रायपुर 06 जनवरी 2024। विगत दिनों राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अग्रिम अनुमान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अपनी नाकामी पर परदेदारी करने के तमाम प्रयासों के बावजूद रिपोर्ट से स्पष्ट है कि देश में कृषि विकास दर विगत वर्ष से 1.6 प्रतिशत कम रही है। कृषि अर्थव्यवस्था देश की रीढ है, लेकीन मोदी सरकार के किसान विरोधी निर्णयों के चलते देश के किसान लगातार बदहाल हो रहे हैं। कृषि उपकरणों पर भारी भरकम जीएसटी, डीजल पर भारी भरकम सेंट्रल एक्साइज, खाद, बीज, दवा सभी महंगी कर दी गई। खाद सब्सिडी विगत बजट के मुकाबले इस बजट में सीधे 35 हजार करोड रुपए कम कर दिया गया। सी 2 फार्मूले पर 50 प्रतिषत लाभ देने के स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने का भाजपा का वादा अब तक केवल वायदों में ही है। किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी भी जुमला साबित हो गया। जीडीपी विकास दर भी आम बजट में मोदी सरकार द्वारा लगाए गए अनुमान से लगातार कम हो रहा है, जिसके चलते देश का वित्तिय घाटा 6 प्रतिशत से पार होना संभावित है। मोदी सरकार के गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। देश में महंगाई, वैश्विक महंगाई दर की तुलना में अधिक है। बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से चरम पर है। देश के संसाधन, सार्वजनिक उपक्रम और नवरत्न कंपनियां को भी केवल मित्रों के मुनाफे के लिए उपयोग किया जा रहा है।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के चलते ही देश पर कुल कर्ज का भार 2014 की तुलना में चार गुना अधिक हो गया है। देश की आर्थिक बर्बादी के जिम्मेदार मोदी सरकार है जिसके अनर्थशास्त्र के चलते ही आज़ देश में बेरोजगारी दर चिंताजनक स्तर पर है। सरकारी विभागों और सरकारी उपक्रमों में ही लाखों पर रिक्त है लेकिन नई नौकरी देने के बजाय केंद्र की मोदी सरकार देश सार्वजनिक उपक्रमों को बेचकर सरकारी नौकरियों में युवाओं के रोजगार के अधिकार को लगातार बेच रही है।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी राज में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से उल्टे पांव भाग रही है। भुखमरी के ग्लोबल इंडेक्स में 55 वे स्थान से नीचे खसक कर 192 वें स्थान पर आ गया है, दिनों दिन स्थिति बेहद खराब हो रही है। महिला न्याय, मानव विकास और मीडिया की स्वतंत्रता के पैमानों में भी लगातार पिछड़ रहे हैं। इकोनामिक इंटेलिजेंस यूनिट डेमोक्रेसी इंडेक्स में हम 2014 में 27 में स्थान पर थे, जो मोदी राज में नीचे खिसक कर 53वें स्थान पर आ चुके हैं। मोदी सरकार के आंकड़ों में ही 137 करोड़ की आबादी में 81 करोड़ से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है, अर्थात मोदी राज में देश की कुल आबादी में 60 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने मजबूर है, जो आंकड़ा 2014 में लगभग 27 प्रतिशत के था। गरीब और गरीब हो रहे हैं और मोदी सरकार के संरक्षण में उनके चंद पूंजीपति मित्र हर घंटे करोड़ों कमा रहे हैं। सत्ता के संरक्षण में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। मोदी सरकार का फोकस केवलचंद पूंजीपति मित्रों के हित नहीं आम जनता और देश की अर्थव्यवस्था से इनका कोई सरोकार नहीं है।