रायपुर 9 नवंबर 2022/
सदगुरु नानकदेव जी का छत्तीसगढ़ शुभागमन अपने उदासी यात्रा के दर्म्यान सरायपाली बसना के समीप गढ़फूलझर होते जगन्नाथपुरी जाते समय 1500- 1506 के आसपास हुआ था।
उनके पड़ाव पर समकालीन गढफूलझर नरेश भैना राजा सागरचंद जी ने संत जी का स्वागत सत्कार किया और भूदान किये । जहां पर भव्यतम गुरुद्वारा हैं।
गढफूलझर के पास एक गांव ही गुरुनानक के नाम पर हैं। परिक्षेत्र में ग्रामीण बंजारा समाज (अति अल्पसंख्यक समाज )गुरुनानक के अनुयाई भी हैं उनमें अनेक सतनामी हो गये हैं।भारत विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ के शहरों / कस्बों और कुछेक बडे ग्रामों में सिखों और सिंधियों के बसाहट होने से बाद यहाँ सिख मत प्रमुखतः चिन्हाकित हुआ हैं। और अत्यंत प्रभावशाली भी है
बहरहाल सतिनाम यानि सतनाम के अलख जगाने और लोक कल्याण हेतु सद्मार्ग बताने वाले संतो गुरुओं द्वारा स्थापित संस्कृति का प्रभाव मानव समाज पर व्यापक रुप से पड़ा हैं। फलस्वरुप आदिम बर्बर और असमानाताओं की धरातल पर समानता का मानवता का अजस्त्र सतनाम धारा प्रवाहित हो रहा हैं।