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    पुलिस-नक्सली मुठभेड़, गांव में ख़त्म हुआ नक्सलियों का खौफ

    बस्तर,29 अक्टूबर 2022। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से लगे ताड़वायली गांव नक्सलियों का गढ़ बस्तर में गत चार दशकों से नक्सलवाद का आतंक रहा है। अभी भी नक्सली अंदरूनी इलाकों में वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, गत वर्षो से बस्तर पुलिस भी नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक हुई है।  पुलिस के द्वारा एक के बाद एक लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाने से कई इलाकों में नक्सली बैकफुट पर हैं।

    इन इलाकों में अब ग्रामीण दहशत भरी जिंदगी से मुक्त हुए हैं और अब इन इलाकों तक विकास भी पहुंच रही है, 100 से ज्यादा गांव नक्सल मुक्त हो चुके है।  इन नक्सल मुक्त गांव में एक ऐसा गांव है जहां प्रदेश की पहली पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी, यहां नक्सलियों की काफी बड़ी संख्या में मौजूदगी होती थी लेकिन आज इस गांव से नक्सल आतंक पूरी तरह से खत्म हो चुका है। यहां के लोग अब इंटरनेट की सुविधा का भी लाभ उठा रहे हैं। साथ ही इस गांव तक अब सड़क, बिजली और पानी की भी सुविधा पहुंच चुकी है।

    नक्सलमुक्त हुआ ताड़वायली गांव

    छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से लगे ताड़वायली गांव नक्सलियों का गढ़ माना जाता था।  इस इलाके में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के नक्सली कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं, साथ ही यह इलाका नक्सलियों के लिए सेफ जोन माना जाता था।  बस्तर आईजी ने बताया कि 28 जुलाई 1984 में अविभाजित मध्य प्रदेश में इस गांव में सबसे पहली पुलिस-नक्सली मुठभेड़ हुई थी।

    उस मुठभेड़ में करोड़ो रुपये का इनामी बड़ा नक्सली लीडर गणपति पुलिस के हाथों मारा गया था।  गणपति के याद में नक्सलियों ने इस गांव में स्मारक बनाया और पूरे प्रदेश में इस दिन को शहीदी सप्ताह के  रूप में मनाना शुरू किया। इस इलाके में पुलिस ने नक्सलियों का दहशत खत्म करने के लिए अंदरूनी गांव में पुलिस कैंप खोला, साथ ही इसकेआस- पास अर्ध सैनिक बलों ने भी कैंप खोलकर अपना डेरा जमाया।

    फोर्स की सुरक्षा में इसी साल गांव तक पक्की सड़क तैयार हुई और सड़क बनने के बाद इंटरनेट की सुविधा भी शुरू की गई। अब इस गांव के लोग बेखौफ जिंदगी जी रहे हैं, साथ ही इंटरनेट की सुविधा का भी लाभ उठा रहे हैं।

    नक्सलियों ने जलाया टावर

    आईजी ने बताया कि हालांकि कुछ महीने पहले नक्सलियों ने यहां टावर जलाया था। नक्सलियों की ये हरकत ग्रामीणों को इतनी नागवार गुजरी कि वे सीधे 10 किलोमीटर दूर मरोड़ा गांव के बीएसएफ कैंप पहुंच गए और टावर शुरू कराने आवेदन दिया।  इसके बाद मरम्मत कर टावर शुरू कराया गया।

    बस्तर के आईजी ने बताया कि इस गांव में अब नक्सलियों का आतंक खत्म हो चुका है।  ग्रामीण भी अब नक्सलियों का साथ नहीं दे रहे हैं।  जिस क्षेत्र को पहले नक्सली अपना सेफ जोन मानते थे, अब इस जगह पिछले कई सालों से वारदात नहीं हुई है।