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  • स्टील उद्योगों को मिल रही है 713 करोड़ रूपये की बड़ी छूट, फिर क्यों चिल्ल पों मचा रहे उद्योगपति

    स्टील उद्योगों को मिल रही है 713 करोड़ रूपये की बड़ी छूट, फिर क्यों चिल्ल पों मचा रहे उद्योगपति

    रायपुर।

    छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ग के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए जो पुनरीक्षित विद्युत दरें घोषित की गई हैं उनमें खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट के द्वारा 713 करोड़ रूपये की छूट उच्चदाब स्टील उद्योगों को दी जा रही है। यह छूट अन्य किसी भी वर्ग के उपभोक्ता को नहीं मिलती है। नियामक आयोग द्वारा लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है। उल्लेखनीय है कि लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट को अज्ञात कारणों से, आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाया गया था। इस परिस्थिति में भी छत्तीसगढ़ में उच्चदाब स्टील उद्योगों को विकसित सामाजिक-आर्थिक-भौगोलिक अद्योसंरचना वाले ताप विद्युत उत्पादक अन्य राज्यों की तुलना में काफी रियायती दरों पर ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है। नियामक आयोग ने इस छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया है जो वर्ष 2021-22 के पूर्व 8 प्रतिशत थी इस तरह वर्तमान छूट भी 2 प्रतिशत अधिक ही रखी गई है।छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अधिकृत सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा 01 जून 2024 को वर्ष 2024-25 के लिए विद्युत आपूर्ति की नये दरों की घोषणा की गई है। जिसमें उच्चदाब स्टील उद्योगों के प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में मात्र 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि कर 1 जून 2024 से प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार 6.35 रूपये निर्धारित किया गया है एवं लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है, जो 4 वर्ष पूर्व अचानक, आश्चर्यजनक तथा अज्ञात कारणों से 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दी गई थी। नियामक आयोग द्वारा छूट की दर 10 प्रतिशत करने की कार्यवाही इसलिए की गई ताकि अन्य श्रेणी के तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से प्राथमिकता वाले विद्युत उपभोक्ताओं पर कम भार पड़े। पूर्व में वर्ष 2021-22 में टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट, अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था।