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  • छिपली पारा में एकादशी के दिन हुआ सहस्त्रबाहु रावण का वध,ग्रामीण पुतले के मिट्टी को अपने साथ ले गए

    छिपली पारा में एकादशी के दिन हुआ सहस्त्रबाहु रावण का वध,ग्रामीण पुतले के मिट्टी को अपने साथ ले गए

    धमतरी।

     पीसिहावा गढ़ के सोना मगर में परम्परानुसार एकादशी दिन रविवार को दशहरा पर सहस्त्रबाहु रावण का वध माता शीतला के खड्ग से हुआ।सैकड़ों साल पुरानी इस ऐतिहासिक परम्परा को देखने हमेशा की तरह ग्रामीणों की भारी भीड़ रही।महिलाओं को इस स्थान पर जाना प्रतिबंधित था।सिहावा शीतला शक्ति पीठ से शीतला माता के पुजारी माता के खड्ग को लेकर सिहावा गढ़ के देव विग्रहो के साथ गांव का भ्रमण कर थाने आये।थाने में स्वागत सत्कार उपरांत गणेश मंदिर के पास चांद मारी की ।फिर सोनामगर पहुंच कर पुजारी ने खड्ग लेकर सहस्र बाहु रावण का वध किया।ग्रामीण विजय का प्रतीक मानकर सहस्र बाहु के पुतले की मिट्टी को नोचकर अपने साथ ले गए।

    शीतला समिति के अध्यक्ष कैलाश पवार, संचालक कलम सिंह पवार, महासचिव नेम सिंह बिसेन,सह सचिव नरेंद्र नाग,नारद निषाद,बुधेस्वर साहू,कोशाध्यक्ष गेंद लाल यादव, संरक्षक प्रकाश बेस, राजेश यदु, निकेश ठाकुर,मंच संचालक तुकाराम साहू,गोरख शांडिल्य,गेंद लाल शाण्डिल्य ,पुजारी ज्ञान सागर पटेल, परमेश्वर नेताम,बलदेव निषाद,राजकुमार निषाद,छबि ठाकुर,रवि ठाकुर, संजय सारथीं,रामाराव बघेल,रामलाल नेताम,उत्तम साहू ,प्रवीण गुप्ता,सचिन भंसाली,गगन नाहटा,भरत निर्मलकर,महेंद्र कौशल किशन गजेन्द्र,कुँवर साहू,मंशा राम गौर,जग्गू साहू,,नरेश पटेल ,महेश साहू,लाल जी साहू,लोकेश पवार,संतोष पवार,ललित निर्मलकर,सुभाष यादव,महेंद्र साहू ,अभय नेताम , ख़िरभान शाण्डिल्य,नवल साहू,दिनेश पटेल,दीनदयाल नागरची,बैजनाथ पटेल, बाल सिंह शोरी,योगेश निषाद,पिंकी यदु,सरपंच सचिन ठाकुर आदि   की उपस्थिति रही।

    सैकड़ों साल पुरानी है परम्परा

    मान्यता है कि जब भगवान राम लंका पति रावण का वध कर सीता मैया से मिले तब सीता मैया ने उन्हें बताया कि अभी आपको सहस्त्र बाहु रावण का वध करना है तब भगवान राम ने सहस्त्र बाहु रावण पर आक्रमण किया ।लेकिन ब्रम्हा से मिले वरदान के चलते श्री राम उसका वध नही कर पाए ।मर्यादा तोड़ते हुए सहस्त्रबाहु रावण माता के सामने नग्न होकर ललकारने लगा तब सीता माता ने आदि
    शक्ति का रूप धारण कर अपने खड्ग से सहस्त्रबाहु रावण का वध किया। सैकड़ों साल पुरानी इस अनूठी परम्परा को दशहरा के रुप मे मनाया जाता है।