अहमदाबाद,04 अक्टूबर 2022 /
कांग्रेस के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव को फतह करने की राह में कई बाधाएं और कमजोरियां हैं। इस रिपोर्ट में जानें छह बार भाजपा से हारी कांग्रेस इन चुनावों में कहां खड़ी है एक दौर था जब गुजरात की सियासत में कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। लेकिन, 1995 के बाद से यह दबदबा कमजोर पड़ता नजर आया। भाजपा 1995 के बाद से लगातार छह विधानसभा चुनाव हार चुकी है। हालांकि इस बार वह सूबे की सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। सनद रहे साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 182 में से 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा को 99 सीटें हासिल हुई थीं। इस रिपोर्ट में जानें छह बार भाजपा से हारी कांग्रेस इन चुनावों में कहां खड़ी है
कांग्रेस की ताकत
कांग्रेस अपने पारंपरिक मतदाताओं से समर्थन की उम्मीद कर रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि ठाकोर और कोली जैसे ओबीसी समुदायों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और मुसलमानों से उसे अपेक्षित समर्थन मिलेगा।
पिछले चुनावों तक ऐसा रहा है जनाधार
लगातार छह बार भाजपा से चुनाव हारने के बावजूद, कांग्रेस ने 40 फीसद मतों की हिस्सेदारी बनाए रखी है। अगर वह ‘खम’ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) मतों को सहेजने में समर्थ हो जाती है। साथ ही असंतुष्ट पटेल समुदाय का समर्थन हासिल करने में सफल रहती है तो जाहिर है वह भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है।
माधवसिंह सोलंकी ने अपनाई थी रणनीति
कांग्रेस के पिछले रिकार्ड पर यदि नजर डालें तो पातें हैं कि जातियों और समुदायों के संयोजन को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी ने एक जीत के फार्मूले के रूप में तैयार किया था। बाद के चुनावों में भी कांग्रेस इसी रणनीति पर आगे बढ़ी और दबदबा कायम करने में सफल रही।
यह हैं कमजोरियां
सूबे में कांग्रेस की कमियों पर नजर डालें तो पाते हैं कि मौजूदा वक्त में उसके पास राज्य स्तर पर मजबूत नेताओं की कमी है। इतना ही नहीं पार्टी की राज्य इकाई गुटबाजी और अंदरूनी कलह से भी जूझ रही है।
शहरी मतदाताओं को साथ लेना बड़ी चुनौती
कांग्रेस के सामने शहरी मतदाताओं को साथ लेना एक बड़ी चुनौती है। 66 फीसद शहरी और अर्ध-शहरी सीटें हैं जिन्हें कांग्रेस पिछले 30 वर्षों में नहीं फतह कर पाई है।
राहुल क्यों नहीं दे रहे ध्यान
सियासत के जानकारों का कहना है कि मौजूदा वक्त में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में व्यस्त है। इस वजह से गुजरात राज्य इकाई को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। इससे पार्टी कैडर में उत्साह नहीं जग रहा है।