नई दिल्ली,17 नवम्बर 2022\ केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी भी क्षेत्र, ईंधन स्रोत और गैस स्रोत तक सीमित नहीं की जा सकती। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि सभी देशों को पेरिस समझौते की मूल भावना के तहत अपनी राष्ट्रीय परिस्थिति के अनुसार कदम उठाने चाहिए।
भारत ने शनिवार को प्रस्ताव किया था कि वार्ता में जीवाश्म ईंधन कम करने का भी निर्णय किया जाए। यूरोपीय संघ (ईयू) ने इस आह्वान का मंगलवार को समर्थन किया। पर्यावरण मंत्री ने कहा, शून्य उत्सर्जन तक का लंबा सफर तय करने में अपरिहार्य जोखिम हैं, लेकिन फौरी कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने से हमें यह भरोसा हो गया है कि हम बदलती परिस्थितियों को देखते हुए आगे बढ़ने का रास्ता निकाल लेंगे। वहीं, ईयू के उपाध्यक्ष फ्रांस टिमेरमांस ने कहा, समूह जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन करेगा। एजेंसी
विकसित साथी देशों को बताना होगा कार्रवाई महत्वपूर्ण होती है, वादे नहीं
केंद्रीय मंत्री ने कहा, कॉप-27 में हमें अपने साथी विकसित देशों को एक बार फिर इस बात पर राजी करना चाहिए कि कार्रवाई महत्वपूर्ण होती है, वादे नहीं। हर कॉप बैठक में संकल्प पर संकल्प किए जाते हैं, जो जरूरी नहीं कि फायदेमंद हों। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई के जरिये ही विकास को मापना चाहिए, जो उत्सर्जन में सीधी कमी की तरफ ले जाए और विकसित देशों को चाहिए कि वह दुनिया को ऐसा करके दिखाएं।
अमीर देशों पर भारत का तंज
अमीर देश मिस्र में जारी संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (सीओपी27) के मसौदे में ‘प्रमुख उत्सर्जक’ और ‘शीर्ष उत्सर्जक’ जैसी भाषा शामिल करने का दबाव बना रहे हैं, जो भारत को स्वीकार्य नहीं है। भारतीय प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विकसित देश चाहते हैं कि सिर्फ अमीर देश ही नहीं, जो ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं, बल्कि सभी प्रमुख उत्सर्जक, खासकर भारत और चीन जैसे शीर्ष-20 उत्सर्जक वैश्विक तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस पर सीमित रखने के लिए अपने उत्सर्जन स्तर में भारी कटौती करें।