नई दिल्ली ,07 फरवरी 2023 /
मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना। यह योजना एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार योजना के चर्चा में रहने का कारण इसका बजट आवंटन है। एक वह भी वक्त था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को कांग्रेस की विफलताओं का स्मारक बताया था। याद कीजिए साल 2015 का बजट सत्र (Parliament Budget Session)। इसी सत्र के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार ने अपना पहला पूर्ण बजट संसद में पेश किया था। उसी सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNERGA) को कांग्रेस की विफलताओं का स्मारक बताया था। उन्होंने यह व्यक्तव्य राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए दिया था। हालांकि, उस दौरान इसमें आवंटन लगातार बढ़ता रहा। एक साल तो इसमें एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आवंटन हुआ था। लेकिन अब एक बार फिर से इस योजना का आवंटन घटा दिया गया है। इससे सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार के लिए ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराना प्राथमिकता नहीं है |
कितना हुआ है आवंटन
साल 2023-24 के बजट में मनरेगा के लिए बजट आवंटन महज 60 हजार करोड़ रुपये का है। यह पिछले साल के मुकाबले 33 फीसदी कम है। इससे उलट एक साल पहले इस योजना के लिए बजट में 73 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। बाद में इसे रिवाइज कर 89,400 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इससे एक साल पहले मतलब 2021-22 में इस योजना को 98,468 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। साल 2020-21 में तो इसके लिए बजट में तो 61,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, पर बाद में इसे रिवाइज कर 1,11,500 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
मनरेगा के बारे में क्या कहा था नरेंद्र मोदी ने
तब लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मनरेगा कांग्रेस के 60 सालों के पापों का नतीजा है। यह उसकी विफलता का स्मारक है। ऐसे में हम इसे बंद करने की गलती करने के बदले पूरे तामझाम और गाजे-बाजे के साथ इस योजना को पेश करते रहेंगे। जिससे, लोगों को पता चलता रहे कि आजादी के 60 साल बाद भी कौन लोगों से गड्ढे भरवा रहा है। हालांकि तभी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि यूपीए सरकार की योजनाओं को एनडीए सरकार खत्म नहीं कर रही है, तो अपमान भी न करे।