Tag: गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग की किसान सभा ने

  • गेवरा परियोजना विस्तार का विरोध : जन सुनवाई के खिलाफ किसान सभा ने किया प्रदर्शन, कहा : पहले पुराने रोजगार प्रकरणों का करो निराकरण

    गेवरा परियोजना विस्तार का विरोध : जन सुनवाई के खिलाफ किसान सभा ने किया प्रदर्शन, कहा : पहले पुराने रोजगार प्रकरणों का करो निराकरण

    रायपुर 07 जून 2023/

    कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने गेवरा में रैली निकालकर कर एसईसीएल की गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना के क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज किया। विरोध प्रदर्शन में 25 से अधिक गांवों के प्रभावितों ने हिस्सा लिया।

    बड़ी संख्या में भू-विस्थापितों ने किसान सभा के नेतृत्व में रैली निकालकर भूमि अधिग्रहण से प्रभावित प्रत्येक खातेदार को रोजगार देने, भू विस्थापित परिवार के सदस्यों को नि:शुल्क स्वास्थ्य व शिक्षा की सुविधा देने, पुनर्वास गांवों को मॉडल गांव बनाने आदि मांगों की तख्तियों के साथ सुनवाई स्थल पर प्रदर्शन किया और पुलिस की पहली बेरिकेटिंग को तोड़ने में सफल रहे। भू-विस्थापितों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन को अपना पूरा पुलिस बल इस विरोध प्रदर्शन से निपटने में झोंकना पड़ा। किसान सभा के अभियान के कारण सुनवाई स्थल पर भी अपना लिखित विरोध दर्ज कराने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे और पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने के लिए एसईसीएल की मुहिम फीकी पड़ गई।

    बेरीकेट में तैनात भारी पुलिस बल के साथ भू-विस्थापितों की तीखी नोक-झोंक भी हुई। जन सुनवाई की कार्यवाही को दिखावा करार देते हुए उन्होंने इसे निरस्त करने की मांग की और भू-विस्थापितों के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों, मुआवजा, बसावट और कोयला खनन के कारण बढ़ते प्रदूषण और गिरते जल स्तर की समस्या को प्राथमिकता से हल करने की मांग की।

    छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि कोरबा जिला पहले से ही देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। इस खनन विस्तार का जिले के लोगों के स्वास्थ पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। विस्थापन प्रभावितों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराए बिना फर्जी आंकड़े पेश करके जनसुनवाई की जा रही है, जिसका किसान सभा विरोध करती है। प्रशासन की मदद से छल-कपट के बल पर यदि एसईसीएल पर्यावरण स्वीकृति हासिल कर भी लेती है, तो भी भू-विस्थापित अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।

    भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव आदि ने आरोप लगाया कि पूर्व में खदान खोलने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 40 साल बीत जाने के बाद भी भू विस्थापित रोजगार व बसावट के लिए भटक रहे हैं। पुराने लंबित रोजगार के प्रकरणों का पहले निराकरण करें, उसके बाद ही खदान विस्तार की बात करें।

    किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा है कि खदान विस्तार से छोटे किसान अपने आजीविका से वंचित हो जायेंगे। इन छोटे खातेदारों को रोजगार नहीं देने की नीति एसईसीएल ने बना रखी है। इसलिए खदान परियोजना विस्तार का समर्थन नहीं किया जा सकता।

    प्रदर्शन में आंदोलनकारियों का नेतृत्व सुमेंद्र सिंह कंवर, ठकराल, जय कौशिक, इंदल दास, संजय यादव, पुरषोत्तम, रामायण, देव कुंवर, जान कुंवर, बीर सिंह, बसंत चौहान, पवन यादव, उमेश, नरेंद्र राठौर, जगदीश कंवर, राजकुमार कंवर, कांति, पूर्णिमा, अघन बाई, लता बाई, अमृत बाई,जीरा बाई, सुभद्रा कंवर, शिव दयाल, अनिरुद्ध, आनंद दास, मोहनलाल आदि ने किया।

  • गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग की किसान सभा ने, तीखे विरोध की चेतावनी के साथ प्रभावित गांवों में बैठकों का दौर शुरू

    गेवरा परियोजना विस्तार की जन सुनवाई स्थगित करने की मांग की किसान सभा ने, तीखे विरोध की चेतावनी के साथ प्रभावित गांवों में बैठकों का दौर शुरू

    रायपुर 05 जून 2023/

    कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने एसईसीएल की गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना के क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग की है तथा पूर्व में अधिग्रहित किए गए भूमि पर भूविस्थापितों के लंबित रोजगार, मुआवजा, बसावट आदि की समस्याओं का निराकरण करने और कोयला खनन के कारण बढ़ते प्रदूषण और गिरते जल स्तर की समस्या को प्राथमिकता से हल करने की मांग की है।

    आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि कोरबा जिला पहले से ही देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। जिले के लोगों के स्वास्थ पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है और आम जनता कई प्रकार की प्रदूषणजनित बीमारियों का शिकार हो रही हैं। इसके बावजूद एसईसीएल स्वास्थ्य शिविरों और विस्थापित परिवारों को इलाज की कोई सुविधा नहीं देती हैं और कोल उत्पादन से मिलने वाले डीएमएफ फंड को अन्य क्षेत्र में खर्च किया जाता है, जिससे प्रभावितों को कोई लाभ नहीं होता।

    उल्लेखनीय है कि गेवरा ओपन कास्ट कोयला खदान परियोजना की क्षमता 49 मिलियन टन वार्षिक से बढ़ाकर 70 मिलियन टन किया जा रहा है, जिसके कारण इस परियोजना का रकबा 4184.486 हेक्टेयर से बढ़ाकर 4781.798 हेक्टेयर किया जाना प्रस्तावित है। जन सुनवाई इसी विस्तार के लिए पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने के उद्देश्य से की जा रही है।

    भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव आदि ने आरोप लगाया है कि यह जन सुनवाई वास्तविक तथ्यों को छुपाकर, गलत आंकड़ें पेश कर तथा आम जनता को गुमराह करके की जा रही है, ताकि पर्यावरणीय स्वीकृति आसानी से हासिल की जा सके। भू विस्थापितों ने कहा है कि पूर्व में खदान खोलने के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 40 साल बीत जाने के बाद भी भू विस्थापित रोजगार व बसावट के लिए भटक रहे हैं और अपने अधिकार को पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं।

    किसान सभा ने कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार कोरबा का औद्योगिक क्षेत्र देश का तीसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्र है। यहां का प्रदूषण सूचकांक 69.11 दर्ज किया गया है, जिसके कारण यहां की आबादी का 12% हिस्सा अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और त्वचा रोग जैसी बीमारियों से जूझ रहा है। कोरबा के पर्यावरण और स्वास्थ्य की इस तबाही में एसईसीएल अपनी जिम्मेदारी से इंकार नहीं कर सकता और इसने आज तक पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किसी भी गाईडलाइन का पालन नहीं किया है। इसलिए एसईसीएल को पहले पर्यावरण और इस क्षेत्र के रहवासियों के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।

    किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा है कि खदान विस्तार से छोटे किसान अपने आजीविका से वंचित हो जायेंगे। इन छोटे खातेदारों को रोजगार नहीं देने की नीति एसईसीएल ने बना रखी है। इसलिए खदान परियोजना विस्तार का समर्थन नहीं किया जा सकता।

    किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने कहा है कि यदि पर्यावरण जन सुनवाई को स्थगित नहीं किया जाता, तो इस क्षेत्र की जनता का तीखा विरोध एसईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को झेलना पड़ेगा।