भोपाल, 09 जनवरी 2023 /
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सदियों से विश्व को भारत को जानने की उत्सुकता रही है। भारतीय दर्शन, संस्कृति, हमारे जीवन मूल्य, हमारी वैश्विक दृष्टि, हमारी गौरवशाली परंपराएँ और आज के युग में भारत की मजबूत होती अर्थ-व्यवस्था, विज्ञान, तकनीकी, प्रौद्योगिकी, रक्षा एवं अंतरिक्ष विज्ञान सभी विशिष्ट है और विश्व के आकर्षण का केंद्र हैं। आज वैश्विक मंच पर भारत की अपनी एक अलग आवाज, अपनी एक अलग पहचान है, जो कि आने वाले समय में और मजबूत होगी। भारत के प्रति विश्व की जिज्ञासा बढ़ेगी। प्रवासी भारतीयों की यह महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है कि विश्व की भारत के प्रति इस बढ़ती हुई जिज्ञासा को शांत करें। वे भारत के “सस्टेनेबल फ्यूचर” के मॉडल को विश्व भर में प्रचारित करें।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत न केवल विश्व के ज्ञान का केंद्र है, बल्कि इसमें विश्व की दक्षता राजधानी बनने का सामर्थ्य है। भारत दुनिया के विकास का इंजन बन सकता है। प्रवासी भारतीय, मेक इन इंडिया, योग, आयुर्वेद, कुटीर उद्योग, हस्तशिल्प, मोटे अनाज को विश्व में प्रचारित करने में अपना अमूल्य योगदान दें।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आज ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली और विशिष्ट अतिथि सूरीनाम के राष्ट्रपति श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत का ह्रदय प्रदेश मध्यप्रदेश अपनी विशेष पहचान रखता है। यहाँ का नर्मदा जल, यहाँ के वन, आदिवासी परंपराएँ, यहाँ का अध्यात्म सब कुछ विशिष्ट और अविस्मरणीय है। उज्जैन में श्री महाकाल महालोक दिव्य और भव्य है। वहाँ जाकर भगवान श्री महाकाल के दर्शन अवश्य करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि इंदौर अद्भुत शहर है। इंदौर एक दौर है, जो समय से आगे चलता है, फिर भी अपनी विरासत को समेटे रहता है। उन्होंने इंदौरी लहजे में कहा कि “अपन का इंदौर पूरी दुनिया में लाजवाब है।” यहाँ के नमकीन, पोहा, साबूदाना खिचड़ी, कचोरी, समोसे मुँह में पानी लाते हैं। यह भारत का स्वच्छतम शहर तो है ही, स्वाद की राजधानी भी है। यहाँ का अनुभव आप भुला नहीं पाएंगे।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस वर्ष भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता का गौरव प्राप्त हुआ है। ऐसे समय में प्रवासी भारतीयों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। यह दुनिया को भारत के विषय में बताने का मौका है। अतिथि देवो भव की परंपरा को निभाते हुए इस अवसर को ऐतिहासिक बनाएँ। जब प्रतिभागी अपने देश लौट के जाएँ, तो वहाँ रहने वाले भारतीय उन्हें बुलाएँ, उनके साथ संवाद करें।