लखनऊ/ 01 दिसंबर 2023/ एचआईवी का नाम आते ही लोगों के जहां में सबसे पहले एक ही ख्याल आता है कि आज सुरक्षित यौन संबंध के द्वारा ही एचआईवी एड्स होता है. जबकि ऐसा नहीं है. यदि किसी स्वस्थ व्यक्ति को आज सुरक्षित खून बिना जांच चढ़ा दिया जाए तो वह भी एचआईवी से पीड़ित हो सकता है. इसके अलावा आज सुरक्षित ढंग से टैटू व दाढ़ी बनवाने से भी एचआईवी एड्स हो सकता है. इसलिए वर्तमान में लोगों को अपने दिमाग से यह सोच निकालनी होगी कि सिर्फ असुरक्षित यौन संबंध से ही एचआईवी होता है. यह बातें ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान केजीएमयू के एंटीरिटरोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर की एसएमओ इंचार्ज डॉ. नीतू गुप्ता ने कहीं. उन्होंने बताया कि इस बार विश्व एचआईवी दिवस 2023 का थीम ‘समुदायों को नेतृत्व करने दें’ (Let’s communities lead) रखा गया है.केजीएमयू के एंटीरिटरोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर की एसएमओ इंचार्ज डॉ. नीतू गुप्ताएचआईवी पीड़ित मरीज को हो सकती है टीबी: विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day 2023) पर उन्होंने कहा कि सामान्य जांच में एड्स के संक्रमण में आने के तीन महीने बाद टेस्ट करने पर ही एचआईवी रिपोर्ट आती है. इस बीच कई बार संक्रमित खून भी डोनेट हो जाता है और अन्य के चढ़ने से वह भी रोगग्रस्त हो जाता है. नेट टेस्टिंग मशीन से एचआईवी संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जब किसी मरीज को एचआईवी एड्स होता है तो मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से खत्म होने लगती है. इस स्थिति में मरीज को अन्य बीमारियां भी होने लगते हैं. जिसमें सबसे पहले एचआईवी मरीज को टीबी की बीमारी हो सकती है.
वरदान साबित हो रही एआरटी थैरेपी:
एंटीरिटरोवायरल थेरेपी यानी एआरटी एड्स रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है. डॉ. नीतू गुप्ता ने बताया कि एआरटी थेरेपी एक प्रकार की दवाई है. जिसमें तीन प्रमुख दवाओं को एक करके बनाई गई है. एआरटी सेंटर पर अब जो दवाएं आ रही है, वह बहुत अच्छी दवाएं है. जो की बेहद कारगर साबित हो रही हैं. एआरटी दवा के जरिए एड्स वायरस को नियंत्रित में रखा जा सकता है. एआरटी सेंटर में महिला पुरुष एवं बच्चे सभी उम्र के एड्स पीड़ित मरीज इलाज के लिए आते हैं. महिला और पुरुष में अगर तुलना की जाए तो एड्स से पीड़ित पुरुषों की संख्या प्रदेश में अधिक अधिक है.
एचआईवी होने के है कई कारण:
उन्होंने बताया कि एचआईवी होने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे प्रमुख असुरक्षित यौन संबंध बनाने से है. इसके बाद ऐसे मरीज भी हैं जो असुरक्षित टैटू या दाढ़ी कहीं बाहर बनवाते हैं, जहां मेकर्स नीडल या ब्लेड को बदलते नहीं है. उन्होंने कहा कि आप देखेंगे कि सड़क किनारे बहुत से मिनी सैलून खुले होते हैं. जहां पर पुरूष असुरक्षित तरीके से दाढ़ी बनवाते हैं. वहीं कहीं बाहर मेले में घूमने निकलेंगे तो वहां पर आजकल टैटू मेकर्स हाथों पर टैटू बनाते हुए भी आपको दिखाई देंगे. लेकिन यहां पर आम जनता को जागरूक होने की आवश्यकता है. यदि कोई भी एचआईवी पीड़ित मरीज मेले में टैटू आर्टिस्ट से अपने शरीर पर टैटू बनवाता है उसके बाद बिना नीडल व इंक को बदलें किसी दूसरे व्यक्ति का टैटू बनाता है तो सुरक्षित व्यक्ति भी एचआईवी पीड़ित हो जाएगा. एचआईवी रक्त से फैलने वाली बीमारी है. जो संक्रमित खून के जरिए किसी दूसरे व्यक्ति को फैल सकता है.
एआरटी सेंटर के आंकड़े:
डॉ. नीतू गुप्ता ने बताया कि यूपी एक लाख 12 हजार मरीजों की एआरटी की दवा चल रही है. केजीएमयू के एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक एड्स से पीड़ित होते हैं. वर्तमान में 3600 एचआईवी पीड़ित मरीजों का इलाज चल रहा है. जिसमें 1875 पुरुष, 1200 महिलाएं, 250 करीब बच्चे और करीब 25 करीब ट्रांसजेंडर शामिल हैं. वहीं आरएमएल में लगभग हजार मरीज की दवाएं चल रही है. एआरटी दवा को 24 घंटे में कभी भी एक बार दवा ली जाती है. बच्चों में वजन के हिसाब से दवा दी जाती है. 30 उम्र पार एडल्ट को एक टेबलेट दी जाती है. गर्भवती महिला को भी एक टेबलेट दी जाती है. दवा के कारण एचआईवी वायरस का प्रभाव कम हो जाता है.
शहर में स्वास्थ्य विभाग दो जगह करेगा जागरूकता कार्यक्रम:
एचआईवी नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंघल ने कहा कि एड्स एक वायरस के कारण होता है जिसे ‘ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस’ या एचआईवी कहा जाता है. एचआईवी सीडी4़ टी नामक कोशिका है, जो शरीर से लड़ने वाली बीमारियों की मदद करने के लिए महत्वपूर्ण विशिष्ट रक्त कोशिकाओं को नष्ट करके मानव शरीर को नुकसान पहुंचाती है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर एचआईवी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होता है. शुक्रवार को जनेश्वर मिश्र पार्क और निशातगंज स्थित महिला कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होगा.इस दौरान आम पब्लिक को और स्कूल छात्राओं को एचआईवी से जुड़ी सभी बारीकियां के बारे में विस्तृत से जानकारी दी. साल 1996 में एचआईवी (एड्स) पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया. विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर 1988 को होना चाहिए। हर साल 1 दिसंबर को विश्व एचआईवी दिवस मनाया जाता है. इस बार विश्व एचआईवी दिवस का थीम ‘समुदायों को नेतृत्व करने दें’ रखा गया है.