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  • महिलाओं के हक के लिए राजिम दीदी 19 बार जेल गई, पुरूषों को समझाती है क्या है माहवारी

    महिलाओं के हक के लिए राजिम दीदी 19 बार जेल गई, पुरूषों को समझाती है क्या है माहवारी

    रायपुर।

    अपने हक की लड़ाई के लिए आज भी आगे आने वाली महिलाएं गिनती की है, लेकिन दूसरों के हक लड़ाई के लिए कई बार मार खाने और जेल जाने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है। इन महिलाओं में शुमार छत्तीसगढ़ के पिथौरा की राजिम दीदी आज भी गरीबों के हक की लड़ाई लड़ रही है और इसी काम ने उनकी पूरे प्रदेश में अपनी एक पहचान बनाई है।राजिम जब आठवीं पढ़ रही थी तभी उसकी शादी कर दी गई। शादी के एक साल बाद अपने घर वापस आ गई और मां के साथ मजदूरी करने लगी। पिता का साया सिर पर नहीं था। 10 वीं और 12 की प्राइवेट परीक्षा दी और 18 साल की उम्र में 1987 में सामाजिक संस्था प्रयोग में ३ माह की ट्रेनिंग की। ट्रेनिंग के दौरान बस्तर में आदिवासियों के लिए जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी। राजधानी रायपुर में सेक्स वर्कर, महासमुंद जिले में बच्चों के अधिकार, वन अधिकार पत्र के लिए कार्य किया। प्रदेश के हर जिले में काम करके अपनी पहचान बनाई। आज अधिकारी इन्हें बुलाकर सलाह लेते है उनका सम्मान करते है।पिथौरा की रहने वाली राजिम अपनी मां के साथ मजदूरी करती थी। 18 साल की उम्र में एक

     

     सामाजिक संस्था में ट्रेनिंग की और उसके बाद राजिम ने पीछे मुडक़र नहीं देखा। 52 साल की उम्र में 19 बार जेल गई, एक बार तो ऐसा भी आया कि भिलाई स्टील प्लांट में आंदोलन करने के विरोध में पुलिस ने लाठी चार्ज किया तो गटर में 2 दिन पड़ी रही उनकी स्किन फट गई, लेकिन लोगों के हक की लड़ाई वो आज भी लड़ रही है। इन्हें पिथौरा और बलौदा बाजार जिले में राजिम दीदी के नाम से लोग जानते है। साल 2006 में दलित आदिवासी मंच बनाने वाली राजिम अब महिलाओं को घरेलू हिंसा से निजात दिलाने के साथ ही माहवारी की रूढि़वादी सोच को बदलने के लिए पुरूषों को भी समझाती है, महिलाओं के संपत्ति पर नाम करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली राजिम ने अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाई है।

    मजदूरों के हक के लिए खाई पुलिस की मार

    राजिम ने गरीब और मजदूरों की लड़ाई लड़ी। कई बार पुलिस की मार खाई, लेकिन अपने काम से पीछे नहीं हटी। राजिम ने दोबारा शादी की और दो बेटियां हुई, लेकिन पति का देहांत हो गया। अपने बच्चों की परवरिश मां के सहयोग से करने वाली राजिम कहती हंै कि मुझे गर्व है कि मेरी दोनों बेटियों ने उच्च शिक्षा पाकर अपने आप को आत्मनिर्भर बना लिया। राजिम अब महिलाओं के लिए काम कर रही है। महिला किसानों को जमीन का हक दिलाने के लिए जागरूक करती है।