रायपुर। शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत वर्ष 2018 से ऑनलाईन आवेदन की प्रक्रिया आरंभ की गई थी, जिसका ठेका एक एनजीओं को दिया गया है, तब से प्रशासन के अधिकारी सिर्फ मुकदर्शक बन गए है। पोर्टल में कई खामियां रहती है। प्रतिवर्ष आरक्षित सीटों की संख्या लगातार घटते जा रही है। प्राईवेट स्कूलों में कम से कम गरीब बच्चों को प्रवेश दिलाया जा रहा है, जिससे इस कानून का मूल उद्देश्य ही धीरे-धीरे समाप्त होता नजर आ रहा है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि आरटीई ेके अंतर्गत प्राईवेट स्कूलों में 85 हजार बच्चों को प्रवेश दिया जाता था, वहीं अब सिर्फ 51 हजार बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है, क्योंकि डीपीआई द्वारा प्रत्येक वर्ष नए-नए दिशा निर्देश जारी किया जाता है, और कानून की परिभाषा को अपने ढंग से परिभाषित किया जा रहा है, जिससे सीटे कम होते जा रही है, इसका लाभ सीधा प्राईवेट स्कूलों को मिल रहा है।
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क्या कहता है कानून
शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 12 (ग) में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि 6 वर्ष के बच्चे के लिए प्राईवेट स्कूलों के कक्षा पहली यानि प्राइमरी स्कूल में 25 प्रतिशत सीटे आरक्षित करना अनिवार्य हैै, यदि उस स्कूल में प्री-प्राइमरी स्कूल भी संचालित है, तो वहां भी 25 प्रतिशत सीटे गरीब बच्चों के लिए आरक्षित किया जाना है। यानि प्री-प्राइमरी और प्राइमरी दोनों ही कक्षाओं में गरीब बच्चों को प्रवेश दिया जाना हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने भी वर्ष 2016 को एक स्थायी आदेश जारी कर दोनों की कक्षाओं में प्रवेश देने का आदेश दिया है, लेकिन कई प्राईवेट स्कूलों में सिर्फ एक ही एंट्री क्लास में प्रवेश दिया जा रहा है, जिससे सीटे अब आधी हो गई है।
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क्या कहता है न्यायालय
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भी वर्ष 2016 अपने निर्णय में यह कहा है कि, प्रथम चरण में एक से तीन किलोमीटर की परिधि में रहने वाले बच्चों को आरटीई के अंतर्गत प्रवेश दिलाया जावे, दूसरे चरण में तीन से छह किलोमीटर की परिधि में रहने वाले बच्चों को अवसर मिले, यदि सीटे रिक्त रह जाए तो उससे अधिक दूर में रहने वाले बच्चों को अवसर मिले, लेकिन आरटीई पोर्टल सिर्फ एक किलोमीटर की परिधि में रहने बच्चों को आवेदन करने की अनुमति है, यानि बच्चा जिस वार्ड में निवासरथ है, वह उसी वार्ड में संचालित प्राईवेट स्कूलों में आवेदन कर सकता है, जबकि इस प्रकार की व्यवस्था उच्च न्यायालय के आदेश का परस्पर विरोधी है।
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क्या कहता है बाल आयोग
छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर दो एंट्री क्लास में प्रवेश देने की बात कही है, बावजूद इसके आरटीई पोर्टल में सुधार नहीं किया जा रहा है।
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केंद्र सरकार ने दिया निर्देश
15 फरवरी 2024 को केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि स्कूलों में कक्षा पहली के लिए 6 वर्ष उम्र निर्धारित किया जावे, क्योंकि आरटीई कानून और नई शिक्षा निति में भी इसका उल्लेख है। बावजूद इसके स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा कक्षा पहली में 5 वर्ष के बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है।
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आरटीई पोर्टल में कई खामियां, पालक व बच्चें हो रहे परेशान : क्रिष्टोफर पॉल