रायपुर/ 1 दिसंबर 2022/ यह पहली बार ही है की छत्तीसगढ़ में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी को सूचना के अधिकार के तहत रुपए 25 हजार की पेनल्टी सूचना आयोग द्वारा लगाई गई है। इसी के साथ सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने शासकीय कंपनी के विभिन्न कार्यालयों के मध्य आवेदन के अंतरण को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
*क्या है पूरा मामला*
आवेदक नितिन सिंघवी ने प्रबंध संचालक विदुत वितरण कंपनी के कार्यालय में आवेदन लगाकर दो पत्रों के बारे में जानकारी चाही थी कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) द्वारा भेजे गए एक पत्र जिसमें हाथियों की विद्युत करंट से हो रही मृत्यु के संबंध में 15 दिनों में कार्य योजना बनाने के लिए लिखा गया था और दूसरे पत्र में प्रमुख सचिव, वन विभाग द्वारा हाथियों की विद्युत करंट से हो रही मृत्यु के संबंध में विद्युत वितरण कंपनी के दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की चेतावनी दी गई थी। आवेदक ने जानना चाहा था कि ये दोनों पत्र प्रबंध संचालक के कार्यालय में पहुंचने के उपरांत उनके कार्यालय द्वारा क्या कार्यवाही की गई? परंतु तत्कालीन जन सूचना अधिकारी सह उप महाप्रबंधक (मानव संसाधन) विद्युत वितरण कंपनी ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6(3) के तहत आवेदन का अंतरण कार्यालय कार्यपालक निदेशक (संचा./संधारण) को कर दिया, जिन्होंने भी आवेदक को सूचना मुहैया नहीं कराई। प्रथम अपील निरस्त कर दी गई। इसलिए आवेदक ने द्वितीय अपील दायर थी।
द्वितीय अपील के दौरान आयोग ने माना की आवेदन का सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(3) के तहत अंतरण करना उचित नहीं था क्योंकि प्रबंध संचालक कार्यालय द्वारा दोनों पत्रों के परिपेक्ष में यदि कोई कार्यवाही की गई थी तो उक्त कार्यवाही की जानकारी भेजनी चाहिए थी। यदि कार्यवाही नहीं की गई थी तो उसकी जानकारी आवेदक को दी जानी चाहिए थी। आयोग ने कहा कि इस प्रकरण में जन सूचना अधिकारी द्वारा प्राप्त जन सूचना आवेदन का सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(3) के तहत जन सूचना अधिकारी कार्यालय कार्यपालक निदेशक (संचा. संधारण) विद्युत वितरण कंपनी को अंतरित किया गया था, जबकि प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिसटीब्यूशन कंपनी लिमिटेड एक ही लोक प्राधिकारी है और उनके कार्यालय में कार्यरत सभी विभाग/शाखा में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(3) के अंतरण मामला नहीं बनता है ।बल्कि वांछित जानकारी जन सूचना अधिकारी के पास नहीं थी तो उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के धारा 5(4) के तहत डीम्ड जन सूचना अधिकारी से प्राप्त कर आवेदक को प्रेषित करनी चाहिए थी ।
आयोग ने प्रकरण में श्रीमती सरोज तिवारी वर्तमान पदस्थापना मुख्य अभियंता राजस्व स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड तत्कालीन जनसूचना अधिकारी एवं उप महाप्रबंधक (मां.स) विद्युत वितरण कंपनी द्वारा प्राप्त जनसूचना आवेदन का गलत विनिश्चय करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (3) के तहत आवेदन का अंतरण करने के कारण और धारा 5(4) के तहत डीम्ड जन सूचना अधिकारी से सूचना प्राप्त कर अपीलआर्थी को प्रेषित न करने के कारण ₹25000 अर्थ धन आरोपित कर, अर्थ दंड की राशि वसूली हेतु आदेशित किया है।
*अब विधुत वितरण कंपनी के कार्यालयों में सूचना का अधिकार के आवेदनों का अंतरण नहीं हो सकेगा*
सिंघवी ने चर्चा में बताया कि एक ही लोक प्राधिकारी होने की स्थिति में, जैसा कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड एक ही लोक प्राधिकारी है, तो आवेदक विद्युत वितरण कंपनी के किसी भी कार्यालय में आवेदन दायर करके जानकारी चाह सकता है। अगर जानकारी दूसरे कार्यालय के पास है तो आवेदन का अंतरण नहीं किया जा सकता, अधिनियम में व्यवस्था दी गई है कि एक ही लोक प्राधिकारी के किसी एक कार्यालय में आवेदन लगाया गया है और उसी लोक प्राधिकारी के दुसरे कार्यालय के पास सूचना होने पर, धारा 5(4) तथा 5(5) के तहत डीम्ड सूचना आधिकारी से सहयोग मांग कर, दूसरे कार्यालय से सूचना बुलाकर आवेदक को प्रदाय की जाएगी, ना कि आवेदन का अंतरण किया जावेगा। यह अंतरण तब किया जा सकता है जब विद्युत वितरण कंपनी में आवेदन लगा दिया गया है और जानकारी विधुत ट्रांसमिशन कंपनी से संबंधित हो, तब धारा 6(3) के अंतर्गत आवेदन का अंतरण किया जा सकता है, क्योंकि दोनों अलग-अलग लोक प्राधिकारी है। छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने इस संबंध में 2005 में ही स्पष्टीकरण जारी कर दिया था। इसी आधार पर सूचना आयोग ने पहले ही रायपुर नगर निगम को एक ही एक ही लोक प्राधिकारी माना है न कि हर जोन कार्यालय को।