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    युवाओं ने कायम की दोस्ती की मिसाल, कोई 37 साल बाद मिला तो किसी का बचपन से है याराना

    जम्मू-कश्मीर।

    दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो सबसे जुदा माना जाता है। इस रिश्ते में न शर्तें हैं न वादे और न शिकायत। कई बार ऐसा होता है कि हम जो बात किसी से न कह पाएं उसे दोस्त से ही कहते हैं। पीएम मोदी ने भी दोस्ती पर कहा है कि हर किसी का एक न एक ऐसा दोस्त होना चाहिए, जिससे दिल की बात खुलकर कही जा सके। अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट किया जाता है। आज हम दोस्ती के कुछ ऐसे उदाहरण देंगे जिनकी मिसालें दी जा सकती हैं।

    संघर्ष के दिनों के साथी

    सीनियर एडवोकेट विनोद भारत और जन्मेजय सोना की दोस्ती की चर्चा कोर्ट परिसर में होती रहती है। दोनों का संघर्ष एक साथ शुरू हुआ और आज 25 साल से ज्यादा हो गए इन्हें लॉ फील्ड में। सोना ने बताया, हम दोनों के काम करने का तरीका और क्राइटेरिया भले अलग हो लेकिन सोच मिलती-जुलती है। यही वजह है कि कोर्ट परिसर में जब भी टकराते हैं अपनी दुनिया में खो जाते हैं। विनोद ने बताया कि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो तमाम सीमाओं से परे है।

    दोस्त की याद में किडनी डोनेट व फिटनेस के लिए करेंगे प्रेरित

    कुछ फर्ज हमारा है कि मुखिया नितिन सिंह राजपूत ने बताया कि अभय नायडू हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उन्होेंने जो सेवा कार्य किया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। हमारी संस्था ने तय किया है कि अब लोगों को किडनी की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा और किडनी डोनेट के लिए भी अवेयरनेस कैम्प लगाए जाएंगे।

    इन भाइयों का रिश्ता दोस्ताना

    स्टार्टअप का टर्नओवर 40 करोड़: आईजीकेवी के स्टार्टअप इनक्यूबेटर में शामिल दो भाइयों का रिश्ता दोस्ताना है। आनंद नाहर (29) और अमृत नाहर (27) ने फूड का स्टार्टअप किया और इनका सालाना टर्नओवर 40 करोड़ा पार हो गया है। आनंद ने बताया, हम दोनों में ऐसी बाउंडिंग है कि मिलकर फैसले लेते हैं।

    एक तेरा साथ…: तिवारी ब्रदर्स से पुकारे जाने वाले शुभम और शिवम की दोस्ती कमाल की है। शुभम देख नहीं सकते और उनकी आंख बने हैं शिवम। शिवम ने बताया, शुभम डिग्री गर्ल्स कॉलेज से पीएचडी कर रहा है। मैं उसके हमेशा साथ रहता हूं। हमारी बाउंडिंग ऐसी है कि जितना हममें प्यार है उतनी हमारी नोंकझोक भी होती है।

    37 साल बाद दोस्त को ढूंढ निकाला

    राजधानी के शिव ग्वालानी ने दोस्ती में कश्मीर तक की यात्रा कर डाली। दरअसल उनकी दोस्ती जम्मू-कश्मीर के शफी खान से तब हुई थी जब शिव हनीमून के लिए गए हुए थे। लौटने के बाद कुछ साल तो चिट्ठी-पत्री चलती रही लेकिन शफी की तरह से पत्र आना बंद हो गए। जब शिव ने नॉवेल सीरीज मॉस्टर ऑफ नथिंग लिखी तो शफी को ढूंढने जम्मू-कश्मीर पहुंच गए। काफी खोजबीन के बाद आखिकर शिव की मुलाकात शफी से हो ही गई। जब शिव-शफी की दोस्ती की दास्तां पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अबदुल्ला ने सुनी तो शिव की बेटी की शादी में शामिल होने रायपुर पहुंचे।

    35 साल की अटूट दोस्ती

    मराठी और छत्तीसगढ़ी फिल्म मेकर जी गुमगांवकर और राजन सूर्यवंशी की दोस्ती 35 साल पुरानी है। दोनों ने थिएटर से अपना सफर शुरू किया और तभी से दोनों में दोस्ती का अंकूर फूटा। दोनों एक साथ स्क्रीन पर भी नजर आए। इस जोड़ी ने कई फिल्में भी बनाई। साढ़े तीन दशक में इन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन दोस्ताना आज भी बरकरार है। कोई भी फैसला एक-दूसरे की सलाह लिए बिना नहीं लेते।

    छत्तीसगढ़ी फिल्मों में दोस्ती की बयार

    दोस्ती का रिश्ता हर क्षेत्र में नजर आता है। फिल्मी दुनिया भी इससे अछूती नहीं है। गीतकार विष्णु कोठारी ने डार्लिंग प्यार झुकता नहीं के लिए एक गीत लिखे थे। जिसके बोल हैं- तैं मोर संगवारी…। दोस्ती के ताने-बाने में पिराए इस गीत को काफी पसंद किया गया था। इसी तरह गीतकार संजय मैथिल ने जवानी जिंदाबाद के लिए गीत लिखा है कि जिसके बोल हैं- सबले बड़े हे यार के रिस्ता, का कहिथस संगवारी।