रायपुर।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर देशभक्ति के उत्साह और बौद्धिक जोश से गूंज उठा, क्योंकि इसने भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की 133वीं जयंती मनाई। 14 अप्रैल 2024 को आयोजित स्मारक कार्यक्रम, दूरदर्शी नेता की स्थायी विरासत और उनके द्वारा अपनाए गए मूल्यों का एक प्रमाण था।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर हरेंद्र बिकरोल द्वारा दिए गए एक प्रेरक भाषण से हुआ, जिसने दिन की कार्यवाही के लिए माहौल तैयार किया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गीत, “वंदे मातरम” की भावपूर्ण प्रस्तुति के साथ हुई, जिसके बाद गणमान्य व्यक्तियों ने मोमबत्तियाँ जलाकर और उनकी तस्वीर पर माला चढ़ाकर बाबासाहेब को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण सभी उपस्थित लोगों द्वारा प्रस्तावना का सामूहिक वाचन था, जो संविधान में निहित सिद्धांतों की पुन: पुष्टि का प्रतीक है, जो डॉ. अंबेडकर के हृदय को प्रिय दस्तावेज़ है। अम्बेडकर साहब के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालने वाली एक मार्मिक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जो उनकी उल्लेखनीय यात्रा के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
निदेशक प्रो. एन.वी. रमना राव की अनुपस्थिति की भरपाई प्रो. एन.डी. लोंढे द्वारा उनके संदेश को पढ़कर की गई। प्रो. ए.बी. प्रभारी निदेशक सोनी ने एक प्रेरक अध्यक्षीय भाषण दिया, जिसमें महिला सशक्तिकरण में बाबासाहेब की शिक्षाओं की प्रासंगिकता और आज के संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया गया।
डॉ. बैद्यनाथ बाग ने मुख्य अतिथि को अपना बायोडाटा पढ़ने और अपनी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताने से दर्शकों को परिचित कराया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, रतन लाल डांगी, आईपीएस, पुलिस महानिरीक्षक, रायपुर, छत्तीसगढ़ का आमंत्रित संबोधन भी हुआ। उनके प्रेरक शब्द उपस्थित संकाय सदस्यों, स्टाफ सदस्यों और छात्रों से गूंज उठे, उन्होंने उनसे उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और जीवन प्रबंधन पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने का आग्रह किया। मुख्य अतिथि डांगी ने दर्शकों को डॉ. भीम राव अंबेडकर की शिक्षाओं और चुनौतियों से अवगत कराया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बाबा साहेब के योगदान को विस्तार से बताया और डॉ. अम्बेडकर को गहराई से पढ़ने और उन्हें जानने और उनका अनुसरण करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा, ”उन्हें और देश व समाज के प्रति उनके योगदान को जानने के बाद व्यक्ति उनकी पूजा करना शुरू कर देगा.”
डॉ. सूरज कुमार मुक्ति ने कार्यक्रम के आयोजन में शामिल सभी लोगों के योगदान को स्वीकार करते हुए धन्यवाद ज्ञापन के माध्यम से आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान “जन गण मन” के गायन के साथ हुआ, जो देशभक्ति और गौरव की भावनाओं को जगाता है।
उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में रजिस्ट्रार प्रोफेसर पी.वाई. ढेकने, अकादमिक डीन प्रो. श्रीश वर्मा, संकाय कल्याण के डीन प्रो. डी. सान्याल, और प्रो. जी.डी. रामटेक्कर शामिल रहे जिनकी उपस्थिति ने इस अवसर को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया।
कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन की मुख्य अतिथि, निदेशक और दर्शकों ने सराहना की और बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के आदर्शों और सिद्धांतों को याद रखने में इसके महत्व की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की भावना, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के उनके शाश्वत संदेश को प्रतिध्वनित करते हुए पीढ़ियों को अधिक समतापूर्ण और न्यायपूर्ण समाज की ओर प्रेरित और मार्गदर्शन करती है।
प्रो. एच. बिक्रोल, प्रो. एन.डी. लोंढे, डॉ. सूरज कुमार मुक्ति, डॉ. बैद्यनाथ बाग, डॉ. डी.सी. झरिया, डॉ. संजय कुमार, डॉ. निशा नेताम, डॉ. सी. जटोथ, डॉ. श्रुति नागदेवे के नेतृत्व में कार्यक्रम आयोजन किया गया। टेमन ठाकुर, ए.के. डोंगरे, समुद गोयल और अन्य को उनकी सावधानीपूर्वक योजना और कार्यान्वयन के लिए प्रशंसा मिली, जिससे एक यादगार और प्रभावशाली आयोजन सुनिश्चित हुआ।