नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
दुनिया के अनेक हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत से दिलचस्प नजारे दिखाई दिए। भारत की राजनीति हो, दीपावली का उत्सव हो या दीपावली के दिन ब्रिटेन में एक हिंदू ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना हो, लेकिन इन दुनिया के अनेक हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत से दिलचस्प नजारे दिखाई दिए। भारत की राजनीति हो, दीपावली का उत्सव हो या दीपावली के दिन ब्रिटेन में एक हिंदू ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना हो, लेकिन इन सबके बीच जो एक चौंकाने वाला नजारा दिखाई दिया, वह चीन से था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पंचवर्षीय कांग्रेस या अधिवेशन में। यह अधिवेशन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नया नेतृत्व चुनता है। यही नेतृत्व चीन की सरकार होता है। पुरानी परंपराओं और नियमों को ताक पर रखकर इस बार शी जिनपिंग को तीसरी बार पार्टी का महासचिव या देश का सर्वोच्च नेता चुन लिया गया। माना जा रहा है कि अब जिनपिंग कम से कम दस साल के लिए और अगर वह चाहें, तो जिंदगी भर के लिए सत्ता पर काबिज रह सकते हैं।
वैसे, देखने लायक नजारा यह नहीं था। नजारा था, पूर्व राष्ट्रपति हू जिन्ताओ के साथ हुआ व्यवहार, लेकिन चीन के भीतर यह खबर कहीं नहीं आई। चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स ने खबर यह छापी कि चीन में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने बहुआयामी सुधारों के एलान किए हैं, लेकिन बाकी दुनिया इस वक्त चीन की राजनीति और अर्थनीति, दोनों को ही काफी शंका के साथ देख रही है। जिनपिंग 2012 में राष्ट्रपति बने थे और तभी से चीन की आर्थिक और सामरिक शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का सपना साकार करने में जुटे हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में उन्होंने चीन के भविष्य का जो खाका खींचा है, उससे दुनिया भर में खलबली मची हुई है।
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दुनिया पर हावी होने का चीनी मनसूबा