नई दिल्ली,13 दिसम्बर 2022\ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भाजपा सरकार अपनी जमीन पर किसी तरह की घुसपैठ नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि जब तक पीएम मोदी हैं, तब तक भारत की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि सैनिकों ने जो बहादुरी दिखाई है वह काबिले तारीफ है, उन्होंने हमारी जमीन बचाई है।
इससे पहले मंगलवार को संसद में विपक्षी नेताओं ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तमांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुई झड़पों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। सोमवार को जब भारतीय सेना ने एक बयान में बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के आमने-सामने की झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोटें आईं। बता दें कि जून 2020 के बाद से दोनों देशों के बीच इस तरह की यह पहली घटना है। संवेदनशील लद्दाख सेक्टर में गलवान घाटी में झड़पें हुई हैं।
अमित शाह ने कांग्रेस पर भी साधा निशाना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब गलवान में सैनिक मारे गए तो चीनी राजनयिकों को डिनर कौन दे रहा था? उन्होंने कहा कि 2006 में जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब चीन ने अरुणाचल पर अपना अधिकार जताया था।
शाह ने कहा कि 2010 में जब कांग्रेस सत्ता में थी तब चीन द्वारा जम्मू-कश्मीर के निवासियों को पेपर वीजा जारी करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि डेमचौक में सड़क और बुनियादी ढांचे के निर्माण को कांग्रेस ने रोक दिया था। मैं कहना चाहता हूं कि भाजपा सरकार जमीन पर किसी तरह की घुसपैठ नहीं होने देगी। सैनिकों ने जो बहादुरी दिखाई है वह काबिले तारीफ है, उन्होंने हमारी जमीन बचाई है।
शाह बोले- कांग्रेस के हंगामे का मकसद कुछ और
विपक्ष की ओर से 9 दिसंबर को भारत-चीन सीमा संघर्ष पर चर्चा को लेकर कांग्रेस के हंगामे पर अमित शाह ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हंगामे के पीछे वास्तव में कुछ और काम कर रही थी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “मैंने प्रश्नकाल की सूची देखी और प्रश्न संख्या 5 देखने के बाद, मैं (कांग्रेस की) चिंता को समझ गया। सवाल राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF) के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को रद्द करने के संबंध में था।”
शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गृह मंत्रालय के नियमों के मद्देनजर मंजूरी को हटा दिया गया था। उन्होंने कहा, “अगर वे अनुमति देते तो मैं संसद में जवाब देता कि राजीव गांधी फाउंडेशन को 2005-2007 के दौरान चीनी दूतावास से 1.35 करोड़ रुपये का अनुदान मिला, जो एफसीआरए के अनुसार उचित नहीं था। इसलिए नियमों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने इसका पंजीकरण रद्द कर दिया।