रायपुर 13 मार्च 2023/
कांग्रेस से लेकर राजद, तृणमूल कांग्रेस, शिव सेना, एनसीपी, आम आदमी पार्टी टीआरएस समेत हर पार्टी के नेताओं के घर और उनके ठौर-ठिकानों पर आए दिन छापे की कार्रवाई देखने को मिल रही है.
एक समय था जब लोग-बाग ईडी, सीबीआई और इन्कम टैक्स विभाग की कार्रवाई को विश्वसनीय मानते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब जहां कहीं भी छापा पड़ता है उसके पहले ही यह कथा-कहानी बाहर आने लगती है कि छापे का निहितार्थ क्या है ?
भले ही भाजपा ईडी की कार्रवाई को एक सफलता के रूप में देख-समझ रही है. उसे लग रहा है कि यहां-वहां-जहां-तहां पड़ने वाला छापा उसके वोट बैंक में इज़ाफ़ा कर देगा, लेकिन ऐसा लगता नहीं है.
अगर बात छत्तीसगढ़ की ही करें तो ग्रामीण इलाकों में लोग-बाग यह चर्चा करने लगे हैं भाजपा के कुछ बड़े नेता जब भूपेश बघेल से मुकाबला नहीं कर पाए तो वे दिल्ली के बड़े नेताओं से संपर्क साधकर छापा डलवा रहे हैं.
ग्रामीणों की चर्चा में यह बात बड़ी शिद्दत से शामिल है कि गैर छत्तीसगढ़िया नेता छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. छत्तीसगढ़ के बाहरी इलाकों से यहां आकर राजनीति करने वाले भाजपा नेताओं की भूमिका को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. छापे की कार्रवाई के लिए कोई राजस्थान की अग्रवाल लॉबी को जिम्मेदार मानता है तो ज्यादातर लोग मानते हैं कि पर्दे के पीछे रीवा-सतना इलाके के ठाकुर साहब और पूर्व नौकरशाह मेन रोल में है.
बहरहाल ईडी-फीडी की कार्रवाई के बीच छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फ़िज़ाओं में हास्यबोध से भरी हुई कुछ बातें और भी हो रही है.
1- छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को हर जिला मुख्यालय में ट्रांजिट हॉस्टल बनवाना चाहिए ताकि ईडी के अफसरों को महंगे होटलों में रहना ना पड़े.
2-जब ईडी के अफसरों को छत्तीसगढ़ में ही रहना है तो सबसे पहले उनके बच्चों को ही स्वामी आत्मानंद स्कूल में एडमिशन मिलना चाहिए.
3-खबर है कि ईडी के किसी अफसर को गढ़कलेवा का भोजन बहुत पसंद आया था. ट्रांजिट हॉस्टल की तरह हर जिले में गढ़कलेवा सेंटर खुल जाय तो कितना अच्छा हो ?
4- ईडी के अफसरों को कुटुम्बसर गुफा में भी छापा मारना चाहिए. गुफा में इसलिए कि उनके आका को गुफा-कंदराओं में फोटो खिंचवाने का शौक है. अफसर इसी बहाने अंधी मछलियों को देख लेंगे. बहुत संभव है कि मोदी के कर्तव्यनिष्ठ अफसरों देखकर अंधी मछलियों का अंधत्व ठीक हो जाय.
5- ईडी के अफसरों को चाहिए कि वे कटोरा तालाब की दुकान से नहीं बल्कि मिलेट्री कैंटिन से अपना सामान उठाए.
एक सुझाव यह भी सामने आया है-
कांग्रेस को जगह-जगह ( ईडी दफ्तर के सामने भी )इस बात के लिए बैनर-पोस्टर लगाना चाहिए कि ईडी को भाजपा के किन बड़े नेताओं के यहां छापा मारना चाहिए और क्यों मारना चाहिए ? बैनर-पोस्टर में यह तो पूछा ही जाना चाहिए कि ईडी नान घोटाले वाली मैडम सीएम के यहां छापा कब मारेगी ? पनामा पेपर वाले यशस्वी और राजदुलारे नेता से कब पूछताछ करेगी ? लिस्ट में बहुत से नाम जुड़ सकते हैं क्योंकि 15 सालों में कारनामे भी बहुत हुए हैं.
एक ग्रामीण का कहना है-
ईडी दनादन छापा मार रही है तो छत्तीसगढ़ की पुलिस चुपचाप क्यों बैठी है ?
यह तो पता चलना ही चाहिए कि बरसों पहले रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी फिल्म शोले रीलिज़ हुईं थीं जिसके संवाद गली-कूचे में गूंजते थे-
– लोहा…लोहे को काटता है.लोहा गरम है चोट कर दो.
-गब्बर सिंह…तुम अगर एक मारोगे तो हम चार मारेंगे.
अगर कोई
शक्तिमान बनकर अच्छे-खासे
वर्तमान को बदलने की साज़िश रच रहा है तो हमें भी अपना
तापमान बदल लेना चाहिए.