी काउंसिल में एक के मुकाबले छह मतों से पारित किया गया. अमेरिका में जाति आधारित भेदभाव के मामले पर इस मत परिणाम के दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं. सावंत ने प्रस्ताव पारित होने के बाद कहा, “यह आधिकारिक हो गया है. हमारे आंदोलन के कारण सिएटल में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो देश में पहली बार हुआ है. इस जीत को देशभर में फैलाने के लिए हमें इस आंदोलन को आगे बढ़ाना होगा.”
इस प्रस्ताव से पहले भारतीय अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने भी इसे अपना समर्थन दिया था. उन्होंने कहा, “अमेरिका समेत दुनिया में कहीं भी जाति आधारित भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है और इसी लिए कुछ महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों ने परिसरों में इस पर प्रतिबंध लगा दिया है और श्रमिक जातिगत भेदभाव संबंधी मामलों में अपने अधिकारों एवं अपनी गरिमा के लिए लड़ रहे हैं.”
‘आंबेडकर फुले नेटवर्क ऑफ अमेरिकन दलित्स एंड बहुजन्स’ की मधु टी ने कहा कि एक “विवादास्पद परिषद सदस्य” द्वारा “दुर्भावनापूर्ण तरीके से और जल्दबाजी में लाया गया” अध्यादेश केवल दक्षिण एशियाई लोगों को, विशेष रूप से दलित एवं बहुजन को नुकसान पहुंचाएगा. कई भारतीय-अमेरिकियों को डर है कि सरकारी नीति में जाति को संहिताबद्ध करने से अमेरिका में हिंदूफोबिया (हिंदुओं के खिलाफ घृणा एवं डर की भावना) के मामले और बढ़ेंगे.