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  • प्रेस वार्ता कर आंकड़ों के साथ भाजपा ने बताया कांग्रेस सरकार ने 229 करोड़ का गोबर घोटाला किया

    प्रेस वार्ता कर आंकड़ों के साथ भाजपा ने बताया कांग्रेस सरकार ने 229 करोड़ का गोबर घोटाला किया

    रायपुर 24 जुलाई 2023

    रायपुर। भारतीय जनता पार्टी रायपुर संभाग प्रभारी एवं विधायक सौरभ सिंह ने सोमवार को पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने गौठान बनाया और गोबर खरीदी की। गोबर की खरीदी जब सरकार करती है तो वह सरकार की संपत्ति हो जाती है। गोबर का उपयोग वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए किया जाता है। गोबर खरीदी को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने इस विषय को गंभीरता से उठाया भी था जिसमें उन्होंने गौठान निर्माण एवं गोबर खरीदी को लेकर प्रदेश सरकार से सवाल किया था।

    श्री सिंह ने कहा कि गोबर खरीदी में कैसे भ्रष्टाचार हुआ है या प्रदेश सरकार के आंकड़ों से पता चल रहा है। यह आंकड़ा मुख्यमंत्री से लेकर जनसंपर्क विभाग तक को भी मालूम है। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 246 करोड़ रुपए की गोबर खरीदी की तो यह गोबर सरकारी संपत्ति हो गया क्योंकि गोधन न्याय योजना में सरकार का पैसा लगा, बजट का पैसा लगा है।

    भाजपा संभाग प्रभारी एवं विधायक श्री सिंह ने प्रदेश सरकार से सवाल किया कि जब 246 करोड़ का गोबर प्रदेश सरकार ने खरीदा तो खरीदे गए गोबर का क्या बना कर बेचा और उसकी कितनी कीमत मिली? जिसके जवाब में प्रदेश सरकार के मंत्री जी का जवाब आया कि हमने 86 लाख रुपए का ही सामान बेचा है और इसके बारे में भाजपा ने हिसाब लगाया तो 17 करोड़ रुपए की बिक्री का तथ्य सामने आया। प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया जवाब ही गलत है। श्री सिंह ने कहा कि अगर हिसाब लगाया जाए तो 246 करोड रुपए में से 17 करोड़ रुपए घटा दें तो 229 करोड़ रूपए बचता है, जिसका हिसाब प्रदेश सरकार के पास नहीं है। गोबर खरीदी करने के बाद उसको वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर या पेंट बनाकर बेचा गया तो उसका वैल्यू ऑडिशन किया गया। दो रुपए किलो में गोबर खरीदने के बाद उसको 10 रुपए किलो की दर से वर्मी कंपोस्ट बनाकर बेचते हैं। 10 रुपए किलो की दर से वर्मी कंपोस्ट खाद बेच रहे हैं तो उसके बाद भी टोटल रिलाइजेशन हो रहा है, वह केवल 17 करोड़ रुपए का हो रहा है। तो 229 करोड रुपए कहां गया? वह गोबर है कहां? अगर आपने 229 करोड़ रुपए का सामान नहीं बेचा तो निर्मित सामान कहां-कहां पर है? किस-किस गौठान में हैं? कितना पेंट स्टॉक है? यह प्रदेश सरकार को बताना चाहिए। लेकिन इसका जवाब भी प्रदेश सरकार के मंत्री नहीं दे पा रहे हैं।